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बसपा नेता अशोक सिद्धार्थ पार्टी से बर्खास्त, पार्टी सुप्रीमो मायावती ने कार्रवाई को लेकर बताई ये वजह - ASHOK SIDDHARTH DISMISSED FROM BSP

भतीजे आकाश आनंद के ससुर और वरिष्ठ नेता अशोक सिद्धार्थ को बसपा सुप्रीमो मायावती ने दिखाया पार्टी से बाहर का रास्ता

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आकाश आनंद के ससुर के खिलाफ एक्शन (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 12, 2025, 3:58 PM IST

Updated : Feb 12, 2025, 5:06 PM IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती अपने सख्त फैसले को लेकर हमेशा से राजनीति में चर्चित रही हैं, फिर चाहे उनका कोई कितना ही करीबी ही क्यों ना हो, कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटती हैं. बीएसपी सुप्रीमो ने एक बार फिर इसी तरह का कड़ा एक्शन लिया है. इस बार अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद के ससुर डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसके अलावा पार्टी के एक और कोऑर्डिनेटर नितिन सिंह को भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया है.

बता दें कि बसपा नेता डॉ. अशोक सिद्धार्थ को बीएसपी सुप्रीमो मायावती का काफी खास माना जाता है. विधायक से लेकर राज्यसभा सांसद तक मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को बनाया. इतना ही नहीं डॉ. अशोक सिद्धार्थ की बेटी से अपने भतीजे आकाश का विवाह भी मायावती ने ही संपन्न कराया था, लेकिन अब पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए बसपा सुप्रीमो ने ही आकाश आनंद के ससुर और अपने करीबी अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर कर दिया है.

मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को कई राज्यों का चुनाव प्रभारी भी बनाया था. उन्हें महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी सौंपी थी. पार्टी संगठन में भी अशोक सिद्धार्थ की काफी चलती थी, लेकिन अब उन पर मायावती ने ही गुटबाजी का आरोप लगाते हुए ये सख्त कार्रवाई की है. इसके अलावा अशोक सिद्धार्थ के साथ ही केंद्र में कोऑर्डिनेटर नितिन सिंह को भी बीएसपी सुप्रीमो ने गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए लिखा कि बीएसपी की ओर से खासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व मेरठ के नितिन सिंह को चेतावनी के बावजूद गुटबाजी की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी से हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है.

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अशोक सिद्धार्थ को मायावती का करीबी माना जाता (Photo Credit; ETV Bharat)

बताया जा रहा है कि दिल्ली चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन का जिम्मेदार मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को ही माना है. भतीजे आकाश आनंद की दिल्ली चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, लेकिन पार्टी एक सीट जीतना तो दूर सभी सीटों पर जमानत जब्त करा बैठी. मायावती ने अशोक सिद्धार्थ पर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए तगड़ा एक्शन लिया है.

अशोक सिद्धार्थ के बारे में कहा जाता है कि उनकी गिनती बसपा में लो प्रोफाइल नेताओं में की जाती है. पार्टी में पर्दे के पीछे रहकर काम करने को प्राथमिकता देते थे. अशोक सिद्धार्थ दलित समुदाय से आते हैं. उन्हें मायावती के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता रहा है. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में पदार्पण किया था. कांशीराम के समय से ही बामसेफ से जुड़े और अब तक लगातार बहुजन समाज पार्टी के साथ बने हुए थे.

मायावती ने उन्हें सबसे पहले साल 2008 में विधान परिषद सदस्य बनाया. इसके बाद साल 2016 में राज्यसभा भेजा. वे वर्ष 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के साथ बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. उनकी पत्नी मायावती शासनकाल के दौरान यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. अशोक सिद्धार्थ ने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई की. महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से उन्होंने नेत्र रोग में डिप्लोमा किया.

पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया था. इन राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी पहले से आकाश आनंद के पास है. ऐसे में डॉ. अशोक को जिम्म्मेदारी देकर उन्होंने भरोसे को पुख्ता किया था. अभी तक डॉ. अशोक सिद्धार्थ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली समेत 7 राज्यों के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे. उसके बाद तीन और राज्यों की जिम्मेदारी मिलने के बाद उनके पास 10 राज्यों का प्रभार हो गया था.

यह भी पढ़ें : संत रविदास की जयंती पर बसपा मुखिया मायावती ने क्या कहा? जानिए...

