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'थूक जिहाद' पर अध्यादेश ला सकती है सरकार, जानें क्या है सीएम धामी का धांसू प्लानिंग?

'थूक जिहाद' पर लगाम लगाने के लिए धामी सरकार ने बनाया धांसू प्लान, डीजीपी ने जारी किए आदेश

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

Updated : 56 minutes ago

Spit Jihad Uttarakhand
थूक जिहाद पर सख्त सीएम धामी. (ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में भी खाने-पानी की चीजों में गंदगी मिलाए जाने के मामले सामने आने लगे हैं. हाल ही में देहरादून जिले के मसूरी क्षेत्र से चाय के बर्तन में थूकने का वीडियो सामने आया था, जिसका पुलिस ने संज्ञान लिया और कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार भी किया. उत्तराखंड में इस तरह के मामले सामने आने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नाराजगी भी जताई थी और ऐसा काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही थी. वहीं, अब थूक जिहाद पर लगाम लगाने के लिए धामी सरकार अध्यादेश लाने पर भी विचार कर रही है.

देहरादून के दशहरा कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंच से कहा था कि उनकी सरकार देवभूमि से थूक जिहाद के कलंक को पूरी तरह मिटा देगी. सीएम धामी के इस बयान के बाद इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए शासन की तरफ से भी आदेश जारी किए. जिसके क्रम में 15 अक्टूबर को डीजीपी अभिनव कुमार की तरफ से एक गाइडलाइन जारी की गई और सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए. वहीं, अब बताया जा रहा है कि सरकार अध्यादेश लाने की भी तैयारी कर रही है.

सीएम धामी साफ की चेतावनी: सीएम धामी साफ कर चुके हैं कि उत्तराखंड में थूक जिहाद जैसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उत्तराखंड में बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. ऐसी घटनाओं से प्रदेश की धवि खराब होगी और देश-दुनिया में देवभूमि का गलत संदेश जाएगा. देवभूमि में किसी की भी भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा. ऐसा कौन लोग कर रहे हैं, उनका भी ट्रैक रिकॉर्ड रखा जाएगा.

सीएम धामी के निर्देश: इसीलिए सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने और इस तरह का काम करने वाले के खिलाफ कड़ा कानून बनाने जा रही है, जिसके लिए सरकार बकायदा एक अध्यादेश लाएगी. सीएम धामी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित किया कि इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाए, जो भी इस तरह के काम में संलप्ति होगा, उसको सबक और सजा दोनों मिलनी चाहिए.

हाल ही में उत्तराखंड के अंदर भी इस तरह के कुछ मामले सामने आया, जिसमें पुलिस ने कार्रवाई भी की है, लेकिन कोई ठोस कानून नहीं होने के कारण आरोपी जल्दी छूट जाते हैं. भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सरकार कड़े कानून बनाने जा रही है और आरोपी को दी गई सजा एक नजीर बने.

अब तक क्या होती है मिलावट में कार्रवाई: फिलहाल, खाने-पानी की चीजों में मिलावटखोरों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई होती है. हालांकि, यह अधिनियम खाने-पीने के सामान की मिलावट मिस ब्रांडिंग सब स्टैंडर्ड ब्रांड के तहत कार्रवाई करता है. इसमें सेक्शन-58, सेक्शन-57, सेक्शन-59 और सेक्शन-55 के तहत कार्रवाई की जाती है. अगर किसी खाने पीने के समान में ऐसी वस्तु मिली हुई है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है, उसमें सेक्शन 58 और सेक्शन 57 या सेक्शन 59 के तहत कार्रवाई होती है. इसमें 6 महीने से लेकर उम्र के तक की सजा का प्रावधान है.

इसी तरह से सब स्टैंडर्ड प्रोडक्ट में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसमें ₹500000 तक जुर्माने का प्रावधान है. इसी तरह से मिस ब्रांडिंग के मामले में कानून के तहत मात्र ₹300000 का जुर्माना वसूला जाता है. अब इन कानूनों को और सख्त बनाने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है. ताकि, गलती से भी कोई किसी के जीवन के साथ खिलवाड़ न करे और न ही किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सके.

पुलिस और इंटेलिजेंस पर बड़ी जिम्मेदारी: अध्यादेश कब आएगा इसको लेकर तो कुछ स्पष्ट नहीं है. फिलहाल, सरकार ने ये जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी है. पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो इस तरह कृत्यों को पता लगाए और ऐसा गलत काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. यहीं कारण है कि डीजीपी की तरफ से जिले के पुलिस प्रभारियों को जो दिशा-निर्देश जारी किए गए है, उसमें स्पष्ट किया गया है कि होटल और ढाबों के किचन में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाए. वहीं, खाने-पानी के चीजों पर कोई मिलावट न हो इसका भी ध्यान रखा जाए.

यदि कुछ लोग इस तरह की अवैध गतिविधियां में लिफ्त पाए जाते है तो उनके खिलाफ पुलिस 274 BNS एवं 81 एक्ट के तहत कार्रवाई करें. पुलिस, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और स्थानीय प्रशासन लोगों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाएं. अभिनव कुमार की मानें तो पुलिस इन सभी घटनाओं को बारीकी से देखेगी और परखेगी. कई बार इस तरह की घटना हो जाने के बाद समाज में बड़े विवाद का कारण बन जाता है. इसलिए सभी जिले के अधिकारियों को कहा गया है कि इन सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान रखकर काम किया जाए.

