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केदारनाथ सोना विवाद: शंकाराचार्य के बयान पर BKTC अध्यक्ष का पलटवार, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर उठाए कई सवाल - Kedarnath gold dispute - KEDARNATH GOLD DISPUTE

BKTC, Avimukteshwarananda allegations, Kedarnath gold dispute, Badri Kedar Temple Committee बद्रीकाश्रम ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने का मुद्दा पर एक बार फिर से उठा दिया हैं. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के आरोप पर बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान आया है. उन्होंने खुद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर कई सवाल उठाए है.

KEDARNATH GOLD DISPUTE
केदारनाथ सोना विवाद (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 16, 2024, 7:57 PM IST

Updated : Jul 16, 2024, 8:19 PM IST

केदारनाथ सोना विवाद पर BKTC अध्यक्ष ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को दिया जवाब. (सोर्स- ANI और ETV Bharat)

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने का मुद्दा एक फिर विवादों में आ गया है. बीते दिन ही बद्रीकाश्रम ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया था, जिस पर आज 16 जुलाई मंगलवार को बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान आया है. उन्होंने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर प्रतिक्रिया दी है.

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान: बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का वो एक संत के रूप में बेहद सम्मान करते हैं, लेकिन वो शंकराचार्य हैं या नहीं इस बहस में नहीं पड़ना चाहते. उन्होंने कहा कि, केदारनाथ धाम मंदिर सोना चोरी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जो बयान दिया है, इसके बाद वो अनुरोध करते हैं कि अगर उनके पास कोई तथ्य हैं तो उसको सामने लेकर आएं या फिर कोर्ट और किसी सक्षम अथॉरिटी के पास जाएं. केवल सनसनी और विरोध पैदा करने के लिए ऐसा बयान नहीं देना चाहिए.

केदारनाथ मंदिर से सोना गायब होने के आरोप पर बीकेटीसी का जवाब: बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर कहा कि जितनी वो प्रेस वार्ता करते है, उतनी तो कोई राजनेता भी नहीं करता है. अजेंद्र अजय ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने में प्रदेश सरकार और मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं हैं. जिस दानी दाता ने मंदिर को स्वर्ण मंडित किया है, उन्होंने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से केदारनाथ मंदिर में सोना पहुंचाया और वो सोना केदारनाथ धाम के गर्भगृह में लगा है. इसमें 23 किलो ग्राम के लगभग सोना है. स्पोर्ट के लिए लगाई गई तांबे की प्लेटों का वजन करीब 1000 किलो ग्राम है.

अजेंद्र अजय ने बताया कि सोना लगाने से पहले धाम में चांदी की प्लेटे लगी थीं, जिनका वजन 230 किलोग्राम था, तो कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया कि सोने की प्लेटों का वजन भी इतना ही होगा. लेकिन दोनों में काफी अंतर होता है. चांदी की शुद्ध प्लेट होती है, जबकि स्वर्ण मंडित करवाने में तांबे के प्लेटों पर सोने का वर्क (लेयर) चढ़ाया जाता है. देश के किसी भी मंदिर में जिसमें स्वर्ण मंडित कार्य किया गया है, वहां तांबे की प्लेटों पर ही सोने की लेयर चढ़ाई जाती है. इसलिए विवाद पैदा करने के लिए ऐसी बातें की जा रही हैं.

दानी दाता की भावना को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया गया: अजेंद्र अजय ने बताया कि केदारनाथ मंदिर में जो भी कार्य हुआ है, वो दानी दाता ने अपने माध्यम से करवाए हैं. इन्ही दानी दाता ने इससे पहले काशी विश्वनाथ, सोमनाथ मंदिर, सिद्दि विनायक मंदिर, अयोध्या राम मंदिर जैसे तमाम स्थानों पर स्वर्ण मंडित करवाने जैसे तमाम कार्य किए हैं. उनकी भावना को भी ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

क्यों उठा ये मुद्दा: दरअसल, दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर को लेकर पत्रकारों ने मुंबई में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से सवाल किया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि दिल्ली में सोना घोटाला हुआ था, उस मसले को क्यों नहीं उठाया जाता है? केदारनाथ धाम में सोना घोटाला करने के बाद दिल्ली में भी अब केदारनाथ के नाम पर एक और घोटाला होगा. केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब है, लेकिन आज तक उसकी कोई जांच शुरू नहीं हुई है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

पीएम मोदी ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से लिया था आशीर्वाद: बता दें कि मुंबई में पीएम मोदी ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के पैर छूकर उनकी आशीर्वाद भी लिया था. जिस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पीएम मोदी से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है. उनका नियम है कि जो भी व्यक्ति उनके पास आएगा वो उसको आशीर्वाद देंगे. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शुभचिंतक हैं और हमेशा पीएम मोदी के कल्याण की बात करते हैं. अगर वो कोई गलती करते है तो वो उसके लिए उनसे कहते है.

केदारनाथ धाम से सोना गायब होने का मामला: दरअसल, केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को वर्ष 2022 में स्वर्ण मंडित किया गया था. उस दौरान भी तीर्थ पुरोहित समाज ने आरोप लगाया था कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की जगह तांबा लगाया गया है, जिसके बाद आंदोलन किया गया, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. सरकार की ओर से कभी इस मामले में बयान जारी किया गया. हालांकि बीकेटीसी ने इस मामले में जरूरी बयान जारी किया था.

