पटना: लोकसभा चुनाव के बाद बिहार सहित देश के सात राज्यों में 10 राज्यसभा की सीट खाली हो गई है, जिसपर चुनाव आयोग जल्द ही चुनाव कराने वाला है. बिहार, महाराष्ट्र और असम में 2-2 राज्यसभा की सीट है तो वहीं हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक राज्यसभा की सीट खाली हुई है.
बिहार की दो राज्यसभा सीटों का दंगल: सभी राज्यों में विधायकों की संख्या बल के बहुमत के हिसाब से जीत हार का विश्लेषण हो रहा है. बिहार में बीजेपी के विवेक ठाकुर नवादा से सांसद चुने गए हैं. वहीं लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र से सांसद बनी है. बिहार की इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होना है. बिहार विधानसभा में विधायकों की क्षमता के अनुसार एनडीए के पक्ष में पूर्ण बहुमत है, लेकिन लालू प्रसाद यदि उम्मीदवार उतारते हैं तो खेला भी हो सकता है. कई राज्यों में राज्यसभा चुनाव में उलट फेर होते रहे हैं.
राज्यसभा उपचुनाव के नियम ने बढ़ाई RJD की मुश्किल: बिहार विधानसभा में 243 विधायकों की क्षमता है. अभी 5 सीट खाली है. एक विधानसभा सीट रुपौली पर उपचुनाव 10 जुलाई को होना है. उसके बाद भी चार सीट खाली रह जाएगी. ऐसे में बहुमत के लिए कम से कम 120 विधायकों की जरूरत होगी. फिलहाल एनडीए के पक्ष में पूर्ण बहुमत है. इसके अलावा बाकी 7 बागी विधायकों का भी एनडीए को समर्थन मिला हुआ है.
विधानसभा की दलगत स्थिति: विधानसभा की ओर से जारी दलगत विधायकों की संख्या इस प्रकार से है, सत्ता पक्ष की बात करें तो भाजपा 78 , जदयू 44 , हम 03 1 निर्दलीय विधायक है. ऐसे में एनडीए के पास कुल 127 विधायक हैं. वहीं विपक्ष की बात करें तो आरजेडी 77, कांग्रेस 19 और लेफ्ट के 15 विधायक हैं. इस प्रकार से इंडिया के पास 111 का आंकड़ा है. वहीं एआईएमआईएम के एक विधायक भी है और जरूरत पड़ने पर महागठबंधन का समर्थन कर सकते हैं. इसके अलावा पांच सीट खाली है. इसमें से एक पर उपचुनाव हो रहा है. चार पर आने वाले समय में उपचुनाव होगा.
NDA के पास पूर्ण बहुमत: विधानसभा में विधायकों की संख्या के हिसाब से देखें तो एनडीए के पक्ष में पूर्ण बहुमत है. राज्यसभा की दोनों सीट पर चुनाव के लिए अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी होगा और इसलिए दोनों सीट एनडीए को मिलना तय माना जा रहा है. बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी का कहना है मीसा भारती और विवेक ठाकुर दोनों का अलग-अलग इस्तीफा राज्यसभा के पास जाएगा और राज्यसभा की तरफ से दोनों का अलग-अलग नोटिफिकेशन जारी होगा.
"ऐसे में चुनाव आयोग दोनों का अलग-अलग चुनाव कराएगी और जिसके पास बहुमत रहेगा दोनों सीट उसे मिलेगा. यदि एनडीए के विधायक महागठबंधन के उम्मीदवार को वोट करना चाहेंगे तो कर सकते हैं. राजद के तरफ से उम्मीदवार दिया जाएगा या नहीं यह तो पार्टी नेतृत्व ही तय करेगा."- उदय नारायण चौधरी पूर्व विधानसभा अध्यक्ष
बहुमत के लिए 120 सदस्य जरूरी: विपक्ष के पास विधानसभा की ओर से जारी आंकड़ों को देखें तो 111 सदस्य हैं और एक एआईएमआईएम के विधायक को भी जोड़ना है तो 112 संख्या पहुंच जाएगी. यदि विधानसभा उपचुनाव में जीत मिल जाती है तो एक सीट और महागठबंधन के पास चला जाएगा और उनके सदस्य संख्या 113 तक पहुंच जाएगी. बहुमत के लिए 120 सदस्यों का होना जरूरी है यानी कम से कम 7 विधायकों का जुगाड़ और करना पड़ेगा. तभी राज्यसभा की सीट पर जीत मिल सकती है.
