चंडीगढ़: रविवार 18 फरवरी को चंडीगढ़ में किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच हुई चौथे दौर की बातचीत हुई है. इस बैठक में MSP समेत अन्य मुद्दों को लेकर दिल्ली मार्च पर निकले किसानों ने फिलहाल इस पर रोक लगा दी है. हालांकि अभी 21 फरवरी को एक बार फिर से चर्चा होने वाली है. उसके बाद किसान अंतिम फैसला लेंगे.
बैठक के बाद किसान नेता सरवन सिंह पंढेर की प्रतिक्रिया: पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर का कहना है, ''हम सरकार के प्रस्ताव पर अगले दो दिनों में चर्चा करेंगे. सरकार अन्य मांगों पर भी विचार करेगी. अगर कोई नतीजा नहीं निकला तो हम 21 फरवरी को 'दिल्ली चलो' मार्च जारी रखेंगे."
किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा है, "हमारा दिल्ली जाने का फैसला सुरक्षित है. 21 फरवरी को सुबह 11 बजे हम शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ेंगे. तब तक हम अपनी बात केंद्र के सामने रखने की कोशिश करेंगे."
सरवन सिंह पंढेर का कहना है, ''हम सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा करेंगे और उस पर राय लेंगे. आज सुबह, शाम या शाम तक फैसला ले लिया जाएगा. मंत्रियों ने कहा कि वे दिल्ली लौटने के बाद अन्य मांगों पर चर्चा करेंगे. चर्चा 19-20 फरवरी को होगी और 21 फरवरी को होने वाले 'दिल्ली चलो' मार्च के आधार पर निर्णय लिया जाएगा. चर्चा हम (सरकार और किसान संघ) मिलकर मुद्दों का समाधान खोजने का प्रयास करेंगे.'
सरवन सिंह पंढेर ने कहा "सीटू+50 कर्ज मुक्ति समेत तमाम विषयों पर सहमति बाकी है. बातचीत में जो प्रस्ताव दिया गया है, इस पर हम अपने फोरम में और विशेषज्ञों से चर्चा करेंगे. हमारा कार्यक्रम 21 फरवरी को 11 बजे तक स्टैंड बाय है. अगर इस पर सहमति नहीं बनी तो हम सरकार से कहेंगे कि हमें शांतिपूर्वक दिल्ली जाने का रास्ता दिया जाए."
क्या कहते हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल?: वहीं, सरकार के साथ बातचीत के बाद किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा है, "हम अपने मंचों और विशेषज्ञों के साथ सरकार के प्रस्ताव (एमएसपी पर) पर चर्चा करेंगे और फिर, हम एक निष्कर्ष पर पहुंचेंगे. हमारा मार्च (दिल्ली चलो) तब तक जारी रहेगा मांगें पूरी हो गई है. कई अन्य मांगों पर बातचीत की जरूरत है. सरकार ने हमें एक प्रस्ताव दिया है कि दाल, मक्का, कपास की एमएसपी तय की जाएगी. केंद्र की 2 एजेंसियां इसे खरीदेंगी. केंद्र ने हमें मक्का, कपास और दालों का एसपी खरीद का प्रपोजल दिया है.''
क्या कहना है पंजाब के मुख्यमंत्री का?: किसान आंदोलन को लेकर केंद्र सरकार के साथ बैठक के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, ''चौथे दौर की किसानों के साथ फिर एक बार बातचीत हुई. किसानों के साथ सरकार की करीब 5 घंटे बातचीत हुई. काफी विचार विमर्श किसानों और हमारे बीच हुआ. मैं पंजाब के प्रतिनिधि के तौर पर इस बैठक में शामिल हुआ. 8 फरवरी को जब मैं मीडिया के सामने पेश हुआ था तो मैंने कहा था कि मैंने मुद्दा उठाया था कि हमारा देश अफ्रीकी देशों से 2 बिलियन डॉलर की कीमत की दालें खरीद के लाता है. हम विदेशों से दालें खरीदते हैं. मैं कृषि मंत्री और अन्य मंत्रियों के सामने यह बात कही थी कि हम धान की जगह अन्य फैसले उगाने की बात करते हैं, अगर हम उसकी जगह कोई अन्य फैसले उगाएंगे तो उसकी एमएसपी गारंटी मिल जाए. हम फिर वह दालें भी पैदा कर सकते हैं. हरित क्रांति के बाद हम पूरे देश के अनाज के भंडार भरे थे. हरित क्रांति की वजह से हमारा वाटर लेवल आज बहुत नीचे चला गया है. हमने कहा कि हमें बता दें कि कौन-कौन सी दालें हम यहां उगा सकते हैं.उस पर हमें एमएसपी की गारंटी मिले आज इस विषय पर भी चर्चा हुई."
