जयपुर : राज्य सरकार के निर्देश पर कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से 27 और 28 सितंबर को समान पात्रता परीक्षा ग्रेजुएशन लेवल का आयोजन कराया गया. बोर्ड ने एक प्रयोग करते हुए पहली बार परीक्षा से ठीक पहले लॉटरी के जरिए ये निर्धारित किया कि किस पारी में कौन सा पेपर आएगा. इसके चलते अब तक परीक्षा को लेकर किसी तरह की धांधली की शिकायत सामने नहीं आई. हालांकि, शुक्रवार को दूसरी पारी में एक अभ्यर्थी की जनेऊ उतरवाने का मामला सामने आया है, जिसका विरोध भी किया जा रहा है.
अभ्यर्थी का जनेऊ उतरवाने का मामला : राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से आयोजित कराई गई समान पात्रता परीक्षा (ग्रेजुएशन लेवल) के दौरान कहीं अभ्यर्थियों के कपड़े उतरवाए गए, कहीं हाथ और गले में बांधे रहे मन्नत के डोरे और ताबीज उतरवाए गए. वहीं, जयपुर के एक केंद्र पर अभ्यर्थी का जनेऊ उतरवाने का मामला सामने आया है, जिस पर विप्र फाउंडेशन ने भी आपत्ति जताई है. मामले को लेकर बांसवाड़ा निवासी कैंडिडेट हरेन दवे ने जिला कलेक्टर को शिकायत दी, जिसमें बताया कि 27 सितंबर को जयपुर की टोंक फाटक स्थित महात्मा गांधी स्कूल में समान पात्रता परीक्षा को लेकर उनका परीक्षा केंद्र आया था. वो इस परीक्षा में अपने निर्धारित यूनिफॉर्म कोड में ही पहुंचे थे.
कैंडिडेट के अनुसार यहां पहले उनके हाथ में बंधा हुआ कलावा कटवाया गया और फिर पुलिस कांस्टेबल ने जनेऊ पर भी अपनी आपत्ति जताई. इसका विरोध करने पर उन्हें पहले केंद्र अधीक्षक के पास ले जाया गया. यहां उन्होंने अपनी बात भी रखी कि वो जनेऊ नहीं निकाल सकते. इससे पहले भी जो भर्ती परीक्षा में उन्होंने भाग लिया है वहां पर भी जनेऊ पर किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई गई और न ही बोर्ड ने इस तरह के कोई निर्देश दिए थे. इस पर जब केंद्र अधीक्षक ने परीक्षा नहीं दे पाने की बात कही तब मजबूरन उन्हें जनेऊ निकालना पड़ा.
मुझे मीडिया से शाम को पता लगा की सीईटी के एग्जाम सेंटर पर कल किसी कैंडिडेट का परीक्षा में जनेऊ को उतारने का प्रकरण हुआ है। जनेऊ चेक करना सही था मगर उतरवाना अनुचित। लेकिन मुझे नहीं लगता की यह उन अध्यापक जी ने किसी दुर्भावना से किया होगा। शायद उन्होंने चेकिंग के नियमों को…
— Alok Raj (@alokrajRSSB) September 28, 2024
बोर्ड अध्यक्ष ने दी ये सफाई : मामला संज्ञान में आने के बाद कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने सोशल मीडिया पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जनेऊ चेक करना सही था, मगर उतरवाना अनुचित था. उन्हें लगता नहीं कि ये उन अध्यापक ने किसी दुर्भावना से किया होगा. उन्होंने चेकिंग के नियमों को मिस इंटरप्रेट किया होगा. अपनी समझ से ड्यूटी की पालना की. उम्मीद है कि इस प्रकरण को अन्यथा नहीं लिया जाएगा. हालांकि, मामले में विप्र फाउंडेशन राजस्थान ने ब्राह्मणों के साथ हुए इस व्यवहार को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किए जाने की बात कही है. साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार जल्द से जल्द दोषी पुलिसकर्मी और स्कूल स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, तो ब्राह्मण समाज सड़क पर उतरकर आंदोलन करेगा.