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जम्मू-कश्मीर में मुफ्त दवा नीति के बाद भी सरकारी अस्पतालों में नहीं मिल रहीं दवाएं - Free Medicine Policy

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 16, 2024, 6:24 PM IST

कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र ने जम्मू कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में मिलने वाले इलाज को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि राज्य में मुफ्त दवा नीति लागू हुए 7 साल हो गए हैं, लेकिन अस्पताल के अधिकांश सरकारी अस्पतालों में मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं.

Medicines not available in government hospital
सरकारी अस्पताल में नहीं मिल रही दवाएं (फोटो - ANI Photo)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा नीति लागू हुए 7 साल से ज्यादा समय हो गया है. लेकिन अभी भी घाटी के अधिकांश जिलों में मुफ्त दवा नीति का पूर्ण क्रियान्वयन नहीं हो सका है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कश्मीर घाटी के जिला, उप-जिला, प्राथमिक स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज और इलाज की व्यवस्था बंद कर दी गई है. मरीजों को बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है.

कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मुफ्त दवा नीति पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि मुफ्त दवा नीति के कार्यान्वयन में समस्याएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश जिलों, उप-जिलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज करा रहे मरीज 70 प्रतिशत दवाएं बाजार से खरीदने को मजबूर हैं.

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने जम्मू-कश्मीर में नशा मुक्त नीति लागू की है. उक्त नीति के तहत जिला अस्पतालों में 221, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 72, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 32 तथा यूपीएचसी में 11 दवाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं. लेकिन ज्यादातर जिलों में लोगों को खुद ही अलग-अलग कंपनियों की दवाएं खरीदनी पड़ती हैं.

जनसंख्या अनुसंधान शोधकर्ता विभाग ने दक्षिण कुलगाम जिले के विभिन्न अस्पतालों की समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुफ्त दवा नीति लागू होने के बावजूद, कुलगाम जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं, मधुमेह और रक्तचाप के रोगियों को मुफ्त दवाएं प्रदान की जाती हैं, जबकि जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में अन्य रोगियों को कोई दवा मुफ्त प्रदान नहीं की जाती है. यहां तक कि मरीजों को इंजेक्शन के लिए सीरिंज आदि भी खरीदनी पड़ रही है.

वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों और बुजुर्ग मरीजों को एक साल के लिए 30 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जबकि बाकी 70 प्रतिशत दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ती हैं. इसी तरह, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के सभी सरकारी चिकित्सा केंद्रों में केवल 50 प्रतिशत दवाएं मुफ्त प्रदान की जाती हैं.

दवाओं की आपूर्ति कम होने के कारण जिले में अस्पताल प्रशासन केवल प्रसूति महिलाओं और गरीब परिवार के मरीजों का ही इलाज करता है. वे निःशुल्क दवा नीति के तहत दवाएं उपलब्ध कराते हैं. बारामूला जिले में मुफ्त दवा नीति को ठीक से लागू नहीं किया गया है.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा नीति लागू हुए 7 साल से ज्यादा समय हो गया है. लेकिन अभी भी घाटी के अधिकांश जिलों में मुफ्त दवा नीति का पूर्ण क्रियान्वयन नहीं हो सका है. एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि कश्मीर घाटी के जिला, उप-जिला, प्राथमिक स्वास्थ्य और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज और इलाज की व्यवस्था बंद कर दी गई है. मरीजों को बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है.

कश्मीर विश्वविद्यालय के जनसंख्या अनुसंधान केंद्र ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मुफ्त दवा नीति पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कहा गया है कि मुफ्त दवा नीति के कार्यान्वयन में समस्याएं हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश जिलों, उप-जिलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज करा रहे मरीज 70 प्रतिशत दवाएं बाजार से खरीदने को मजबूर हैं.

ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने जम्मू-कश्मीर में नशा मुक्त नीति लागू की है. उक्त नीति के तहत जिला अस्पतालों में 221, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 72, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 32 तथा यूपीएचसी में 11 दवाएं निःशुल्क प्रदान की जाती हैं. लेकिन ज्यादातर जिलों में लोगों को खुद ही अलग-अलग कंपनियों की दवाएं खरीदनी पड़ती हैं.

जनसंख्या अनुसंधान शोधकर्ता विभाग ने दक्षिण कुलगाम जिले के विभिन्न अस्पतालों की समीक्षा के बाद अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुफ्त दवा नीति लागू होने के बावजूद, कुलगाम जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं, मधुमेह और रक्तचाप के रोगियों को मुफ्त दवाएं प्रदान की जाती हैं, जबकि जिला अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में अन्य रोगियों को कोई दवा मुफ्त प्रदान नहीं की जाती है. यहां तक कि मरीजों को इंजेक्शन के लिए सीरिंज आदि भी खरीदनी पड़ रही है.

वहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बच्चों और बुजुर्ग मरीजों को एक साल के लिए 30 प्रतिशत दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं, जबकि बाकी 70 प्रतिशत दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ती हैं. इसी तरह, उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के सभी सरकारी चिकित्सा केंद्रों में केवल 50 प्रतिशत दवाएं मुफ्त प्रदान की जाती हैं.

दवाओं की आपूर्ति कम होने के कारण जिले में अस्पताल प्रशासन केवल प्रसूति महिलाओं और गरीब परिवार के मरीजों का ही इलाज करता है. वे निःशुल्क दवा नीति के तहत दवाएं उपलब्ध कराते हैं. बारामूला जिले में मुफ्त दवा नीति को ठीक से लागू नहीं किया गया है.

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