ETV Bharat / bharat

ब्रिक्स प्लस समिट: जयशंकर ने UNSC में सुधार की वकालत की, मध्य-पूर्व में संघर्ष पर की चर्चा

Jaishankar at BRICS Outreach Session: ब्रिक्स प्लस समिट में बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार की मांग की.

EAM Jaishankar pushes for UNSC reforms mentions middle East conflicts at BRICS summit
विदेश मंत्री एस जयशंकर (स्क्रीनशॉट)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 24, 2024, 7:56 PM IST

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को ब्रिक्स प्लस शिखर सम्मेलन में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत की वकालत दोहराई. उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार की मांग की, जिनकी कार्य-प्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी है.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यता श्रेणियों में सुधार के साथ बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार किया जा सकता है. भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान एक प्रयास शुरू किया था और हमें खुशी है कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया है."

अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की वकालत करते हुए जयशंकर ने पांच बिंदुओं को रेखांकित किया और कहा कि ब्रिक्स के लिए बदलाव ला सकता है. उन्होंने कहा कि हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद, कुछ दीर्घकालिक मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं. एक ओर, उत्पादन और उपभोग में निरंतर विविधता है. उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले देशों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है. नई क्षमताएं उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का दोहन करना आसान हुआ है. यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनःसंतुलन अब उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां हम वास्तविक बहुध्रुवीयता पर विचार कर सकते हैं. ब्रिक्स अपने आप में इस बात का उदारहण है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है.

उन्होंने कहा कि अतीत की कई असमानताएं अभी भी जारी हैं. हम विकास के संसाधनों और आधुनिक प्रौद्योगिकी और दक्षताओं तक पहुंच में देखते हैं. हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "इन सबके अलावा, कोविड महामारी और कई संघर्षों ने ग्लोबल साउथ द्वारा वहन किए जाने वाले बोझ को और बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य, खाद्य और ईंधन सुरक्षा की चिंताएं तेजी से बढ़ी हैं. भविष्य के शिखर सम्मेलन ने रेखांकित किया कि दुनिया एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे रह जाने के वास्तविक खतरे में है."

यह युद्ध का युग नहीं है...
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्षों और तनावों का प्रभावी ढंग से समाधान निकालना आज की विशेष आवश्यकता है. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी को याद किया कि यह युद्ध का युग नहीं है. उन्होंने कहा, "विवादों और मतभेदों को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जाना चाहिए. एक बार समझौते पर पहुंच जाने के बाद, उनका ईमानदारी से सम्मान किया जाना चाहिए. बिना किसी अपवाद के अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन किया जाना चाहिए. आतंकवाद को लेकर कठोर रुख होना चाहिए.

दो राष्ट्र समाधान की वकालत
मध्य-पूर्व की स्थिति पर दो राष्ट्र समाधान की वकालत करते हुए जयशंकर ने कहा, "पश्चिम एशिया हमारे लिए समझ में आने वाली चिंता है. इस बात की व्यापक चिंता है कि संघर्ष इस क्षेत्र में और फैल जाएगा. समुद्री व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. संघर्ष के आगे बढ़ने के मानवीय और आर्थिक नुकसान वास्तव में गंभीर हैं. कोई भी दृष्टिकोण निष्पक्ष और टिकाऊ होना चाहिए, जिससे दो राष्ट्र समाधान निकल सके.

यह भी पढ़ें- BRICS : पाकिस्तान के लिए पुतिन-जिनपिंग की 'बैटिंग', पीएम मोदी ने लगाया 'वीटो', नहीं मिली सदस्यता

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को ब्रिक्स प्लस शिखर सम्मेलन में बोलते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए भारत की वकालत दोहराई. उन्होंने बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार की मांग की, जिनकी कार्य-प्रणाली संयुक्त राष्ट्र की तरह ही पुरानी है.

उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यता श्रेणियों में सुधार के साथ बहुपक्षीय विकास बैंकों में भी सुधार किया जा सकता है. भारत ने अपनी जी-20 अध्यक्षता के दौरान एक प्रयास शुरू किया था और हमें खुशी है कि ब्राजील ने इसे आगे बढ़ाया है."

अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की वकालत करते हुए जयशंकर ने पांच बिंदुओं को रेखांकित किया और कहा कि ब्रिक्स के लिए बदलाव ला सकता है. उन्होंने कहा कि हम इस विरोधाभास का सामना कर रहे हैं कि परिवर्तन की ताकतें आगे बढ़ने के बावजूद, कुछ दीर्घकालिक मुद्दे और भी जटिल हो गए हैं. एक ओर, उत्पादन और उपभोग में निरंतर विविधता है. उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त करने वाले देशों ने अपने विकास और सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दी है. नई क्षमताएं उभरी हैं, जिससे अधिक प्रतिभाओं का दोहन करना आसान हुआ है. यह आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक पुनःसंतुलन अब उस बिंदु पर पहुंच गया है जहां हम वास्तविक बहुध्रुवीयता पर विचार कर सकते हैं. ब्रिक्स अपने आप में इस बात का उदारहण है कि पुरानी व्यवस्था कितनी गहराई से बदल रही है.

उन्होंने कहा कि अतीत की कई असमानताएं अभी भी जारी हैं. हम विकास के संसाधनों और आधुनिक प्रौद्योगिकी और दक्षताओं तक पहुंच में देखते हैं. हमें यह भी स्वीकार करना चाहिए कि वैश्वीकरण के लाभ बहुत असमान रहे हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "इन सबके अलावा, कोविड महामारी और कई संघर्षों ने ग्लोबल साउथ द्वारा वहन किए जाने वाले बोझ को और बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य, खाद्य और ईंधन सुरक्षा की चिंताएं तेजी से बढ़ी हैं. भविष्य के शिखर सम्मेलन ने रेखांकित किया कि दुनिया एसडीजी लक्ष्यों को प्राप्त करने में काफी पीछे रह जाने के वास्तविक खतरे में है."

यह युद्ध का युग नहीं है...
विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्षों और तनावों का प्रभावी ढंग से समाधान निकालना आज की विशेष आवश्यकता है. जयशंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस टिप्पणी को याद किया कि यह युद्ध का युग नहीं है. उन्होंने कहा, "विवादों और मतभेदों को बातचीत और कूटनीति से सुलझाया जाना चाहिए. एक बार समझौते पर पहुंच जाने के बाद, उनका ईमानदारी से सम्मान किया जाना चाहिए. बिना किसी अपवाद के अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन किया जाना चाहिए. आतंकवाद को लेकर कठोर रुख होना चाहिए.

दो राष्ट्र समाधान की वकालत
मध्य-पूर्व की स्थिति पर दो राष्ट्र समाधान की वकालत करते हुए जयशंकर ने कहा, "पश्चिम एशिया हमारे लिए समझ में आने वाली चिंता है. इस बात की व्यापक चिंता है कि संघर्ष इस क्षेत्र में और फैल जाएगा. समुद्री व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है. संघर्ष के आगे बढ़ने के मानवीय और आर्थिक नुकसान वास्तव में गंभीर हैं. कोई भी दृष्टिकोण निष्पक्ष और टिकाऊ होना चाहिए, जिससे दो राष्ट्र समाधान निकल सके.

यह भी पढ़ें- BRICS : पाकिस्तान के लिए पुतिन-जिनपिंग की 'बैटिंग', पीएम मोदी ने लगाया 'वीटो', नहीं मिली सदस्यता

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.