नई दिल्ली: नए पायलट ड्यूटी मानदंडों को स्थगित करने के लिए कई एयरलाइनों के अनुरोध के बावजूद, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) अपनी स्थिति पर अड़ा हुआ है और दोहराया है कि संशोधित कार्यक्रम 1 जून से लागू किया जाएगा. नए नियमों के अनुसार, पायलटों के लिए साप्ताहिक आराम जो पहले प्रति सप्ताह 36 घंटे था, अब बढ़ाकर 48 घंटे प्रति सप्ताह कर दिया गया है, जिससे डीजीसीए के अनुसार 'संचयी थकान से उबरने के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित हो सके'.
इसी प्रकार, रात्रि ड्यूटी के प्रयोजन के लिए, रात की परिभाषा में संशोधन किया गया है और अब यह पहले के नियम के तहत आधी रात से सुबह 5:00 बजे के बजाय आधी रात से सुबह 6:00 बजे तक की अवधि को कवर करेगी. रात के समय का अतिक्रमण करने वाली उड़ानों के लिए अधिकतम उड़ान शुल्क अवधि भी 10 घंटे से घटाकर आठ घंटे कर दी गई है.
संशोधित नियमों के तहत पायलटों की अधिकतम ड्यूटी समय और लैंडिंग की संख्या दो तक सीमित है. साथ ही, सभी एयरलाइनों को अनिवार्य रूप से त्रैमासिक थकान रिपोर्ट जमा करनी होगी, जिसे 'गैर-दंडात्मक और गोपनीयता नीति का पालन करना चाहिए.'
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एक एयरलाइन पायलट ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत से कहा कि 'यह एक साहसिक कदम है और घरेलू क्षेत्र को कवर करने वाले पायलट इसका स्वागत कर रहे हैं. लेकिन, कुछ मुद्दे हैं जिन पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है. लगातार रात की ड्यूटी पर रोक लगाने के अनुरोध का जिक्र करते हुए जिसे अनसुना कर दिया गया.'
इसी तरह, एक अन्य वरिष्ठ पायलट, जो अब एक फ्लाइंग स्कूल में काम कर रहे हैं, उन्होंने इस कदम का स्वागत किया और कहा कि 'डीजीसीए द्वारा उठाए गए इस कदम का स्वागत किया जाना चाहिए, क्योंकि पायलट की थकान एक गंभीर मुद्दा है और इतने लंबे समय तक इस पर ध्यान नहीं दिया गया.'
एयरलाइंस क्यों कर रही हैं इसका विरोध ?
ध्यान देने वाली बात यह है कि इंडिगो, एयर इंडिया, विस्तारा और स्पाइसजेट सहित प्रमुख भारतीय एयरलाइंस के गठबंधन ने पिछले महीने फेडरेशन ऑफ इंडियन एयरलाइंस (एफआईए) के प्रतिनिधित्व में डीजीसीए से पायलटों के आराम और ड्यूटी अवधि को नियंत्रित करने वाले नए नियमों के कार्यान्वयन को एक साल के लिए स्थगित करने का आग्रह किया था. उनका कहना था कि नए मानदंडों को लागू करने के लिए लगभग 25 प्रतिशत अधिक पायलटों की आवश्यकता होगी.
इसमें आगे कहा गया कि वे 1 जून तक इतने सारे पायलटों को काम पर रखने और प्रशिक्षित करने में सक्षम नहीं होंगे और आगाह किया कि समय सीमा बढ़ाने में विफलता के कारण कुछ लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों सहित विभिन्न एयरलाइनों में 15 प्रतिशत -20 प्रतिशत उड़ानें रद्द हो सकती हैं. हालांकि, डीजीसीए ने इन अनुरोधों को खारिज कर दिया है, लेकिन यह मुद्दा उठ गया है कि क्या इससे हवाई किराए पर असर पड़ने की संभावना है.
जब इसके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए विमानन संस्था फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (एफआईपी) से संपर्क किया तो, तो सभी प्रश्नों के उत्तर नहीं मिल पाए, क्योंकि या तो अधिकारियों ने फोन नहीं उठाया और अन्य ने अधिकारियों ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. नागरिक उड्डयन मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, 'भारत में हमारे पास लगभग 10,000 पंजीकृत पायलट हैं.'
इस पर एक वरिष्ठ पायलट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि 'एयरलाइंस द्वारा इस कदम का विरोध करने का एकमात्र कारण यह है कि डीजीसीए के इस कदम के प्रभावी होने के बाद अधिक से अधिक पायलटों की आवश्यकता होगी और इससे व्यावसायिक गणना में बदलाव आ सकता है.'
हालांकि डीजीसीए अब तक अपने रुख पर कायम है और उसने सूचित किया है कि एयरलाइंस को 15 अप्रैल तक संशोधित योजनाएं प्रदान करनी होंगी, लेकिन समय ही बताएगा कि इसका खामियाजा यात्रियों को भुगतना पड़ेगा या नहीं.