ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड में अचानक 25 फीसदी बढ़ी बिजली की मांग, रोज आपूर्ति के लिए खाली हो रहा सरकारी खजाना - electricity demand increased

author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 27, 2024, 9:22 AM IST

Updated : May 27, 2024, 7:09 PM IST

Electricity demand increased in Uttarakhand उत्तराखंड में इस बार गर्मी ने जिस तरह सभी को चौंका दिया है, उसी तरह बिजली की अप्रत्याशित खपत भी राज्य सरकार को हैरान कर रही है. स्थिति यह है कि प्रदेश में पहली बार बिजली की खपत करीब 58 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है. यानी एक साल में ही 25 फीसदी की विद्युत डिमांड बढ़ी है. जिसके कारण विद्युत निगम को हर दिन अपना खजाना खाली करना पड़ रहा है.

Uttarakhand Power Corporation
पावर कॉरपोरेशन समाचार (Photo- ETV Bharat)
उत्तराखंड में पहली बार बिजली की खपत करीब 58 मिलियन यूनिट तक पहुंची. (ETV Bharat)

देहरादून: कभी ऊर्जा प्रदेश बनने का सपना देखने वाला उत्तराखंड आज ऊर्जा खरीद के कारण खजाने से करोड़ों रुपए गंवा रहा है. स्थिति यह है कि प्रदेश में अपनी मांग को पूरा करने के लिए खुद से बिजली बनाना तो दूर केंद्रीय पूल से मिल रही बिजली से भी डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. उधर तमाम मौसमीय कारणों के चलते तापमान में हुई बढ़ोत्तरी ने राज्य के लिए ऊर्जा के संकट को नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया है. ताजा आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में बेतहाशा गर्मी के कारण ऊर्जा की डिमांड 58 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है, जो कि अब तक का ऊर्जा खपत को लेकर सबसे बड़ा आंकड़ा है.

राज्य में इस स्थिति के लिए इस बार पड़ रही बेहद ज्यादा गर्मी को वजह माना जा रहा है. हालांकि इसके दूसरे कई कारण भी हैं. बहरहाल ऊर्जा निगम फिलहाल सब कुछ नियंत्रण में होने की बात कह रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ज्यादा समय ये परिस्थितियां रही तो बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. बिंदुवार समझिए क्या हैं समस्याएं.

बिजली की बढ़ती मांग

  • उत्तराखंड में इस बार एक साल में ही 25 फीसदी की विद्युत खपत बढ़ी
  • पिछले साल 44 मिलियन यूनिट की खपत इस बार 58 मिलियन यूनिट तक पहुंची
  • मौजूदा साल में बढ़े तापमान ने डिमांड को नई ऊंचाई तक पहुंचाया
  • उद्योगों की ग्रोथ, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में बढ़ोत्तरी और AC लोड भी है बड़ी वजह
  • बारिश ना होने से सिंचाई लोड भी इस साल बढ़ा
  • हर दिन 10 से 12 मिलियन यूनिट की हो रही बिजली खरीद
  • करोड़ों रुपए हर दिन बिजली खरीद के लिए हो रहे हैं खर्च

ऊर्जा निगम का दावा है कि बिजली की बेहद कमी होने के बावजूद भी इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीद कर आपूर्ति को पूरा की जा रही है. राज्य में कहीं पर भी कोई बिजली कटौती नहीं हो रही है. जिन जगहों पर बिजली की कटौती हो रही है, वहां पर या तो लाइन फाल्ट होने के कारण ऐसा हो रहा है, या फिर फ्यूज उड़ने से दिक्कत आ रही है. ऐसे में ऊर्जा निगम के अधिकारी ऊर्जा का संरक्षण करने के लिए अपील करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

उधर मौसम विभाग को आने वाले समय में गर्मी का सितम और भी ज्यादा बढ़ाने की आशंका है. जून महीने में तापमान में बढ़ोत्तरी की संभावना बनी हुई है. ऐसे में यह तय है कि ऊर्जा निगम के लिए आने वाले दिनों में भी ऊर्जा की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती रहने वाली है. हालांकि इस मामले पर भी निगम के अधिकारी फ्यूचर प्लान के जरिए आपूर्ति को सुचारू रखने का दावा कर रहे हैं. इन सब दावों के बीच लोग बिजली कटौती की बात कहकर इन दिनों कई तरह की परेशानियां होने की बात कह रहे हैं. गर्मी के बीच लाइट नहीं आने से रोजमर्रा के कामों के भी इससे प्रभावित होने की बात कह रहे हैं.