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देहरादून: उत्तराखंड में भी खाने-पानी की चीजों में गंदगी मिलाए जाने के मामले सामने आने लगे हैं. हाल ही में देहरादून जिले के मसूरी क्षेत्र से चाय के बर्तन में थूकने का वीडियो सामने आया था, जिसका पुलिस ने संज्ञान लिया और कार्रवाई करते हुए दो लोगों को गिरफ्तार भी किया. उत्तराखंड में इस तरह के मामले सामने आने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने नाराजगी भी जताई थी और ऐसा काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही थी. वहीं, अब थूक जिहाद पर लगाम लगाने के लिए धामी सरकार अध्यादेश लाने पर भी विचार कर रही है.

देहरादून के दशहरा कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंच से कहा था कि उनकी सरकार देवभूमि से थूक जिहाद के कलंक को पूरी तरह मिटा देगी. सीएम धामी के इस बयान के बाद इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए शासन की तरफ से भी आदेश जारी किए. जिसके क्रम में 15 अक्टूबर को डीजीपी अभिनव कुमार की तरफ से एक गाइडलाइन जारी की गई और सभी जिलों के पुलिस प्रभारियों को दिशा-निर्देश जारी किए गए. वहीं, अब बताया जा रहा है कि सरकार अध्यादेश लाने की भी तैयारी कर रही है.

सीएम धामी साफ की चेतावनी: सीएम धामी साफ कर चुके हैं कि उत्तराखंड में थूक जिहाद जैसी घटनाओं को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उत्तराखंड में बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. ऐसी घटनाओं से प्रदेश की धवि खराब होगी और देश-दुनिया में देवभूमि का गलत संदेश जाएगा. देवभूमि में किसी की भी भावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं किया जाएगा. ऐसा कौन लोग कर रहे हैं, उनका भी ट्रैक रिकॉर्ड रखा जाएगा.

सीएम धामी के निर्देश: इसीलिए सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने और इस तरह का काम करने वाले के खिलाफ कड़ा कानून बनाने जा रही है, जिसके लिए सरकार बकायदा एक अध्यादेश लाएगी. सीएम धामी ने अधिकारियों के साथ बैठक कर यह सुनिश्चित किया कि इस तरह के मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरती जाए, जो भी इस तरह के काम में संलप्ति होगा, उसको सबक और सजा दोनों मिलनी चाहिए.

हाल ही में उत्तराखंड के अंदर भी इस तरह के कुछ मामले सामने आया, जिसमें पुलिस ने कार्रवाई भी की है, लेकिन कोई ठोस कानून नहीं होने के कारण आरोपी जल्दी छूट जाते हैं. भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सरकार कड़े कानून बनाने जा रही है और आरोपी को दी गई सजा एक नजीर बने.

अब तक क्या होती है मिलावट में कार्रवाई: फिलहाल, खाने-पानी की चीजों में मिलावटखोरों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कार्रवाई होती है. हालांकि, यह अधिनियम खाने-पीने के सामान की मिलावट मिस ब्रांडिंग सब स्टैंडर्ड ब्रांड के तहत कार्रवाई करता है. इसमें सेक्शन-58, सेक्शन-57, सेक्शन-59 और सेक्शन-55 के तहत कार्रवाई की जाती है. अगर किसी खाने पीने के समान में ऐसी वस्तु मिली हुई है, जिससे जीवन को खतरा हो सकता है, उसमें सेक्शन 58 और सेक्शन 57 या सेक्शन 59 के तहत कार्रवाई होती है. इसमें 6 महीने से लेकर उम्र के तक की सजा का प्रावधान है.

इसी तरह से सब स्टैंडर्ड प्रोडक्ट में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसमें ₹500000 तक जुर्माने का प्रावधान है. इसी तरह से मिस ब्रांडिंग के मामले में कानून के तहत मात्र ₹300000 का जुर्माना वसूला जाता है. अब इन कानूनों को और सख्त बनाने के लिए सरकार अध्यादेश लाने जा रही है. ताकि, गलती से भी कोई किसी के जीवन के साथ खिलवाड़ न करे और न ही किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सके.

पुलिस और इंटेलिजेंस पर बड़ी जिम्मेदारी: अध्यादेश कब आएगा इसको लेकर तो कुछ स्पष्ट नहीं है. फिलहाल, सरकार ने ये जिम्मेदारी पुलिस को सौंपी है. पुलिस की जिम्मेदारी है कि वो इस तरह कृत्यों को पता लगाए और ऐसा गलत काम करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे. यहीं कारण है कि डीजीपी की तरफ से जिले के पुलिस प्रभारियों को जो दिशा-निर्देश जारी किए गए है, उसमें स्पष्ट किया गया है कि होटल और ढाबों के किचन में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाए. वहीं, खाने-पानी के चीजों पर कोई मिलावट न हो इसका भी ध्यान रखा जाए.

यदि कुछ लोग इस तरह की अवैध गतिविधियां में लिफ्त पाए जाते है तो उनके खिलाफ पुलिस 274 BNS एवं 81 एक्ट के तहत कार्रवाई करें. पुलिस, नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत और स्थानीय प्रशासन लोगों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाएं. अभिनव कुमार की मानें तो पुलिस इन सभी घटनाओं को बारीकी से देखेगी और परखेगी. कई बार इस तरह की घटना हो जाने के बाद समाज में बड़े विवाद का कारण बन जाता है. इसलिए सभी जिले के अधिकारियों को कहा गया है कि इन सभी पहलुओं पर विशेष ध्यान रखकर काम किया जाए.

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