ETV Bharat / bharat

BJP की आखिरी लिस्ट: बृजभूषण की जगह बेटे करन भूषण को कैसरगंज से टिकट, रायबरेली से दिनेश सिंह उम्मीदवार - BJP last list

भारतीय जनता पार्टी ने वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कैसरगंज से काटकर उनके छोटे बेटे करनभूषण सिंह को दिया गया है.

Etv Bharat
Etv Bharat (Etv Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 2, 2024, 5:39 PM IST

Updated : May 2, 2024, 8:03 PM IST

भाजपा की लिस्ट.
भाजपा की लिस्ट. (सोशल मीडिया.)

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार उत्तर प्रदेश की अपने बहु प्रतीक्षित दो सीटों से प्रत्याशी घोषित कर दिए. पहलवानों से विवाद में देशभर में चर्चा में रहे वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कैसरगंज से काटकर उनके छोटे बेटे करनभूषण सिंह को दिया गया है. जैसा कि ईटीवी भारत ने लिखा था कि यह टिकट परिवार में ही रहेगा और बहुत संभव है कि करन भूषण को मिले, यह बात पूरी तरह से सच साबित हुई है. इसी तरह से रायबरेली सीट भी भाजपा ने 2019 के उपविजेता वर्तमान में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को दिया है. दिनेश प्रताप ने 2019 में रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ कड़ी टक्कर दी थी. ईटीवी भारत ने रायबरेली सीट पर दिनेश प्रताप सिंह को टिकट की दावेदारी में सबसे आगे बताया था.

भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से प्रत्याशी बनाया है. (etv bharat)

उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष करन भूषण सिंह बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. जिनको बीजेपी ने यह टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सुबह करीब 8:30 बजे बृजभूषण शरण सिंह को पार्टी की ओर से फोन किया गया. बड़े बेटे प्रतीक भूषण को टिकट देने और उनसे चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया. जिस पर बृजभूषण शरण सिंह ने इनकार कर दिया. जिसके बाद उनसे कहा गया कि उनके छोटे बेटे करण भूषण को टिकट दे दिया जाए तो क्या उनको कोई आपत्ति है? इस पर बृजभूषण ने सहमति जताई. इसके बाद में पार्टी ने करन का टिकट फाइनल कर दिया.

रायबरेली सीट पर अभी तक कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को एक बार फिर टिकट देकर यहां 2019 के ही उम्मीदवार को दोहरा दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी को 534918 वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह को 367740 वोट प्राप्त हुए थे. सोनिया गांधी की यह सबसे नजदीकी अंतर की जीत थी. उन्हें दिनेश प्रताप सिंह को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव मैदान में उतार दिया है.

दिनेश प्रताप बोले-कोई गांधी आए, यहां से हारकर ही जाएगा

दिनेश प्रताप सिंह को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है. दिनेश प्रताप सिंह ने मीडिया से बात की. कहा कि आम जनमानस अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और यही वजह है कि रायबरेली में इस बार कमल खिलेगा. मुझे खुशी हुई है कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझ पर एक बार फिर भरोसा जताया है. इस बार रायबरेली से कांग्रेस को हराकर भेजेंगे. कहा कि कोई भी गांधी यहां आएगा, वह हारकर वापस जाएगा.

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई.

कभी कांग्रेस में थे दिनेश

दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में थे. एक समय वे सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे हैं. पंचवटी का कांग्रेस में खूब दबदबा रहा. यही वजह थी कि 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार और 2016 में दूसरी बार कांग्रेस से एमएलसी बने थे. हालांकि 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की. 2022 में भाजपा के टिकट पर एमएलसी चुनाव जीता और योगी सरकार में मंत्री बने.

सोनिया के खिलाफ लड़ा चुनाव

बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए. तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था. सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी. वहीं उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया.

रायबरेली में पंचवटी का दबदबा

रायबरेली की सियासत में पंचवटी का दबदबा है. दरअसल, दिनेश प्रताप सिंह के घर को पंचवटी के नाम से जाना जाता है. दिनेश प्रताप सिंह गांव गुनावर कमंगलपुर के रहने वाले हैं. दिनेश प्रताप सिंह के घर से ही ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं. हालांकि रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट पर 2022 में उनके भाई राकेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.

