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जम्मू-कश्मीर: 4 सालों से मासूमों को इंजीनियर पिता के सऊदी की जेल से छूटने का इंतजार - KASHMIRI ENGINEER IMPRISONED

कश्मीर का रहने वाला एक इंजीनियर 2020 से सऊदी अरब की जेल में कैद है. परिवार का आरोप है कि उसे वहां फंसाया गया.

Kashmiri Engineer  Children Wait for Their Father Imprisoned in a Saudi Arabian Jail
सऊदी अरब की जेल में कैद जम्मू-कश्मीर के इंजीनियर (ETV Bharat Urdu Desk)
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By Muhammad Zulqarnain Zulfi

Published : Feb 1, 2025, 5:09 PM IST

श्रीनगर: छह वर्षीय हफ्सा और उसके चार वर्षीय भाई मोहम्मद अनवर के लिए प्रतीक्षा करना जीवन का एक हिस्सा बन गया है. हर दिन अपनी मां और दादा, मंजूर उल हक बाबा के साथ वे उम्मीद से चिपके रहते हैं. उम्मीद है कि उनके पिता, अब्दुल रफी बाबा आखिरकार घर लौट आएंगे. वह पिछले चार सालों से सऊदी अरब में कैद है जिससे परिवार पर गहरा असर पड़ा है.

श्रीनगर के सौरा के 36 वर्षीय नेटवर्किंग इंजीनियर अब्दुल रफी सऊदी अरब के अल-अहसा क्षेत्र के होफ़ुफ शहर में किंग फैसल यूनिवर्सिटी में काम कर रहे थे. लेकिन 2020 की शुरुआत में उनकी जिंदगी ने एक अप्रत्याशित मोड़ ले लिया.

उनके परिवार के अनुसार अब्दुल रफी को उनके दफ्तर से उठाया गया और बाद में सऊदी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. एक मार्च 2020 को यह दुखद समाचार उनके पास पहुंचा जिससे वे सदमे में आ गए. तब से उनका परिवार उनके हालचाल और ठिकाने के बारे में जानने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए अब्दुल रफी के पिता मंजूर उल हक बाबा ने उस दिन को याद किया जब उनका बेटा बेहतर भविष्य की तलाश में घर छोड़कर चला गया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अब्दुल रफी के पिता मंजूर उल हक बाबा ने उस दिन को याद किया जब उनका बेटा बेहतर भविष्य की तलाश में घर से निकला था. उन्होंने कहा, 'यह करीब दस साल पहले की बात है जब मेरा बेटा अब्दुल रफी आजीविका कमाने के लिए सऊदी अरब गया था.' उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा कि उनका बेटा हमेशा से कानून का पालन करने वाला नागरिक रहा है. उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में उसके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, यहां तक ​​कि मामूली मामला भी नहीं. कोई भी जम्मू-कश्मीर पुलिस से इसकी पुष्टि कर सकता है.'

फिर भी अपने साफ-सुथरे रिकॉर्ड के बावजूद अब्दुल रफी चार साल से सलाखों के पीछे है. उसके पिता को जवाब नहीं मिल पा रहा है. हमें नहीं पता कि उसके खिलाफ क्या आरोप हैं. उन्होंने चिंता से भरी आवाज में कहा. लेकिन उसके सहकर्मियों ने हमें बताया कि उसकी कंपनी में कुछ समस्याएं थी और उसे झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. उम्र मेरे पक्ष में नहीं है और न ही समय. मैं बूढ़ा विधुर हूं. मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. मैं अपने बेटे की तलाश कर रहा हूं.

उन्हें कुछ साल पहले अपने बेटे से मिले एक फोन कॉल की याद आती है. इतने सालों में यह एक छोटा-सा पल था जब वे मेरे साथ जुड़े थे. उसने मुझे बताया कि उसे झूठे मामलों में फंसाया गया है. उसके खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हुआ है. लेकिन चूंकि कोई भी उसके लिए नहीं लड़ रहा है, इसलिए उसे सऊदी अदालतों में न्याय नहीं मिल रहा है.' अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए उनकी आवाज लड़खड़ा जाती है. उन्होंने कहा, 'हम आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. हमारे पास सऊदी अरब जाकर उसका केस लड़ने के लिए साधन नहीं हैं.'

अधिकारियों से संपर्क करने के प्रयासों के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा, 'मैंने गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन मुझे अभी तक एक भी जवाब नहीं मिला है. मैं असहाय महसूस कर रहा हूं.' उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि उनके बेटे के मामले में न्याय के लिए लड़ने में उनकी मदद करें. अब्दुल रफी के बच्चे चुपचाप बैठे हैं. उनकी बड़ी-बड़ी आंखें अपनी मां और दादा से जवाब मांग रही है लेकिन उन्हें बस एक आश्वासन मिलता है. वही जो उन्होंने पहले भी सुना है कि वह अगली ईद पर आपके लिए उपहार लेकर यहां आएगा.

