गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज में गंडक नदी का तांडव ऐसा है कि बीते 15 वर्षों में 35 गांव नक्शे से मिट चुके हैं. यहां के लोग दूसरी जगह विस्थापित हो गए, लेकिन फिर वही नौबत आई हुई है. बिहार के 38 जिलों में से 22 जिले ऐसे हैं जो बाढ़ और कटाव ग्रस्त हैं. अकेले गोपालगंज में दो दशक में नदियों की धारा में दर्जनों गांव विलीन हो गए. करीब 3500 एकड़ खेतिहर जमीन गंडक लील गई. हजारों कटाव पीड़ित 20 साल बाद भी पुनर्वास की व्यवस्था के इंतजार में में बैठे हैं, लेकिन कोई मदद नहीं मिली.
![मेहंदिया गांव में 250 से ज्यादा मकान पानी से घिरे](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/bh-gpj-01-erosion-pkg-bh10067_15072024091844_1507f_1721015324_191.jpg)
गंडक की तांडव-लीला : इन 22 जिलों के लोगों को बाढ़ से डर नहीं लगता, ये डरते हैं गंडक के कटाव से जो इनसे इनका आशियाना छीन लेती है. खानाबदोश की तरह जिंदगी जीने को मजबूर कर देती है. हर साल की बाढ़ आफत लेकर आती है और गांव का एक हिस्सा धराशायी करके लौट जाती है, सदर प्रखंड के मेहंदिया गांव पर भी कुछ ऐसा ही खतरा है. गांव चारों तरफ पानी से घिर चुका है. लेकिन कटाव के डर से सभी डरे सहमे हैं.
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/21956402_gfx2.jpg)
गंडक की बाढ़ से ग्रामीण लाचार : नई पीढ़ी कटाव का दंश झेल रही है, जो झेलकर आई है उनकी आंखों में पानी है. गांव वाले बताते हैं कि ''कभी हम भी खुशी-खुशी अपने गांव में, अपने घर में, अपने लोगों के साथ रहते थे, लेकिन एक दिन गंडक ने विकराल रूप दिखाया और सबकुछ बहाकर अपने साथ ले गईं. अब न तो रहने को घर बचास न खाने का ठिकाना, जो बचा है वह भी गंडक फिर से छीन लेने को आमादा है.'' गांव वालों ने लाचारगी भरे शब्दों में कहा कि ''हमारी सुध लेने वाला कोई नहीं, अधिकारी आते हैं और मुआयना करके चले जाते हैं. हमारी किसी को चिंता नहीं है.''
![गंडक नदी का हाहाकारी वेग](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/bh-pat-01-bihar-rivers-7201750_15072024112512_1507f_1721022912_1040.jpg)
कटाव की दहशत : गंडक किनारे बसे 35 गांवों का नक्शा अब बिहार सरकार के पास नहीं है. जहां कभी गांव था आज वहां गंडक नदी की धारा है. जहां इन गांव वालों ने शरण लिया. वह मेहंदिया गांव भी बाढ़ की जद में आ चुका है. सबसे ज्यादा खतरा बगल से निकलने वाली नहर का जिसके पानी की धारा से गांव को खतरा है. गंडक में पानी बढ़ते ही नहर का पानी गांव में घुस जाएगा और फिर एक गांव की जलसमाधि लग जाएगी. इसी खौफ में ग्रामीण गंडक की ओर बैठककर टकटकी लगाए हुए हैं.
![ईटीवी भारत GFX.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/21956402_gfx.jpg)
35 गांव नक्शे से गायब : गंडक नदी के कटाव के कारण गोपालगंज जिले के नक्शा से दर्जनों गांव गायब हो गये हैं. इनमे कुचायकोट में धूप सागर, भगवानपुर, टांडपुर, विशंभरपुर तिवारी टोला, विशंभरपुर बाजार, हजाम टोला, अहिरटोली, भसही, निरंजना, सदर प्रखंड के धर्मपुर, भोजली, रजवाही, टेंगराही, सेमराही, मकसुदपुर, खाप, कठघरवां, बरौली के शाहपुर पकड़िया, सेमरहिया समेत 35 गांव नदी में समा चुके हैं. इनका अस्तित्व अब पूरी तरह खत्म हो चुका है.
![गंडक के पानी से घिरा गांव](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/bh-gpj-01-erosion-pkg-bh10067_15072024091844_1507f_1721015324_87.jpg)
''गांव की नहर का मुहाना गंडक से मिला है. गंडक उफनाकर नहर के रास्ते गांव में आ रही है. पानी चारों तरफ आ चुका है. हम सरकार से मांग करते हैं कि हमें विस्थापित कर सुरक्षित स्थान पर आवास दिया जाय. हम लोग कटाव पीड़ित हैं और लंबे समय से इस भय के साये में जी रहे हैं. सरकार हमारी समस्या को ध्यान दे.''- त्रिलोकी साह, कटाव पीड़ित, मेहंदिया
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/bh-gpj-01-erosion-pkg-bh10067_15072024091844_1507f_1721015324_856.jpg)
मेहंदिया गांव की स्थिति : मेहंदिया गांव में लगभग 250 घर हैं जिसकी आबादी लगभग 1000 के आसपास है. इस गांव के सभी लोग कटाव पीड़ित ही हैं. गांव वालों ने बताया कि जैसे-जैसे लोग कटाव का शिकार होते गए लोग इसी स्थान को सुरक्षित मानकर शरण लेते गए. ये है तो सरकारी जमीन लेकिन हमारी सुध नहीं ली जाती. हम यहां पर अपने भाग्य भरोसे ठहरे हुए हैं. हमें आने जाने के लिए नाव की भी व्यस्था नहीं की गई है. इतनी आबादी अगर बीमार हुई या जरूरत का सामान लाना हो तो कैसे लाएगी?
![गंडक की चपेट में मेहंदिया गांव](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15-07-2024/bh-gpj-01-erosion-pkg-bh10067_15072024091844_1507f_1721015324_7.jpg)
''हमारा गांव कभी भी डूब सकता है. डूबने से ज्यादा कटाव का खतरा है. चारों तरफ पानी ने घेर लिया है. गंडक का जलस्तर बढ़ते ही रोड भी ब्लॉक हो जाएगा. ऐसे में हम फंस जाएंगे. हमें निकालने और पुनर्वास के लिए सरकार ने अभी तक कोई योजना नहीं बनाई है. हम यहां अपने से आकर ठहरे हैं. हमें अभी भी सुरक्षित ठिकाने की जरूरत है. नाव की सुविधा सरकार हमें जरूर मुहैया कराए.''- लाल बाबू सहनी, कटाव पीड़ित, मेहंदिया गांव
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