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पायलट बाबा की महासमाधि के बाद शिष्या केको आईकावा को बनाया गया समिति का अध्यक्ष, 2 महामंत्री भी करेंगे निगरानी - Yogmata keiko aikawa

Keiko Aikawa Pilot Baba, Pilot Baba Successor, Who is Yogmata Keiko Aikawa? पायलट बाबा की विरासत को संभालने को लेकर आज बड़ा निर्णय लिया गया. हरिद्वार में इसके लिए एक समिति बनाई गई है. कोकिला माता (केको आईकावा) को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. समिति में 2 महामंत्री भी बनाए गये हैं.

YOGMATA KEIKO AIKAWA
पायलट बाबा की विरासत संभालेंगी केको आईकावा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 23, 2024, 4:25 PM IST

Updated : Aug 24, 2024, 12:18 PM IST

पायलट बाबा की विरासत संभालेंगी केको आईकावा (ETV Bharat)

हरिद्वार: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा की विरासत को संभालने को लेकर नया फार्मूला निकाला गया है. इस फार्मूले के तहत एक समिति बनाई गई है जिसमें सर्व सम्मति से कोकिला माता (केको आईकावा) को अध्यक्ष बनाया गया है. महामंडलेश्वर चेतना माता और महामंडलेश्वर श्रद्धा माता को संयुक्त रूप से महामंत्री बनाया गया है. कमेटी में बाबा के अन्य शिष्यों को शामिल किया जाएगा जिसका पूरा अधिकार समिति का होगा. शुक्रवार को पायलट बाबा आश्रम में हुई बैठक में सभी उत्तराधिकारियों ने प्रतिभाग किया. बैठक में जूना अखाड़े की ओर से अखाड़े के संरक्षक महंत हरिगिरि सहित तमाम बड़े पदाधिकारी भी मौजूद रहे.

इस दौरान महंत हरिगिरि ने बताया कि आज पायलट बाबा आश्रम में बाबा के सभी शिष्यों ओर उत्तराधिकारियों के साथ बैठक की गई. जिसमें उन्हीं की ओर से प्रस्ताव रखा गया, जिसमें महामंडलेश्वर केको आईकावा और महामंडलेश्वर चेतना माता व महामंडलेश्वर श्रद्धा माता के नाम का प्रस्ताव आया. जिस पर महामंडलेश्वर केको आईकावा माता को अध्यक्ष बनाते हुए समिति में दोनों महामंडलेश्वर को संयुक्त रूप से महामंत्री बनाया गया है.

कौन हैं योग माता केकाे आईकावा: योग माता केको आईकावा हिमालय में ध्यान और योग की अंतिम अवस्था प्राप्त करके सिद्ध गुरू बनने वाली पहली और एकमात्र महिला, साथ ही एकमात्र विदेशी भी हैं. 40 से अधिक वर्षों से, ध्यान और योग पर एक विशेषज्ञ के रूप में, उन्होंने जापान में इन प्रथाओं को पोषित करने में सक्रिय रूप से भाग लिया है. 1985 में, योगमाता केको आईकावा
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरि महाराज से मुलाकात की. उनके मार्गदर्शन में हिमालय में 5,000 से 6,000 मीटर की ऊंचाई पर कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद उन्होंने परम समाधि प्राप्त की, जिसका अर्थ अपने मन और शरीर पर पूर्ण नियंत्रण रखना है.

1991 से 2007 तक, उन्होंने सत्य को प्रमाणित करने और विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए पूरे भारत में समाधि के 18 सार्वजनिक दर्शन किए. वर्ष 2007 में योगमाता ऐकावा को भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक तप संघ, जूना अखाड़ा से 'महामंडलेश्वर' की उपाधि मिली.

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पायलट बाबा की विरासत संभालेंगी केको आईकावा (ETV Bharat)

हरिद्वार: जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा की विरासत को संभालने को लेकर नया फार्मूला निकाला गया है. इस फार्मूले के तहत एक समिति बनाई गई है जिसमें सर्व सम्मति से कोकिला माता (केको आईकावा) को अध्यक्ष बनाया गया है. महामंडलेश्वर चेतना माता और महामंडलेश्वर श्रद्धा माता को संयुक्त रूप से महामंत्री बनाया गया है. कमेटी में बाबा के अन्य शिष्यों को शामिल किया जाएगा जिसका पूरा अधिकार समिति का होगा. शुक्रवार को पायलट बाबा आश्रम में हुई बैठक में सभी उत्तराधिकारियों ने प्रतिभाग किया. बैठक में जूना अखाड़े की ओर से अखाड़े के संरक्षक महंत हरिगिरि सहित तमाम बड़े पदाधिकारी भी मौजूद रहे.

इस दौरान महंत हरिगिरि ने बताया कि आज पायलट बाबा आश्रम में बाबा के सभी शिष्यों ओर उत्तराधिकारियों के साथ बैठक की गई. जिसमें उन्हीं की ओर से प्रस्ताव रखा गया, जिसमें महामंडलेश्वर केको आईकावा और महामंडलेश्वर चेतना माता व महामंडलेश्वर श्रद्धा माता के नाम का प्रस्ताव आया. जिस पर महामंडलेश्वर केको आईकावा माता को अध्यक्ष बनाते हुए समिति में दोनों महामंडलेश्वर को संयुक्त रूप से महामंत्री बनाया गया है.

कौन हैं योग माता केकाे आईकावा: योग माता केको आईकावा हिमालय में ध्यान और योग की अंतिम अवस्था प्राप्त करके सिद्ध गुरू बनने वाली पहली और एकमात्र महिला, साथ ही एकमात्र विदेशी भी हैं. 40 से अधिक वर्षों से, ध्यान और योग पर एक विशेषज्ञ के रूप में, उन्होंने जापान में इन प्रथाओं को पोषित करने में सक्रिय रूप से भाग लिया है. 1985 में, योगमाता केको आईकावा
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरि गिरि महाराज से मुलाकात की. उनके मार्गदर्शन में हिमालय में 5,000 से 6,000 मीटर की ऊंचाई पर कठोर प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद उन्होंने परम समाधि प्राप्त की, जिसका अर्थ अपने मन और शरीर पर पूर्ण नियंत्रण रखना है.

1991 से 2007 तक, उन्होंने सत्य को प्रमाणित करने और विश्व शांति को बढ़ावा देने के लिए पूरे भारत में समाधि के 18 सार्वजनिक दर्शन किए. वर्ष 2007 में योगमाता ऐकावा को भारत के सबसे बड़े आध्यात्मिक तप संघ, जूना अखाड़ा से 'महामंडलेश्वर' की उपाधि मिली.

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Last Updated : Aug 24, 2024, 12:18 PM IST
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