पटना: बिहार बीजेपी में बड़ा फेड़बदल किया गया है. पार्टी ने सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया है. उनकी जगह दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई. एनडीए में नीतीश कुमार के शामिल होने के बाद पार्टी ने सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया था. इसके बाद से ही ऐसी अटकलें थी कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी और को दी जा सकती है. बिहार प्रदेश अध्यक्ष बदलने को लेकर शीर्ष नेतृत्व की ओर से पत्र जारी कर दिया गया है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @JPNadda ने डॉ. दिलीप जायसवाल, सदस्य, विधान परिषद, को भारतीय जनता पार्टी बिहार प्रदेश का अध्यक्ष नियुक्त किया है। pic.twitter.com/hWIfoMYAXq
— BJP (@BJP4India) July 25, 2024
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव ने जारी किया पत्र: भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने पत्र जारी किया है. जिसमें लिखा गया है कि 'बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बिहार विधान परिषद के सदस्य डॉ. दिलीप जायसवाल को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश का अध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया है. यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी.'
36 फीसदी अतिपिछड़ा वोट बैंक पर नजर : दरअसल दिलीप जायसवाल कलवार जाति से आते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने वैश्य वोट बैंक यानी 36 फीसदी अतिपिछड़ा वोटर को साधने की कोशिश की है. दिलीप जायसवाल खगड़िया जिले के रहने वाले हैं, लेकिन राजनीति सीमांचल की करते है. ऐसे में पार्टी नेताओं का मानना है कि किशनगंज, कटिहार, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया और अररिया में बीजेपी को मजबूती मिलेगी.
कोर वोटर पर लौटी बीजेपी: बता दें कि बिहार में एनडीए को नौ सीटों का नुकसान हुआ था. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए 39 सीटों पर जीती थी लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव 2024 में बिहार में एनडीए की 10 सीटों पर हार हुई. चुनाव के नतीजे का ही असर है कि बीजेपी अब अपने कोर वोटर की ओर लौटने लगी है. पार्टी ने बनिया समुदाय से आने वाले नेता दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
इस फैसले से BJP को कितना फायदा : वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद यह तय था कि कोई नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा. दिलीप जायसवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने के पीछे मकसद यह है 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वोट को साधना. दिलीप जायसवाल की छवि बेदाग रही है और वह बड़े कारोबारी भी है. इसके अलावा दिलीप जयसवाल को संघ का भी समर्थन प्राप्त है.
"बिहार की राजनीति में पिछले 30 वर्षों से पिछड़ा वर्ग बिहार की सत्ता पर काबिज है. बीजेपी ने 2025 विधानसभा चुनाव को देखते हुए अति पिछड़ा पर दांव खेला है. सीमांचल से आने वाले दिलीप जयसवाल कलवार जाति से आते हैं. वैश्य वोट बैंक को गोल बंद करने के लिए बीजेपी का यह प्रयास है.'' - अरुण पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार
सम्राट चौधरी अब रहेंगे सिर्फ उपमुख्यमंत्री: भारतीय जनता पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है. सम्राट चौधरी प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ उपमुख्यमंत्री भी थे. वहीं अब पार्टी ने सम्राट चौधरी की भूमिका सरकार में तय कर दी है. बता दें बीजेपी ने 23 मार्च 2023 को सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा का दायित्व सौंपा था. जिसके तहत बिहार बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष उन्हें चुना गया था. उस वक्त सम्राट चौधरी विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा रहे थे.
कौन हैं दिलीप जायसवाल: दिलीप जायसवाल का जन्म 2 मई 1963 को हुआ. पूर्णिया-अररिया-किशनगंज क्षेत्र संख्या 23 से एनडीए प्रत्याशी के रूप में तीन बार से चुनाव जीत कर बिहार विधान परिषद पहुंचे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में वे किशनगंज लोकसभा सीट पर उम्मीदवार भी थे. लगातार 20 वर्षों तक बिहार प्रदेश बीजेपी के कोषाध्यक्ष भी रहे हैं. वर्तमान में दिलीप जायसवाल बिहार सरकार में भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री हैं. जायसवाल जब छात्र थे तब से बीजेपी की राजनीति कर रहे हैं. वे सिक्किम बीजेपी के प्रभारी भी हैं.
सीमांचल में भी है दबदबा: दिलीप जायसवाल किशनगंज माता गुजरी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल के निदेशक हैं. सीमांचल में इनकी अच्छी पकड़ है. लंबे समय से बिहार बीजेपी में सक्रिय हैं. बिहार सरकार के मंत्री बनते ही राजस्व व भूमि सुधार विभाग में कई बदलाव किए गए. करीब तीन दशक से बीजेपी से जुड़े हुए हैं.