नए प्रोजेक्ट नहीं बनना उत्तराखंड के लिए बना मुसीबत: उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के रूप में इसलिए भी माना गया, क्योंकि तमाम महत्वपूर्ण नदियां इसी हिमालयी राज्य से निकलती हैं. ऐसे में उत्तराखंड की हाइड्रो प्रोजेक्ट की क्षमता के आधार पर प्रदेश में कई सौ मिलियन यूनिट का बिजली उत्पादन संभव माना गया. लेकिन तमाम पर्यावरणविद् की आपत्ति और राज्य सरकारों की अदूरदर्शिता के कारण यह प्रोजेक्ट कभी पूरे ही नहीं हो पाए. इतना ही नहीं कई प्रोजेक्ट तो करोड़ों खर्च होने के बाद अधर में लटक गए.

केंद्रीय नवरत्न कंपनियां भी छोड़ रही आस: उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम करने आई देश की बड़ी कंपनियां भी अब हाथ खींचती हुई नजर आ रही हैं. इन नवरत्न कंपनियों ने भी परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति और लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड से अपने दफ्तरों को समेटना शुरू कर दिया है. दरअसल एनएचपीसी, एसजेवीएनएल, NTPC जैसी राष्ट्रीय कपनियां उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं पर काम करती रही हैं. लेकिन इनके कुछ प्रोजेक्ट फिलहाल ऐसे भी हैं, जिन्हें उन्होंने शुरू किया और सैकड़ों करोड़ रुपए लगाने के बाद ये अधर में लटक गए. ऐसे में अब यह कंपनियां काम फिर से जल्द शुरू होने की उम्मीद छोड़ती दिख रही हैं.

खास बात यह है कि इसी तरह की परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड में ऊर्जा को लेकर हालात बेहतर होने की संभावना कम नजर आ रही है. इसीलिए राज्य सरकार भी सौर ऊर्जा की तरफ ज्यादा उम्मीद लगाती दिख रही है.
ये भी पढ़ें:

उत्तराखंड में पहली बार बिजली की खपत करीब 58 मिलियन यूनिट तक पहुंची. (ETV Bharat)

देहरादून: कभी ऊर्जा प्रदेश बनने का सपना देखने वाला उत्तराखंड आज ऊर्जा खरीद के कारण खजाने से करोड़ों रुपए गंवा रहा है. स्थिति यह है कि प्रदेश में अपनी मांग को पूरा करने के लिए खुद से बिजली बनाना तो दूर केंद्रीय पूल से मिल रही बिजली से भी डिमांड पूरी नहीं हो पा रही है. उधर तमाम मौसमीय कारणों के चलते तापमान में हुई बढ़ोत्तरी ने राज्य के लिए ऊर्जा के संकट को नई ऊंचाई तक पहुंचा दिया है. ताजा आंकड़ों की बात करें तो प्रदेश में बेतहाशा गर्मी के कारण ऊर्जा की डिमांड 58 मिलियन यूनिट तक पहुंच गई है, जो कि अब तक का ऊर्जा खपत को लेकर सबसे बड़ा आंकड़ा है.

राज्य में इस स्थिति के लिए इस बार पड़ रही बेहद ज्यादा गर्मी को वजह माना जा रहा है. हालांकि इसके दूसरे कई कारण भी हैं. बहरहाल ऊर्जा निगम फिलहाल सब कुछ नियंत्रण में होने की बात कह रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि ज्यादा समय ये परिस्थितियां रही तो बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. बिंदुवार समझिए क्या हैं समस्याएं.

