कोलकाता : पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार की कथित घटनाओं की जांच के लिए जा रहे पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एल. नरसिंह रेड्डी के नेतृत्व वाली एक स्वतंत्र तथ्यान्वेषी समिति के छह सदस्यों को पुलिस ने वहां जाने से रोक दिया साथ ही गिरफ्तार कर लिया.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संदेशखाली के कुछ हिस्सों में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए उनके काफिले को बसंती राजमार्ग पर भोजेरहाट क्षेत्र में रोक दिया, जो संदेशखाली से लगभग 52 किलोमीटर दूर है. रेड्डी, पूर्व आईपीएस अधिकारी राज पाल सिंह, राष्ट्रीय महिला आयोग की पूर्व सदस्य चारू वली खन्ना, वकील ओ पी व्यास एवं भावना बजाज और वरिष्ठ पत्रकार संजीव नायक सड़क के किनारे बैठ गए और आगे जाने पर अड़े रहे.
रेड्डी ने कहा कि यह पूरी तरह से अवैध है. हमने पुलिस कर्मियों से कहा है कि कानून का पालन करने वाले नागरिक के नाते हम नियम नहीं तोड़ेंगे. संदेशखाली में कोई कर्फ्यू नहीं लगा है. इसलिए हम दो समूहों में जा सकते हैं. हमारी कम से कम दो महिला सदस्यों को उन महिलाओं से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए जिन्हें राजनीतिक संरक्षण का आनंद ले रहे बाहुबलियों के अत्याचारों का खामियाजा भुगतना पड़ा है.
कुछ दिन पहले, भाजपा की एक तथ्य-खोज टीम - जिसमें केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी, प्रतिमा भौमिक, सांसद सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और राज्यसभा सदस्य और उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक बृज लाल शामिल थे, उस टीम रोक को पुलिस द्वारा संदेशखाली में प्रवेश करने से रोका गया था.