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सावधान! साइबर ठगों का एक और अटैक, रिटायर्ड शिक्षक को 9 दिन किया डिजिटल अरेस्ट, दो करोड़ से अधिक की ठगी - DEHRADUN DIGITAL ARREST

Dehradun Digital Arrest Case उत्तराखंड में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साइबर ठग लोगों को कार्रवाई का डर दिखाकर निशाना बना रहे हैं. वहीं साइबर ठगों ने देहरादून में रिटायर्ड शिक्षक को मनी लांड्रिंग का डर दिखाकर करोड़ों रुपए की ठगी कर डाली.

Dehradun Digital Arrest Case
रिटायर्ड शिक्षक से करोड़ों की ठगी (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 30, 2024, 12:24 PM IST

देहरादून (उत्तराखंड): कोतवाली पटेल नगर क्षेत्र के अंर्तगत एक रिटायर्ड शिक्षक को 9 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगों ने दो करोड़ रुपए से अधिक ठग लिए. साइबर ठगों ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया और मनी लांड्रिंग के 20 लाख रुपए के लेनदेन की बात बताकर पीड़ित को डराया. पीड़ित की तहरीर के आधार पर साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज लिया है. फिलहाल साइबर पुलिस मामले की जांच कर रही है.

ठगों ने रिटायर्ड शिक्षक से करोड़ों की ठगी: निरंजनपुर निवासी रिटायर्ड शिक्षक महिपाल सिंह ने क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि 9 सितंबर को उनके पास मुंबई साइबर क्राइम के नाम से कॉल आई और फोनकर्ता ने खुद को सब इंस्पेक्टर विनोय कुमार चौबे बताया. फोनकर्ता ने उन्हें एक मुकदमे के संबंध में वीडियो कॉल पर बात करने के लिए कहा. वीडियो कॉल में फोनकर्ता ने कहा कि उनके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से एक बैंक खाता खोला गया है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का 20 लाख रुपए का लेनदेन हुआ है. जिस वजह से उनके नाम से अरेस्ट वारंट निकला है.

पीड़ित को किया डिजिटल अरेस्ट: उसके बाद पीड़ित ने बचाव के लिए उपाय पूछा तो उनको बताया गया कि पीड़ित उनकी निगरानी में रहेंगे और हर तीन घंटे में व्हाट्सएप पर मौजूदगी के मैसेज करने होंगे. साथ ही यात्रा भी नहीं कर सकते हैं. उसके बाद 10 सितंबर को विनोय कुमार नाम के व्यक्ति ने फिर फोन किया और पुलिस अधिकारी आकाश कुल्हारी से बात करने को कहा. इस दौरान पीड़ित को नोटिस और कोर्ट के दस्तावेज भी भेजे गए.

साइबर ठगों ने पीड़ित के सभी बैंक खातों की जानकारी भी ले ली. इसके बाद 11 सितंबर से 17 सितंबर के बीच ठगों के खातों में पीड़ित ने दो करोड़ 27 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. उसके बाद साइबर ठगों ने और धनराशि जमा करने के लिए कहा तो तब पीड़ित को अपने साथ ठगी का अहसास हुआ.

बढ़ते मामलों में क्या कह रही पुलिस: मामले में साइबर क्राइम सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया है कि पीड़ित की तहरीर के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. पीड़ित द्वारा जिन बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर हुए उन बैंक खातों की जांच कराई जा रही है. साथ ही बताया कि साइबर ठगी की घटनाओं में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें कॉल करने वाला अलग-अलग तरह के अपराध का भय दिखाता है और फिर वीडियो कॉल पर अपने सामने बैठाकर पुलिस अधिकारी बनकर पूछताछ करता रहता है. साइबर ठग वीडियो कॉल के दौरान बैंकग्राउंड पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं, जिसे देखकर पीड़ित डर जाता है. इस कारण वह ठगों के जाल में फंस जाता है. पीड़ित को वीडियो कॉल से हटने नहीं दिया जाता है और ना ही किसी से संपर्क करने दिया जाता है.

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ठगों ने रिटायर्ड शिक्षक से करोड़ों की ठगी: निरंजनपुर निवासी रिटायर्ड शिक्षक महिपाल सिंह ने क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई कि 9 सितंबर को उनके पास मुंबई साइबर क्राइम के नाम से कॉल आई और फोनकर्ता ने खुद को सब इंस्पेक्टर विनोय कुमार चौबे बताया. फोनकर्ता ने उन्हें एक मुकदमे के संबंध में वीडियो कॉल पर बात करने के लिए कहा. वीडियो कॉल में फोनकर्ता ने कहा कि उनके आधार कार्ड और मोबाइल नंबर से एक बैंक खाता खोला गया है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग का 20 लाख रुपए का लेनदेन हुआ है. जिस वजह से उनके नाम से अरेस्ट वारंट निकला है.

पीड़ित को किया डिजिटल अरेस्ट: उसके बाद पीड़ित ने बचाव के लिए उपाय पूछा तो उनको बताया गया कि पीड़ित उनकी निगरानी में रहेंगे और हर तीन घंटे में व्हाट्सएप पर मौजूदगी के मैसेज करने होंगे. साथ ही यात्रा भी नहीं कर सकते हैं. उसके बाद 10 सितंबर को विनोय कुमार नाम के व्यक्ति ने फिर फोन किया और पुलिस अधिकारी आकाश कुल्हारी से बात करने को कहा. इस दौरान पीड़ित को नोटिस और कोर्ट के दस्तावेज भी भेजे गए.

साइबर ठगों ने पीड़ित के सभी बैंक खातों की जानकारी भी ले ली. इसके बाद 11 सितंबर से 17 सितंबर के बीच ठगों के खातों में पीड़ित ने दो करोड़ 27 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए. उसके बाद साइबर ठगों ने और धनराशि जमा करने के लिए कहा तो तब पीड़ित को अपने साथ ठगी का अहसास हुआ.

बढ़ते मामलों में क्या कह रही पुलिस: मामले में साइबर क्राइम सीओ अंकुश मिश्रा ने बताया है कि पीड़ित की तहरीर के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. पीड़ित द्वारा जिन बैंक खातों में रुपए ट्रांसफर हुए उन बैंक खातों की जांच कराई जा रही है. साथ ही बताया कि साइबर ठगी की घटनाओं में डिजिटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसमें कॉल करने वाला अलग-अलग तरह के अपराध का भय दिखाता है और फिर वीडियो कॉल पर अपने सामने बैठाकर पुलिस अधिकारी बनकर पूछताछ करता रहता है. साइबर ठग वीडियो कॉल के दौरान बैंकग्राउंड पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं, जिसे देखकर पीड़ित डर जाता है. इस कारण वह ठगों के जाल में फंस जाता है. पीड़ित को वीडियो कॉल से हटने नहीं दिया जाता है और ना ही किसी से संपर्क करने दिया जाता है.

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