देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लेकर लोकसभा चुनाव से पहले ही राज्य सरकार काफी हद तक काम पूरा कर चुकी है. यही कारण है कि अब न केवल गृहमंत्री अमित शाह बल्कि, पार्टी के तमाम बड़े नेता उत्तराखंड के यूसीसी के मुद्दे को देश में कई जगहों पर रैलियों में जिक्र भी कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव में यूसीसी का बीजेपी को कितना फायदा होगा? यह तो रिजल्ट के बाद ही पता लगेगा, लेकिन बीजेपी उत्तराखंड के इस कानून को देशभर में लोकसभा चुनाव में खूब प्रचारित करना चाहती है.
सीएम धामी को प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी: बीजेपी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को न केवल देश के कई राज्यों में प्रचार करने के लिए स्टार प्रचारक की सूची में डाला है. बल्कि जम्मू एवं कश्मीर, लेह लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेश में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बड़े स्टार प्रचारक के रूप में पहुंचेंगे. इतना ही नहीं राज्य सरकार लोकसभा चुनाव के तत्काल बाद जैसे ही आचार संहिता समाप्त होगी, वैसे ही राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता को लागू कर सकती है, इसके लिए तैयारियां करीब अंतिम चरण में है.
बीजेपी की रैली में कई जगह हो रहा यूसीसी का जिक्र: लोकसभा चुनाव की रैलियों में बीजेपी कई तरह के मुद्दों को जनता के बीच परोस रही है. उन्हें में से एक मुद्दा है, यूनिफॉर्म सिविल कोड. जिसे खासकर हिंदू बाहुल्य क्षेत्र में बीजेपी के नेता इस मुद्दे को खूब भुना रहे हैं. जनता को यूसीसी की जानकारी दे रहे हैं. हालांकि, अब ये साफ नहीं हो पाया है कि अगर बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आती है तो उत्तराखंड के इस कानून को देश या राज्यों में लागू करेगी या नहीं, लेकिन यूसीसी कानून बनाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को बीजेपी बड़े चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करने जा रही है.
खासकर जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख, उत्तर प्रदेश और दक्षिण के कुछ राज्यों में पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड कानून बनाने वाले मुख्यमंत्री के रूप में बीजेपी की रैली में शामिल होंगे. बीजेपी ने चुनाव आयोग को जिन स्टार प्रचारकों की लिस्ट सौंपी है, उसमें सीएम पुष्कर धामी का नाम भी शामिल है. बताया जा रहा है कि यूसीसी से चर्चाओं में आए सीएम धामी को बीजेपी गुजरात, असम, जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में न केवल प्रचार के लिए उतारेगी. बल्कि, कई जगहों पर रैली का जिम्मा सिर्फ पुष्कर सिंह धामी के ऊपर ही होगा.
बीजेपी ने सीएम धामी की लगाई बड़े राज्यों में ड्यूटी: बीजेपी संगठन के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता उत्तराखंड से अलग-अलग राज्यों में चुनाव के लिए भेजे जाएंगे. मुख्यमंत्री धामी के अलावा ऐसे कई नेताओं की लिस्ट उत्तराखंड से पार्टी को भेजी गई है, जो आसपास के राज्यों में भी बीजेपी के लिए काम करेंगे. इसमें कई बड़े नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
आदित्य कोठारी की मानें तो उत्तराखंड में जिस तरह से यूनिफॉर्म सिविल कोड विधानसभा में लाकर एक इतिहास रचा है, उसके बाद इस इतिहास को जनता तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी संगठन ने लोकसभा चुनाव में बड़ी प्रचार की जिम्मेदारी में लगाया है. आज भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तेलंगाना के निजामाबाद में प्रचार के लिए पहुंचे हुए हैं. जहां सीएम धामी ने कांग्रेस पर भी तीखा हमला बोला. साथ ही उत्तराखंड में बनाई गई यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किया.
उत्तराखंड में चुनाव के बाद यूसीसी लागू कर सकती है सरकार: बात अगर उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू करने की करें तो मौजूदा समय में आचार संहिता लगने की वजह से इस काम में थोड़ी देरी हुई है, लेकिन बताया जा रहा है कि आचार संहिता खत्म होने के बाद इस काम में तेजी लाई जाएगी जानकारी के मुताबिक, मई महीने तक यूनिफॉर्म सिविल कोड का एक वेब पोर्टल पूरी तरह से तैयार हो जाएगा. जिसका काम करीब 80 फीसदी पूरा हो गया है.
वहीं, सीएम धामी ने आचार संहिता लगने के तत्काल बाद यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट की समिति से ये कहा है कि सरकार को तत्काल प्रभाव से समय से नियमावली भी सौंपी जाए. ताकि, आने वाले स्थानीय निकाय चुनाव से पहले इसे लागू करने के साथ ही बीजेपी इस मुद्दे को उस चुनाव में भी जनता तक पहुंचा सके. उत्तराखंड में 7 फरवरी को यूनिफॉर्म सिविल कोड विधेयक पारित हो गया था. उसके बाद से ही इस पर काम चल रहा है. इतना ही नहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी है. बीजेपी ने भी अपने राष्ट्रीय संकल्प पत्र में इसे शामिल किया है.
क्या है यूसीसी? यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी समान नागरिक संहिता का मतलब हर व्यक्ति के लिए एक समान कानून होना है. चाहे वो किसी भी धर्म या जाति या फिर वर्ग का हो. सभी लोगों पर एक समान कानून लागू होगा. यूसीसी कानून के तहत शादी, तलाक और जमीन जायदाद आदि के बंटवारे के मामले में सभी धर्म या जाति के लोगों पर एक ही तरह का कानून लागू होगा. एक तरह से समान नागरिक संहिता निष्पक्ष कानून होगा, जिसका किसी धर्म या जाति या फिर वर्ग से कोई ताल्लुक नहीं होगा.
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