7 बागी विधायक: हालांकि यह आसान नहीं है क्योंकि महागठबंधन के 111 विधायकों में 7 बागी विधायक भी हैं. बागी विधायकों में राजद से चेतन आनंद, प्रहलाद यादव, संगीता कुमारी, नीलम देवी और भरत बिंद हैं तो कांग्रेस से मुरारी गौतम, सिद्धार्थ सौरभ हैं. राजद और कांग्रेस ने अपने विधायकों की संस्था समाप्त करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भी दे रखा है. उस पर फैसला नहीं हुआ है.
एनडीए का पलड़ा भारी: दूसरी तरफ एनडीए की बात करें तो एनडीए के पास विधानसभा की ओर से जारी आंकड़े को ही माने तो 126 विधायक अभी हैं. लोकसभा चुनाव में दो विधायक का सीट खाली हुआ है. एक जीतन राम मांझी सांसद बने हैं, उसके कारण सीट खाली हुई है. दूसरी बीमा भारती ने जदयू छोड़कर आरजेडी ज्वाइन किया था और उन्होंने इस्तीफा दिया था. उसके कारण रुपौली सीट खाली है. इस हिसाब से एनडीए के पास 6 विधायक बहुमत से अधिक हैं.
दोनों सीट पर एनडीए कर सकती है कब्जा: एनडीए को बहुमत के हिसाब से दोनों सीट मिलना तय माना जा रहा है. लेकिन अभी एनडीए में चुनाव आयोग की तरफ से चुनाव की घोषणा का इंतजार हो रहा है. एक सीट बीजेपी लेगी यह तय माना जा रहा है. दूसरी सीट किसे दिया जाएगा इस पर अभी फैसला होना है.दूसरा सीट जदयू के तरफ से डिमांड होगी या फिर एनडीए में सर्वसम्मति से उपेंद्र कुशवाहा को राज्यसभा भेजा जा सकता है.
"जो भी फैसला होगा वह नेतृत्व ही करेगा उन्हीं के तरफ से दावेदारी होगी."- संजय गांधी, जदयू एमएलसी
राजनीतिक विशेषज्ञ की राय: राजनीतिक विशेषज्ञ प्रिय रंजन भारती का कहना है कि बिहार में एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है और नीतीश कुमार जब से मुख्यमंत्री हैं बहुमत रहने पर चुनाव नहीं होने देते रहे हैं. लेकिन इस बार सब कुछ लालू पर निर्भर है. विधानसभा में पांच विधायक का पद भी खाली है, जिसमें से तीन महागठबंधन का ही है. लेकिन कुछ भी असंभव नहीं है.
"बिहार विधानसभा का चुनाव अगले साल होना है तो बहुत ज्यादा समय भी अब नहीं बचा है. ऐसे में खेला हो सकता है.। इस बार जब नीतीश कुमार महागठबंधन से nda में आए थे और सरकार का बहुमत सिद्ध कर रहे थे तो उस समय एनडीए के कई विधायक ने गच्चा देने की कोशिश की थी. हालांकि उसका असर नहीं हुआ क्योंकि दोनों तरफ से खेला हुआ. लेकिन अभी बहुमत के हिसाब से देखें तो पलड़ा एनडीए के पक्ष में भारी है."-प्रिय रंजन भारती,राजनीतिक विशेषज्ञ
10 सीटों की स्थिति: बिहार सहित देश के जिन 6 राज्यों की 10 राज्यसभा सीट खाली हुई है उन राज्यों के विधानसभा में एनडीए का पलड़ा भारी है. ऐसे में राज्यसभा चुनाव में विपक्ष को झटका लग सकता है. 10 राज्यसभा की सीटों में 7 बीजेपी, दो कांग्रेस और एक आरजेडी का है. कुछ राज्यों में कांटे का मुकाबला भी हो सकता है, लेकिन बिहार में संख्या बल एनडीए के साथ है और यदि आरजेडी या महागठबंधन के तरफ से उम्मीदवार नहीं दिया गया तो निर्विरोध भी एनडीए के उम्मीदवार निर्वाचित हो सकते हैं.
रोहिणी को राज्यसभा भेज पाएंगे लालू?: ऐसे 10 राज्यसभा की सीट के चुनाव के बाद राज्यसभा में एनडीए बहुमत के करीब पहुंच जाएगा. ऐसे बिहार पर सबकी नजर रहेगी कि लालू प्रसाद यादव क्या फैसला लेते हैं. क्योंकि लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती तो चुनाव जीत गई हैं और उनकी सीट पाटलिपुत्र खाली है लेकिन रोहिणी आचार्य सारण से चुनाव हार गई हैं. रोहिणी आचार्य ने लालू यादव को किडनी दी है तो किडनी का ऋण भी चुकाना है, अब देखना है लालू यादव इसमें कब सफल होते हैं.
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