बोले- नकली गांधी की विदाई तय

दिनेश प्रताफ ने कहा, राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझपर भरोसा किया है. मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि रायबरेली में कमल खिलेगा. कैसे दुःख में शामिल हुआ जाता है, मैं जानता हूं. मैं गांधी परिवार में नहीं पैदा हुआ हूं. गरीब का दुःख कैसे बांटा जा सकता है, दिनेश सिंह भले भांति जानता है. रायबरेली से नकली गांधी की विदाई तय है. कांग्रेस अपने पत्ते खोले या न खोले लेकिन जो भी हो, उनका हारना तय है. गांधी परिवार से कोई भी आए, रायबरेली से हारकर जाएगा.

यह भी पढ़ें : मछलीशहर से सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज के नामांकन में पुलिस और विधायक में तीखी झड़प, धक्कामुक्की - Machlishahr Lok Sabha Seat

यह भी पढ़ें : ढाई महीने में भाजपा में शामिल हुए 75 हजार नेता-कार्यकर्ता, टिकट सिर्फ एक को मिला - Lok Sabha Election 2024

भाजपा की लिस्ट.
भाजपा की लिस्ट. (सोशल मीडिया.)

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने आखिरकार उत्तर प्रदेश की अपने बहु प्रतीक्षित दो सीटों से प्रत्याशी घोषित कर दिए. पहलवानों से विवाद में देशभर में चर्चा में रहे वर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कैसरगंज से काटकर उनके छोटे बेटे करनभूषण सिंह को दिया गया है. जैसा कि ईटीवी भारत ने लिखा था कि यह टिकट परिवार में ही रहेगा और बहुत संभव है कि करन भूषण को मिले, यह बात पूरी तरह से सच साबित हुई है. इसी तरह से रायबरेली सीट भी भाजपा ने 2019 के उपविजेता वर्तमान में मंत्री दिनेश प्रताप सिंह को दिया है. दिनेश प्रताप ने 2019 में रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी के खिलाफ कड़ी टक्कर दी थी. ईटीवी भारत ने रायबरेली सीट पर दिनेश प्रताप सिंह को टिकट की दावेदारी में सबसे आगे बताया था.

भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को रायबरेली से प्रत्याशी बनाया है. (etv bharat)

उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष करन भूषण सिंह बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे हैं. जिनको बीजेपी ने यह टिकट दिया है. भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि सुबह करीब 8:30 बजे बृजभूषण शरण सिंह को पार्टी की ओर से फोन किया गया. बड़े बेटे प्रतीक भूषण को टिकट देने और उनसे चुनाव लड़ने के बारे में पूछा गया. जिस पर बृजभूषण शरण सिंह ने इनकार कर दिया. जिसके बाद उनसे कहा गया कि उनके छोटे बेटे करण भूषण को टिकट दे दिया जाए तो क्या उनको कोई आपत्ति है? इस पर बृजभूषण ने सहमति जताई. इसके बाद में पार्टी ने करन का टिकट फाइनल कर दिया.

रायबरेली सीट पर अभी तक कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है. जबकि भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश प्रताप सिंह को एक बार फिर टिकट देकर यहां 2019 के ही उम्मीदवार को दोहरा दिया है. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी को 534918 वोट मिले थे. जबकि भारतीय जनता पार्टी के दिनेश प्रताप सिंह को 367740 वोट प्राप्त हुए थे. सोनिया गांधी की यह सबसे नजदीकी अंतर की जीत थी. उन्हें दिनेश प्रताप सिंह को एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव मैदान में उतार दिया है.

