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बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरान्त भारत रत्न, पीएम नरेन्द्र मोदी ने जननायक के अतुलनीय योगदान को किया याद

Karpoori Thakur Bharat Ratna : बिहार के पूर्व सीएम और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया है. कल कर्पूरी ठाकुर की जयंती है. जयंती से पहले भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 23, 2024, 8:08 PM IST

Updated : Jan 23, 2024, 8:59 PM IST

  • मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3

    — Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2024 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पटना : बिहार के पूर्व सीएम और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया है. कल कर्पूरी ठाकुर की जयंती है. जयंती से पहले भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था. 1988 में इनका 64 साल की उम्र में पटना में निधन हो गया. ये पिछड़ों को हक देने के हिमायती रहे हैं. बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे और पिछड़ों को आरक्षण देने का काम भी किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा है कि ''मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है. पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा.''

जयंती से पहले मरणोपरांत भारत रत्न : कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को 100वीं जयंती है. और स्वर्ण जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न देने का ऐलान कर बिहार में राजनीति को नई दिशा भी दे दी है. समय समय पर बिहार की विभिन्न पार्टियां इनको भारत रत्न देने का मांग करती रही हैं. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर (जेडीयू सांसद) ने कहा है कि ''36 साल की तपस्या का हमें ये फल मिला है. अपने परिवार और बिहार की जनता की तरफ से सरकार को बधाई देते हैं.''

कर्पूरी ठाकुर के सहारे जंग जीतने की तैयारी : बता दें कि पटना में बुधवार को कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जा रही है. इसके लिए जनता दल यूनाइटेड, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल तीनों पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं. कर्पूरी ठाकुर की छवि बड़े समाजवादी नेता के तौर पर रही है. कर्पूरी ठाकुर कांग्रेस के खिलाफ थे और 1967 में पहली बार वह बिहार के 'डिप्टी सीएम' बने और उस वक्त उनके पास शिक्षा विभाग भी रहा. इस दौरान उन्होंने छात्रों की फीस को खत्म कर दिया.

कर्पूरी ठाकुर थे पिछड़ों के मसीहा : बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर अति महत्वपूर्ण लीडर में से एक हैं. लोकनायक के बाद सामाजिक आंदोलन के नेताओं में जननायक की गिनती होती है. क्योंकि बिहार में पिछड़ों को सबसे पहले आरक्षण देने का काम कर्पूरी ठाकुर ने ही किया था. कर्पूरी ठाकुर राजनीतिक और सामाजिक बदलाव में एक देवदूत की तरह थे. वे बिहार के दो बार सीएम रहे लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. दूसरी बार सीएम बनते ही उन्होंने पिछड़े वर्गों के लिए 'मुंगेरीलाल आयोग' की अनुशंसा लागू की और आरक्षण का रास्ता खोला. वो जानते थे कि उनकी सत्ता चली जाएगी लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने पिछड़ों के हक में काम किया.

  • मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी… pic.twitter.com/hRkhAjfNH3

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पटना : बिहार के पूर्व सीएम और जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया है. कल कर्पूरी ठाकुर की जयंती है. जयंती से पहले भारत सरकार ने उन्हें भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म 1924 में बिहार के समस्तीपुर जिले में हुआ था. 1988 में इनका 64 साल की उम्र में पटना में निधन हो गया. ये पिछड़ों को हक देने के हिमायती रहे हैं. बिहार के दो बार मुख्यमंत्री रहे और पिछड़ों को आरक्षण देने का काम भी किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके कहा है कि ''मुझे इस बात की बहुत प्रसन्नता हो रही है कि भारत सरकार ने समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. उनकी जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला है. पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए कर्पूरी जी की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी है. यह भारत रत्न न केवल उनके अतुलनीय योगदान का विनम्र सम्मान है, बल्कि इससे समाज में समरसता को और बढ़ावा मिलेगा.''

जयंती से पहले मरणोपरांत भारत रत्न : कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को 100वीं जयंती है. और स्वर्ण जयंती के अवसर पर केंद्र सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त भारत रत्न देने का ऐलान कर बिहार में राजनीति को नई दिशा भी दे दी है. समय समय पर बिहार की विभिन्न पार्टियां इनको भारत रत्न देने का मांग करती रही हैं. कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर (जेडीयू सांसद) ने कहा है कि ''36 साल की तपस्या का हमें ये फल मिला है. अपने परिवार और बिहार की जनता की तरफ से सरकार को बधाई देते हैं.''

कर्पूरी ठाकुर के सहारे जंग जीतने की तैयारी : बता दें कि पटना में बुधवार को कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जा रही है. इसके लिए जनता दल यूनाइटेड, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल तीनों पार्टियां जोर आजमाइश कर रही हैं. कर्पूरी ठाकुर की छवि बड़े समाजवादी नेता के तौर पर रही है. कर्पूरी ठाकुर कांग्रेस के खिलाफ थे और 1967 में पहली बार वह बिहार के 'डिप्टी सीएम' बने और उस वक्त उनके पास शिक्षा विभाग भी रहा. इस दौरान उन्होंने छात्रों की फीस को खत्म कर दिया.

कर्पूरी ठाकुर थे पिछड़ों के मसीहा : बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर अति महत्वपूर्ण लीडर में से एक हैं. लोकनायक के बाद सामाजिक आंदोलन के नेताओं में जननायक की गिनती होती है. क्योंकि बिहार में पिछड़ों को सबसे पहले आरक्षण देने का काम कर्पूरी ठाकुर ने ही किया था. कर्पूरी ठाकुर राजनीतिक और सामाजिक बदलाव में एक देवदूत की तरह थे. वे बिहार के दो बार सीएम रहे लेकिन एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. दूसरी बार सीएम बनते ही उन्होंने पिछड़े वर्गों के लिए 'मुंगेरीलाल आयोग' की अनुशंसा लागू की और आरक्षण का रास्ता खोला. वो जानते थे कि उनकी सत्ता चली जाएगी लेकिन इसकी परवाह किए बगैर उन्होंने पिछड़ों के हक में काम किया.

Last Updated : Jan 23, 2024, 8:59 PM IST
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