बिजली की बढ़ती मांग

  • उत्तराखंड में इस बार एक साल में ही 25 फीसदी की विद्युत खपत बढ़ी
  • पिछले साल 44 मिलियन यूनिट की खपत इस बार 58 मिलियन यूनिट तक पहुंची
  • मौजूदा साल में बढ़े तापमान ने डिमांड को नई ऊंचाई तक पहुंचाया
  • उद्योगों की ग्रोथ, कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी में बढ़ोत्तरी और AC लोड भी है बड़ी वजह
  • बारिश ना होने से सिंचाई लोड भी इस साल बढ़ा
  • हर दिन 10 से 12 मिलियन यूनिट की हो रही बिजली खरीद
  • करोड़ों रुपए हर दिन बिजली खरीद के लिए हो रहे हैं खर्च

ऊर्जा निगम का दावा है कि बिजली की बेहद कमी होने के बावजूद भी इंडियन एनर्जी एक्सचेंज से बिजली खरीद कर आपूर्ति को पूरा की जा रही है. राज्य में कहीं पर भी कोई बिजली कटौती नहीं हो रही है. जिन जगहों पर बिजली की कटौती हो रही है, वहां पर या तो लाइन फाल्ट होने के कारण ऐसा हो रहा है, या फिर फ्यूज उड़ने से दिक्कत आ रही है. ऐसे में ऊर्जा निगम के अधिकारी ऊर्जा का संरक्षण करने के लिए अपील करते हुए दिखाई दे रहे हैं.

उधर मौसम विभाग को आने वाले समय में गर्मी का सितम और भी ज्यादा बढ़ाने की आशंका है. जून महीने में तापमान में बढ़ोत्तरी की संभावना बनी हुई है. ऐसे में यह तय है कि ऊर्जा निगम के लिए आने वाले दिनों में भी ऊर्जा की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती रहने वाली है. हालांकि इस मामले पर भी निगम के अधिकारी फ्यूचर प्लान के जरिए आपूर्ति को सुचारू रखने का दावा कर रहे हैं. इन सब दावों के बीच लोग बिजली कटौती की बात कहकर इन दिनों कई तरह की परेशानियां होने की बात कह रहे हैं. गर्मी के बीच लाइट नहीं आने से रोजमर्रा के कामों के भी इससे प्रभावित होने की बात कह रहे हैं.

नए प्रोजेक्ट नहीं बनना उत्तराखंड के लिए बना मुसीबत: उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के रूप में इसलिए भी माना गया, क्योंकि तमाम महत्वपूर्ण नदियां इसी हिमालयी राज्य से निकलती हैं. ऐसे में उत्तराखंड की हाइड्रो प्रोजेक्ट की क्षमता के आधार पर प्रदेश में कई सौ मिलियन यूनिट का बिजली उत्पादन संभव माना गया. लेकिन तमाम पर्यावरणविद् की आपत्ति और राज्य सरकारों की अदूरदर्शिता के कारण यह प्रोजेक्ट कभी पूरे ही नहीं हो पाए. इतना ही नहीं कई प्रोजेक्ट तो करोड़ों खर्च होने के बाद अधर में लटक गए.

केंद्रीय नवरत्न कंपनियां भी छोड़ रही आस: उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम करने आई देश की बड़ी कंपनियां भी अब हाथ खींचती हुई नजर आ रही हैं. इन नवरत्न कंपनियों ने भी परियोजनाओं की मौजूदा स्थिति और लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तराखंड से अपने दफ्तरों को समेटना शुरू कर दिया है. दरअसल एनएचपीसी, एसजेवीएनएल, NTPC जैसी राष्ट्रीय कपनियां उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाओं पर काम करती रही हैं. लेकिन इनके कुछ प्रोजेक्ट फिलहाल ऐसे भी हैं, जिन्हें उन्होंने शुरू किया और सैकड़ों करोड़ रुपए लगाने के बाद ये अधर में लटक गए. ऐसे में अब यह कंपनियां काम फिर से जल्द शुरू होने की उम्मीद छोड़ती दिख रही हैं.

खास बात यह है कि इसी तरह की परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड में ऊर्जा को लेकर हालात बेहतर होने की संभावना कम नजर आ रही है. इसीलिए राज्य सरकार भी सौर ऊर्जा की तरफ ज्यादा उम्मीद लगाती दिख रही है.
ये भी पढ़ें:

Last Updated : May 27, 2024, 7:09 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.