दिनेश प्रताप बोले-कोई गांधी आए, यहां से हारकर ही जाएगा

दिनेश प्रताप सिंह को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है. इसके बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है. दिनेश प्रताप सिंह ने मीडिया से बात की. कहा कि आम जनमानस अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है और यही वजह है कि रायबरेली में इस बार कमल खिलेगा. मुझे खुशी हुई है कि भारतीय जनता पार्टी ने मुझ पर एक बार फिर भरोसा जताया है. इस बार रायबरेली से कांग्रेस को हराकर भेजेंगे. कहा कि कोई भी गांधी यहां आएगा, वह हारकर वापस जाएगा.

ब्लॉक प्रमुख की राजनीति से शुरुआत करने वाले दिनेश प्रताप सिंह वर्तमान में योगी सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री हैं. वह पहली बार 2004 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधान परिषद का चुनाव लड़े थे, लेकिन भाजपा के प्रत्याशी से हार गए. बाद में 2007 में बसपा के प्रत्याशी के तौर पर तिलोई विधानसभा से विधानसभा का चुनाव लड़े, लेकिन वहां भी इन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. उसके बाद दिनेश प्रताप ने कांग्रेस में किस्मत आजमाई.

कभी कांग्रेस में थे दिनेश

दिनेश प्रताप सिंह पहले कांग्रेस में थे. एक समय वे सोनिया गांधी के बेहद करीबी रहे हैं. पंचवटी का कांग्रेस में खूब दबदबा रहा. यही वजह थी कि 2010 में दिनेश प्रताप सिंह पहली बार और 2016 में दूसरी बार कांग्रेस से एमएलसी बने थे. हालांकि 2018 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन की. 2022 में भाजपा के टिकट पर एमएलसी चुनाव जीता और योगी सरकार में मंत्री बने.

सोनिया के खिलाफ लड़ा चुनाव

बीजेपी में शामिल होने के बाद इन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के सामने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और करीब पौने 4 लाख वोट हासिल किए, लेकिन चुनाव हार गए. तब इन्होंने ही सोनिया गांधी को इटालियन मैडम एंटोनियो माइनो कहकर कटाक्ष किया था. सोनिया गांधी ने दिनेश प्रताप सिंह को 1,67,178 वोटों से हराकर रायबरेली की अपनी सीट बरकरार रखने में कामयाबी हासिल की थी. वहीं उत्तर प्रदेश में योगी सरकार का जब दूसरा टर्म शुरू हुआ तो इन्हें स्वतंत्र राज्य मंत्री बनाया गया.

रायबरेली में पंचवटी का दबदबा

रायबरेली की सियासत में पंचवटी का दबदबा है. दरअसल, दिनेश प्रताप सिंह के घर को पंचवटी के नाम से जाना जाता है. दिनेश प्रताप सिंह गांव गुनावर कमंगलपुर के रहने वाले हैं. दिनेश प्रताप सिंह के घर से ही ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत अध्यक्ष, एमएलसी और विधायक रह चुके हैं. हालांकि रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट पर 2022 में उनके भाई राकेश सिंह को हार का सामना करना पड़ा था.

बोले- नकली गांधी की विदाई तय

दिनेश प्रताफ ने कहा, राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझपर भरोसा किया है. मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं कि रायबरेली में कमल खिलेगा. कैसे दुःख में शामिल हुआ जाता है, मैं जानता हूं. मैं गांधी परिवार में नहीं पैदा हुआ हूं. गरीब का दुःख कैसे बांटा जा सकता है, दिनेश सिंह भले भांति जानता है. रायबरेली से नकली गांधी की विदाई तय है. कांग्रेस अपने पत्ते खोले या न खोले लेकिन जो भी हो, उनका हारना तय है. गांधी परिवार से कोई भी आए, रायबरेली से हारकर जाएगा.

यह भी पढ़ें : मछलीशहर से सपा प्रत्याशी प्रिया सरोज के नामांकन में पुलिस और विधायक में तीखी झड़प, धक्कामुक्की - Machlishahr Lok Sabha Seat

यह भी पढ़ें : ढाई महीने में भाजपा में शामिल हुए 75 हजार नेता-कार्यकर्ता, टिकट सिर्फ एक को मिला - Lok Sabha Election 2024

Last Updated : May 2, 2024, 8:03 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.