ये भी पढ़ें- सांसद इंजीनियर रशीद की संसद सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत याचिका पर NIA को नोटिस जारी - TERROR FUNDING CASE

श्रीनगर: छह वर्षीय हफ्सा और उसके चार वर्षीय भाई मोहम्मद अनवर के लिए प्रतीक्षा करना जीवन का एक हिस्सा बन गया है. हर दिन अपनी मां और दादा, मंजूर उल हक बाबा के साथ वे उम्मीद से चिपके रहते हैं. उम्मीद है कि उनके पिता, अब्दुल रफी बाबा आखिरकार घर लौट आएंगे. वह पिछले चार सालों से सऊदी अरब में कैद है जिससे परिवार पर गहरा असर पड़ा है.

श्रीनगर के सौरा के 36 वर्षीय नेटवर्किंग इंजीनियर अब्दुल रफी सऊदी अरब के अल-अहसा क्षेत्र के होफ़ुफ शहर में किंग फैसल यूनिवर्सिटी में काम कर रहे थे. लेकिन 2020 की शुरुआत में उनकी जिंदगी ने एक अप्रत्याशित मोड़ ले लिया.

उनके परिवार के अनुसार अब्दुल रफी को उनके दफ्तर से उठाया गया और बाद में सऊदी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. एक मार्च 2020 को यह दुखद समाचार उनके पास पहुंचा जिससे वे सदमे में आ गए. तब से उनका परिवार उनके हालचाल और ठिकाने के बारे में जानने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है. ईटीवी भारत से बात करते हुए अब्दुल रफी के पिता मंजूर उल हक बाबा ने उस दिन को याद किया जब उनका बेटा बेहतर भविष्य की तलाश में घर छोड़कर चला गया था.

ईटीवी भारत से बात करते हुए अब्दुल रफी के पिता मंजूर उल हक बाबा ने उस दिन को याद किया जब उनका बेटा बेहतर भविष्य की तलाश में घर से निकला था. उन्होंने कहा, 'यह करीब दस साल पहले की बात है जब मेरा बेटा अब्दुल रफी आजीविका कमाने के लिए सऊदी अरब गया था.' उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा कि उनका बेटा हमेशा से कानून का पालन करने वाला नागरिक रहा है. उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में उसके खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है, यहां तक ​​कि मामूली मामला भी नहीं. कोई भी जम्मू-कश्मीर पुलिस से इसकी पुष्टि कर सकता है.'

फिर भी अपने साफ-सुथरे रिकॉर्ड के बावजूद अब्दुल रफी चार साल से सलाखों के पीछे है. उसके पिता को जवाब नहीं मिल पा रहा है. हमें नहीं पता कि उसके खिलाफ क्या आरोप हैं. उन्होंने चिंता से भरी आवाज में कहा. लेकिन उसके सहकर्मियों ने हमें बताया कि उसकी कंपनी में कुछ समस्याएं थी और उसे झूठे आरोपों में गिरफ्तार किया गया था. उम्र मेरे पक्ष में नहीं है और न ही समय. मैं बूढ़ा विधुर हूं. मेरी देखभाल करने वाला कोई नहीं है. मैं अपने बेटे की तलाश कर रहा हूं.

उन्हें कुछ साल पहले अपने बेटे से मिले एक फोन कॉल की याद आती है. इतने सालों में यह एक छोटा-सा पल था जब वे मेरे साथ जुड़े थे. उसने मुझे बताया कि उसे झूठे मामलों में फंसाया गया है. उसके खिलाफ कुछ भी साबित नहीं हुआ है. लेकिन चूंकि कोई भी उसके लिए नहीं लड़ रहा है, इसलिए उसे सऊदी अदालतों में न्याय नहीं मिल रहा है.' अपने संघर्षों के बारे में बात करते हुए उनकी आवाज लड़खड़ा जाती है. उन्होंने कहा, 'हम आर्थिक रूप से टूट चुके हैं. हमारे पास सऊदी अरब जाकर उसका केस लड़ने के लिए साधन नहीं हैं.'

अधिकारियों से संपर्क करने के प्रयासों के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली. उन्होंने कहा, 'मैंने गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर को कई पत्र लिखे हैं, लेकिन मुझे अभी तक एक भी जवाब नहीं मिला है. मैं असहाय महसूस कर रहा हूं.' उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि उनके बेटे के मामले में न्याय के लिए लड़ने में उनकी मदद करें. अब्दुल रफी के बच्चे चुपचाप बैठे हैं. उनकी बड़ी-बड़ी आंखें अपनी मां और दादा से जवाब मांग रही है लेकिन उन्हें बस एक आश्वासन मिलता है. वही जो उन्होंने पहले भी सुना है कि वह अगली ईद पर आपके लिए उपहार लेकर यहां आएगा.

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