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं मायावती अपने सख्त फैसले को लेकर हमेशा से राजनीति में चर्चित रही हैं, फिर चाहे उनका कोई कितना ही करीबी ही क्यों ना हो, कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटती हैं. बीएसपी सुप्रीमो ने एक बार फिर इसी तरह का कड़ा एक्शन लिया है. इस बार अपने भतीजे और पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद के ससुर डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इसके अलावा पार्टी के एक और कोऑर्डिनेटर नितिन सिंह को भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया है.

बता दें कि बसपा नेता डॉ. अशोक सिद्धार्थ को बीएसपी सुप्रीमो मायावती का काफी खास माना जाता है. विधायक से लेकर राज्यसभा सांसद तक मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को बनाया. इतना ही नहीं डॉ. अशोक सिद्धार्थ की बेटी से अपने भतीजे आकाश का विवाह भी मायावती ने ही संपन्न कराया था, लेकिन अब पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए बसपा सुप्रीमो ने ही आकाश आनंद के ससुर और अपने करीबी अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर कर दिया है.

मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को कई राज्यों का चुनाव प्रभारी भी बनाया था. उन्हें महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी भी सौंपी थी. पार्टी संगठन में भी अशोक सिद्धार्थ की काफी चलती थी, लेकिन अब उन पर मायावती ने ही गुटबाजी का आरोप लगाते हुए ये सख्त कार्रवाई की है. इसके अलावा अशोक सिद्धार्थ के साथ ही केंद्र में कोऑर्डिनेटर नितिन सिंह को भी बीएसपी सुप्रीमो ने गुटबाजी और पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से निष्कासित कर दिया है.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस कार्रवाई की जानकारी देते हुए लिखा कि बीएसपी की ओर से खासकर दक्षिणी राज्यों आदि के प्रभारी रहे डॉ. अशोक सिद्धार्थ, पूर्व सांसद व मेरठ के नितिन सिंह को चेतावनी के बावजूद गुटबाजी की पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पार्टी से हित में तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है.

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अशोक सिद्धार्थ को मायावती का करीबी माना जाता (Photo Credit; ETV Bharat)

बताया जा रहा है कि दिल्ली चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन का जिम्मेदार मायावती ने अशोक सिद्धार्थ को ही माना है. भतीजे आकाश आनंद की दिल्ली चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, लेकिन पार्टी एक सीट जीतना तो दूर सभी सीटों पर जमानत जब्त करा बैठी. मायावती ने अशोक सिद्धार्थ पर गुटबाजी का आरोप लगाते हुए तगड़ा एक्शन लिया है.

अशोक सिद्धार्थ के बारे में कहा जाता है कि उनकी गिनती बसपा में लो प्रोफाइल नेताओं में की जाती है. पार्टी में पर्दे के पीछे रहकर काम करने को प्राथमिकता देते थे. अशोक सिद्धार्थ दलित समुदाय से आते हैं. उन्हें मायावती के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता रहा है. उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में पदार्पण किया था. कांशीराम के समय से ही बामसेफ से जुड़े और अब तक लगातार बहुजन समाज पार्टी के साथ बने हुए थे.

मायावती ने उन्हें सबसे पहले साल 2008 में विधान परिषद सदस्य बनाया. इसके बाद साल 2016 में राज्यसभा भेजा. वे वर्ष 2022 तक राज्यसभा के सदस्य रहे. बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र के साथ बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. उनकी पत्नी मायावती शासनकाल के दौरान यूपी राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष रह चुकी हैं. अशोक सिद्धार्थ ने बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई की. महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से उन्होंने नेत्र रोग में डिप्लोमा किया.

पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ को मायावती ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाया था. इन राज्यों के प्रभारी की जिम्मेदारी पहले से आकाश आनंद के पास है. ऐसे में डॉ. अशोक को जिम्म्मेदारी देकर उन्होंने भरोसे को पुख्ता किया था. अभी तक डॉ. अशोक सिद्धार्थ तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली समेत 7 राज्यों के प्रभारी के रूप में काम कर रहे थे. उसके बाद तीन और राज्यों की जिम्मेदारी मिलने के बाद उनके पास 10 राज्यों का प्रभार हो गया था.

यह भी पढ़ें : संत रविदास की जयंती पर बसपा मुखिया मायावती ने क्या कहा? जानिए...

Last Updated : Feb 12, 2025, 5:06 PM IST
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