भगवान मान ने कहा "पंजाब के कई जिलों में कॉटन पैदा होता था, लेकिन वहां भी दाल की बिजाई हो रही है. क्योंकि वे फसल विभिन्न बीमारियों से बर्बाद हो रही हैं. इसलिए किसान उन्हें नहीं उगाते हैं. उससे किसानों का विश्वास उसे पर खत्म हो गया. उस विश्वास को बरकरार करने के लिए सरकार को आगे आना होगा. इसके साथ ही मक्के की खेती भी लोग कम करते हैं. अगर एमएसपी की गारंटी दालों के साथ मक्के पर भी मिले तो पंजाब में मक्की भी उगाई जा सकती है. अगर हम किसान को फसल के डायवर्सिफिकेशन करने के लिए कहेंगे जो फसल डायवर्सिफिकेशन में लगाएगी उसकी अगर एमएसपी मिलेगी तो किसान उसको जरूर करेगा. अगर किसान को दाल और मक्की उगाने से फायदा मिलता है तो निश्चित तौर पर वह फिर डायवर्सिफिकेशन करेगा, नहीं तो वह फिर से धान की खेती करने लग जाएगा.''
भगवंत मान ने कहा कि, सरकार हमें लिखित गारंटी दे कि अगर 5 साल का हमारे साथ एग्रीमेंट करते हैं तो फिर पंजाब के किसान जरूर उस पर आगे विचार करेंगे. किसान अब इन विषयों पर अपने साथियों के साथ चर्चा करेंगे. केंद्र भी इस विषय को लेकर चर्चा करेगा. जब यह कानून लागू होगा तो पूरे देश में लागू होगा. बाकी राज्यों को भी इसका फायदा होगा.
सरकार से लिखित में मांग पर अड़े भगवंत मान: भगवंत मान ने कहा "हम किसानों के मुद्दे पर बातचीत करने के लिए हमेशा तैयार हैं. मैं नहीं चाहता कि किसान शंभू बॉर्डर पर धरना देकर बैठे रहे. अभी तक 2 किसानों की मौत हो चुकी है. अगर बातचीत के जरिए समस्या का समाधान हो जाता है तो अच्छा है. मैं भी सकारात्मक दृष्टिकोण से आगे बढ़ रहा हूं. पंजाब के कुछ जिलों में इंटरनेट बंद करने के मुद्दे पर भी चर्चा की है. अब किसान यूनियन सोमवार को क्या फैसला लेती है वह बता दिया जाएगा. बातचीत लगातार जारी रहेगी."
क्या कहते हैं केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल?: किसानों से साथ करीब 5 घंटे तक चली मैराथन बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा "अच्छे वातावरण में सकारात्मक चर्चा हुई. नए विचार और सोच के साथ बातचीत की, ताकि किसानों के हितों को सरकार आगे बढ़ा सके. पीएम नरेंद्र किसानों की चिंता करते हैं.दस सालों में एमएसपी खरीद में बड़ी वृद्धि हुई है. करीब 18 लाख करोड़ से अधिक खरीद हुई. किसान सम्मान निधि, पीएम बीमा योजना, खाद को कम कीमतों में उपलब्ध करवाया उस पर सब्सिडी दी. यूनियन के प्रतिनिधियों ने कई मुद्दे सामने रखे, जिसमें सहमति के साथ आगे बढ़े हैं. बातचीत के जरिए लंबी चर्चा सकारात्मक सोच के साथ हमने बात की."
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा "बैठक में सकारत्मकता के साथ सुझाव दिए गए. ताकि सभी को लाभ मिल सके. पंजाब के वाटर लेबल को लेकर बात हुई. क्रॉप डायवर्सिफिकेशन जरूरी है. कॉटन अब कम पैदा होता है. दालों की बुवाई पर ध्यान देना होगा. उस पर एमएसपी भी अधिक है. दलहन से किसानों को ज्यादा फायदा मिलेगा. किसान मक्का भी उगाना चाहते हैं. इससे पंजाब के किसानों को फायदा होगा.
दालों की बुआई करने वाले किसानों के साथ 5 साल का अनुबंध: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा "कॉटन अगर उगते हैं उसकी कीमत नहीं मिलती तो किसानों को नुकसान होगा. इसके लिए हमने प्रस्ताव पर चर्चा की, जिसमें सरकार को ऑपरेटिव सोसाइटी के जरिए हम इस पर काम करेंगे. हम पांच साल तक दालों की बुआई करने वाले किसानों के साथ पांच साल का अनुबंध करेंगे. जिसमें कोई दाल की पैदावार की लिमिट नहीं होगी. इससे पंजाब की खेती बचेगी. जलस्तर बेहतर होगा. साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
कॉटन की खेती पर जोर देने की जरूरत: किसानों के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कॉटन की खेती पर जोर दिया जाएगा. कॉटन कॉरपोरेशन पांच साल का अनुबंध करेगा. इस प्रस्ताव पर बात हुई. किसान सोमवार (19 फरवरी ) को सुबह तक अपना निर्णय बताएंगे. हम भी दिल्ली जाकर संबंधित विभागों से बात करेंगे. बाकी विषयों पर हमने बातचीत कर समाधान कर दिया था. बाकी विषयों पर भी आगे चर्चा होगी. अगली बैठक पर किसानों की बातचीत करके चर्चा होगी. एमएसपी या अन्य विषय पर बातचीत चर्चा जारी रहेगी.
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