वहीं, सोने का मामला उठते ही विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. रुद्रप्रयाग कांग्रेस के जिला प्रवक्ता नरेंद्र बिष्ट ने कहा कि पिछले एक साल से कांग्रेस इस सोने के मुद्दे को उठा रही है, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

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केदारनाथ सोना विवाद पर BKTC अध्यक्ष ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद को दिया जवाब. (सोर्स- ANI और ETV Bharat)

रुद्रप्रयाग: केदारनाथ धाम मंदिर के गर्भगृह में लगे सोने का मुद्दा एक फिर विवादों में आ गया है. बीते दिन ही बद्रीकाश्रम ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इस मामले पर बड़ा बयान दिया था, जिस पर आज 16 जुलाई मंगलवार को बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान आया है. उन्होंने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान पर प्रतिक्रिया दी है.

बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय का बयान: बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का वो एक संत के रूप में बेहद सम्मान करते हैं, लेकिन वो शंकराचार्य हैं या नहीं इस बहस में नहीं पड़ना चाहते. उन्होंने कहा कि, केदारनाथ धाम मंदिर सोना चोरी को लेकर स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने जो बयान दिया है, इसके बाद वो अनुरोध करते हैं कि अगर उनके पास कोई तथ्य हैं तो उसको सामने लेकर आएं या फिर कोर्ट और किसी सक्षम अथॉरिटी के पास जाएं. केवल सनसनी और विरोध पैदा करने के लिए ऐसा बयान नहीं देना चाहिए.

केदारनाथ मंदिर से सोना गायब होने के आरोप पर बीकेटीसी का जवाब: बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर कहा कि जितनी वो प्रेस वार्ता करते है, उतनी तो कोई राजनेता भी नहीं करता है. अजेंद्र अजय ने कहा कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने में प्रदेश सरकार और मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं हैं. जिस दानी दाता ने मंदिर को स्वर्ण मंडित किया है, उन्होंने अपने ज्वैलर्स के माध्यम से केदारनाथ मंदिर में सोना पहुंचाया और वो सोना केदारनाथ धाम के गर्भगृह में लगा है. इसमें 23 किलो ग्राम के लगभग सोना है. स्पोर्ट के लिए लगाई गई तांबे की प्लेटों का वजन करीब 1000 किलो ग्राम है.

अजेंद्र अजय ने बताया कि सोना लगाने से पहले धाम में चांदी की प्लेटे लगी थीं, जिनका वजन 230 किलोग्राम था, तो कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया कि सोने की प्लेटों का वजन भी इतना ही होगा. लेकिन दोनों में काफी अंतर होता है. चांदी की शुद्ध प्लेट होती है, जबकि स्वर्ण मंडित करवाने में तांबे के प्लेटों पर सोने का वर्क (लेयर) चढ़ाया जाता है. देश के किसी भी मंदिर में जिसमें स्वर्ण मंडित कार्य किया गया है, वहां तांबे की प्लेटों पर ही सोने की लेयर चढ़ाई जाती है. इसलिए विवाद पैदा करने के लिए ऐसी बातें की जा रही हैं.

दानी दाता की भावना को ठेस पहुंचाने का प्रयास किया गया: अजेंद्र अजय ने बताया कि केदारनाथ मंदिर में जो भी कार्य हुआ है, वो दानी दाता ने अपने माध्यम से करवाए हैं. इन्ही दानी दाता ने इससे पहले काशी विश्वनाथ, सोमनाथ मंदिर, सिद्दि विनायक मंदिर, अयोध्या राम मंदिर जैसे तमाम स्थानों पर स्वर्ण मंडित करवाने जैसे तमाम कार्य किए हैं. उनकी भावना को भी ठेस पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है.

क्यों उठा ये मुद्दा: दरअसल, दिल्ली में बन रहे केदारनाथ मंदिर को लेकर पत्रकारों ने मुंबई में ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से सवाल किया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि दिल्ली में सोना घोटाला हुआ था, उस मसले को क्यों नहीं उठाया जाता है? केदारनाथ धाम में सोना घोटाला करने के बाद दिल्ली में भी अब केदारनाथ के नाम पर एक और घोटाला होगा. केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब है, लेकिन आज तक उसकी कोई जांच शुरू नहीं हुई है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है?

पीएम मोदी ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद से लिया था आशीर्वाद: बता दें कि मुंबई में पीएम मोदी ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के पैर छूकर उनकी आशीर्वाद भी लिया था. जिस पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पीएम मोदी से उनकी कोई दुश्मनी नहीं है. उनका नियम है कि जो भी व्यक्ति उनके पास आएगा वो उसको आशीर्वाद देंगे. वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शुभचिंतक हैं और हमेशा पीएम मोदी के कल्याण की बात करते हैं. अगर वो कोई गलती करते है तो वो उसके लिए उनसे कहते है.

केदारनाथ धाम से सोना गायब होने का मामला: दरअसल, केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को वर्ष 2022 में स्वर्ण मंडित किया गया था. उस दौरान भी तीर्थ पुरोहित समाज ने आरोप लगाया था कि केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की जगह तांबा लगाया गया है, जिसके बाद आंदोलन किया गया, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया था. सरकार की ओर से कभी इस मामले में बयान जारी किया गया. हालांकि बीकेटीसी ने इस मामले में जरूरी बयान जारी किया था.

वहीं, सोने का मामला उठते ही विपक्ष को भी मुद्दा मिल गया है. रुद्रप्रयाग कांग्रेस के जिला प्रवक्ता नरेंद्र बिष्ट ने कहा कि पिछले एक साल से कांग्रेस इस सोने के मुद्दे को उठा रही है, लेकिन प्रदेश की भाजपा सरकार इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.

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Last Updated : Jul 16, 2024, 8:19 PM IST
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