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आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए : सुप्रीम कोर्ट - SC directs CBI probe - SC DIRECTS CBI PROBE

SC directs CBI probe : सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक मामले में जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने टिप्पणी की कि आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए.

SC directs CBI probe
जांच सीबीआई करेगी
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By Sumit Saxena

Published : Mar 26, 2024, 6:20 PM IST

नई दिल्ली : मणिपुर की रहने वाली महिला 2013 में दिल्ली में किराए के मकान में संदिग्ध हालात में मृत पाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं. शुरुआत में पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था. हालांकि पूरे कमरे में खून बिखरा हुआ था और मृतका का चेहरा कुचला हुआ था, इस कारण बाद में हत्या का मामला दर्ज किया गया था.

मृतकों के परिजन असली दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए दर-दर भटकते रहे, लेकिन उन्हें अप्रभावी जांच का सामना करना पड़ा. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए, और अदालतों को आम नागरिकों द्वारा उसके समक्ष लाई गई वास्तविक शिकायतों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता है.

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह कहा जाहिर तौर पर 25 साल की एक युवा लड़की के आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं दिखता है और प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला नहीं लगता है.

पीठ ने कहा कि वर्तमान अपीलकर्ता, जो मृतक के करीबी रिश्तेदार हैं और मणिपुर के निवासी हैं. उन्होंने हमेशा दावा किया है कि यह दुष्कर्म और हत्या का मामला है, और पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है.

पीठ ने कहा कि मृतक मणिपुर के 'उखरूल' जिले का रहने वाली थी, जो दिल्ली से बहुत दूर है. मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि अगर जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

ये है मामला : दिल्ली के चिराग दिल्ली इलाके में उसके किराए के आवास पर लड़की का शव मिलने के तीन दिन बाद 31 मई, 2013 को दिल्ली पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने की एफआईआर दर्ज की थी. शरीर पर किए गए दो पोस्टमॉर्टम में मौत का सटीक कारण नहीं बताया गया, हालांकि इसमें 11 अलग-अलग चोटें दर्ज की गईं.

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मृतकों के परिजन असली दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए दर-दर भटकते रहे, लेकिन उन्हें अप्रभावी जांच का सामना करना पड़ा. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि आपराधिक जांच निष्पक्ष और प्रभावी दोनों होनी चाहिए, और अदालतों को आम नागरिकों द्वारा उसके समक्ष लाई गई वास्तविक शिकायतों के प्रति सक्रिय रहने की आवश्यकता है.

न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने यह कहा जाहिर तौर पर 25 साल की एक युवा लड़की के आत्महत्या करने का कोई कारण नहीं दिखता है और प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला नहीं लगता है.

पीठ ने कहा कि वर्तमान अपीलकर्ता, जो मृतक के करीबी रिश्तेदार हैं और मणिपुर के निवासी हैं. उन्होंने हमेशा दावा किया है कि यह दुष्कर्म और हत्या का मामला है, और पुलिस आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है.

पीठ ने कहा कि मृतक मणिपुर के 'उखरूल' जिले का रहने वाली थी, जो दिल्ली से बहुत दूर है. मामले में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि अगर जांच सीबीआई को स्थानांतरित की जाती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है.

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