जोधपुर. समय से पहले जन्में बच्चों को उम्मेद अस्पताल में नया जीवन मिलने का सिलसिला लगातार चल रहा है. यहां पहली बार 500 ग्राम के प्रीमैच्योर बच्चे का जीवन बचाने में पहली बार कामयाबी हासिल हुई है. इसके लिए जन्म के दिन से ही लगातार 84 दिन तक उसे नर्सरी में रख कर उपचार किया गया. गुरुवार को 84वें दिन बच्चे को छुट्टी दी गई. अधीक्षक डॉ अफजल हाकिम ने शिशुरोग विभाग की टीम को बधाई देते हुए बताया कि पूरा उपचार निशुल्क हुआ है. डिस्चार्ज मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ रंजना देसाई द्वारा दिया गया और साथ में उम्मेद अस्पताल के अधीक्षक डॉ अफजल हकीम व शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ मनीष पारख भी मौजूद रहे.
हर दिन मॉनिटरिंग: यूनिट प्रभारी डॉ जेपी सोनी ने बताया कि पूर्व में 600 एवं 750 ग्राम के बच्चों का उपचार कर डिस्चार्ज किया गया. लेकिन ये पहली बार है कि 26 सप्ताह के 500 ग्राम वजन वाले बच्चे का सफल उपचार किया गया है. ऐसे हालात में ज्यादातर नवजात बचते नहीं हैं. लेकिन इसके लिए हमारे डॉक्टर्स ने काफी मेहनत की है. बच्चे की हर दिन मॉनिटरिंग, उसके ब्रेन की लगातार सोनोग्राफी होती थी, जिससे यह पता चलते रहे कि कोई परेशानी तो नहीं है, रेटिना और हिअरिंग स्क्रिनिंग होती थी. मां का दूध ही दिया जाता था. जन्म के 55 दिन में उसका वजन एक किलो हुआ. आज डिस्चार्ज पर 1 किलो 600 ग्राम वजन था.
पढ़ें: दूध की थैली से भी कम था इस बेबी गर्ल का वजन, छठे महीने में लिया जन्म
मां बोली सबने मेहनत की, तो रिकवर हुआ: पावटा निवासी रौनक कांकरिया की पत्नी कृष्णा की डिलीवरी 14 दिसंबर, 2023 को उम्मेद अस्पताल में हुई थी. उसी दिन बच्चे को NICU में भर्ती किया गया. पहले दिन ही सांस में तकलीफ होने के कारण बच्चे को नेजल प्रोंग से आक्सीजन दी गई और इनक्यूबेटर में रखा गया. एंटीबायोटिक शुरू किए गए. तीसरे दिन से नली के द्वारा बच्चे को दूध देना शुरू किया गया. 15 दिन बाद एंटीबायटिक्स बंद कर दिए गए. कृष्णा ने बताया कि डॉक्टर व स्टाफ ने मेहनत की जिसके चलते ही उसका बेटा रिकवर हुआ है. उसे नया जीवन मिला है.