मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र से जीते पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा उम्मीदवार नारायण राणे को समन जारी किया है. शिवसेना उद्धव ठाकरे पार्टी के हारे उम्मीदवार पूर्व सांसद विनायक राउत ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर राणे की जीत को चुनौती दी है. कोर्ट ने नारायण राणे और चुनाव आयोग को समन का जवाब 12 सितंबर तक देने का निर्देश दिया है. याचिका के माध्यम से राउत ने मांग की है कि, सिंधुदुर्ग निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव रद्द किया जाना चाहिए और नारायण राणे को अगले पांच वर्षों के लिए चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.
मुश्किलें में नारायण राणे!
रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग लोकसभा क्षेत्र के लिए सार्वजनिक प्रचार 5 मई 2024 को समाप्त हो गया था. आरोप यह है कि, नारायण राणे के समर्थक और भाजपा कार्यकर्ता डमी ईवीएम मशीन पर चुनाव चिन्ह कमल दिखाकर प्रचार कर रहे थे. कुछ जगहों पर उनके कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं को पैसे की तरह इस्तेमाल किया. इस बारे में कुछ वीडियो भी वायरल हुए. आरोप है कि, राणे और उनके समर्थकों ने मतदाताओं को प्रभावित करके वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है.
नारायण राणे पर उद्धव गुट के नेता ने लगाया आरोप
दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि, नारायण राणे और उनके समर्थकों ने चुनाव प्रचार में अवैध तरीकों का इस्तेमाल किया और भ्रष्ट आचरण के माध्यम से मतदाताओं को आकर्षित करने का प्रयास किया.
विनायक राउत ने दायर की है याचिका
याचिकाकर्ता के वकील असीम सरोदे ने बताया कि, यह याचिका शिवसेना (यूबीटी) उम्मीदवार विनायक राउत ने दायर की है. शुक्रवार को हाईकोर्ट के जज सारंग कोतवाल के समक्ष चुनाव से जुड़ी याचिका पर सुनवाई हुई. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील असीम सरोदे ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने राणे के खिलाफ की गई शिकायतों पर जानबूझकर विचार नहीं किया. राउत ने यह याचिका एडवोकेट असीम सरोदे, एडवोकेट श्रेया आवले, एडवोकेट विनयकुमार खाटू, एडवोकेट किशोर वरक के माध्यम से दायर की है.
नारायण राणे ने मतदाताओं को धमकाया, दायर याचिका में आरोप
इस याचिका में सीधे तौर पर आरोप लगाया गया है कि, नारायण राणे ने मतदाताओं को धमकाकर और पैसे बांटकर धोखाधड़ी का इस्तेमाल किया और चुनाव जीता. इस संबंध में चुनाव आयोग में की गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया गया. चुनाव से जुड़े मामले को लेकर याचिकाकर्ता ने विभिन्न आरोप लगाए. दायर याचिका में कहा गया है कि, राणे को सरकारी तंत्र में शामिल लोगों द्वारा भी मदद की गई थी.
दरअसल, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुसार, चुनाव से 48 घंटे पहले प्रचार गतिविधियों को रोकना होता है. लेकिन चूंकि इसके बाद भी प्रचार जारी रहा, इसलिए याचिका में इसके खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है. याचिका में हाईकोर्ट से अनुरोध किया गया है कि उक्त वीडियो की जांच के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाई जाए. रत्नागिरी सिंधुदुर्ग लोकसभा सीट के लिए नए सिरे से चुनाव कराने के लिए केंद्रीय चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाना चाहिए. याचिका की सुनवाई लंबित रहने तक याचिका के माध्यम से विभिन्न मांगें की गई हैं कि रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद के रूप में नारायण राणे पर शर्तें और प्रतिबंध लगाए जाएं.
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