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बिहार में फिर उठी 'बख्तियारपुर' का नाम बदलने की मांग, बीजेपी-जेडीयू में ठनी, जानें शहर की इनसाइड स्टोरी - Controversy Over Bakhtiyarpur Name

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 31, 2024, 7:34 PM IST

Controversy Over Bakhtiyarpur Name: बिहार के बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग एक बार फिर से जोर शोर से उठ रही है. इसको लेकर सत्तारूढ़ एनडीए में मतभेद देखने को मिल रहा है. एक तरफ बीजेपी रेलवे स्टेशन और शहर का नाम बदलने की मांग कर रही है तो दूसरी ओर सहयोगी जेडीयू पार्टी पर हमलावर है और कह रही है कि जिन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं वो नाम बदलने की बात कह रहे हैं. जानें आखिर क्या है बख्तियारपुर का इतिहास और कब-कब इस मुद्दे को उठाया गया.

CONTROVERSY OVER BAKHTIYARPUR NAME
बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग (Etv Bharat)
बख्तियारपुर नाम पर बीजेपी-जेडीयू में ठनी (ETV Bharat)

पटना: बिहार में शहर के नाम बदलने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. बिहार में बख्तियारपुर के नाम बदलने की मांग को लेकर विवाद शुरू हो गया है. नाम बदलने को लेकर BJP- JDU आमने-सामने आ गई है. दोनों एक दूसरे को इतिहास को समझने की नसीहत देने लगे हैं

क्या कहना है बीजेपी का?: बीजेपी लगातार मुगलों के नाम पर बसे शहरों के नाम बदलने की मांग करती रही है.एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी मुगलों के नाम पर रखे गए जगहों के नाम बदलने की मांग उठने लगी है. बीजेपी नेताओं ने एक बार फिर से बख्तियारपुर का नाम को बदलने की मांग शुरू कर दी है. जबकि JDU ने कहा कि उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है. एक बार फिर से शहर एवं रेलवे स्टेशन के नाम बदलने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. फर्क इतना है कि सत्तारूढ़ दल के नेता ही आपस में उलझ रहे हैं.

CONTROVERSY OVER BAKHTIYARPUR NAME
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

बीजेपी की दो टूक गलती सुधारेंगे: बीजेपी बिहार में बख्तियारपुर नाम बदलने को लेकर कई बार सरकार से मांग कर चुकी है. एक बार फिर से मुगलों के नाम पर रखे हुए शहरों और रेलवे स्टेशन के नाम बदलने की मांग हो रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि जिन लोगों ने बिहार को लूटा जिन लोगों ने यहां के इतिहास को जला दिया, जिन्होंने देश को चारागाह बना दिया, उन लोगों के नाम पर शहरों और जगह का नाम रखकर हम अपने आप को गौरवान्वित कैसे महसूस कर सकते हैं?

"कांग्रेस और राजद के तुष्टिकरण का यह नतीजा है. चाहे वह बख्तियार खिलजी हो या कोई और आपका भारत के इतिहास में लुटेरे के रूप में नाम दर्ज है, आप लुटेरे ही रहेंगे. उनके नाम पर कोई जगह का नाम हो, इससे दुखद कुछ हो नहीं सकता है. हम अपनी गलती को सुधरेंगे और हम गलती सुधारने में विश्वास रखते हैं."- कुंतल कृष्ण, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

'इतिहास का ज्ञान नहीं'-JDU: वहीं जदयू के नेताओं का बीजेपी पर हमला जारी है और उन्हें इतिहास पढ़ने की नसीहत दे रहे हैं. जदयू के विधान पार्षद और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नाम बदलने से अगर लोगों की जीवन दशा बदल जाए, गरीबी दूर हो जाए, अशिक्षा दूर हो जाए, उसके जीवन की चुनौतियां दूर हो जाए, अपराध शून्य हो जाए, तब हम तैयार हम हैं. लेकिन हम यह समझना चाहते हैं कि इतिहास के पन्नों में कहां पढ़ा कि किताब में पढ़ा है.उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है.

'1901 में बख्तियारपुर का गजेटियर प्रकाशित': नीरज कुमार ने कहा कि 1901 में बख्तियारपुर का गजेटियर प्रकाशित हुआ और 1901 की जनगणना में उसकी जनसंख्या मात्र 234 थी. 1907 के पटना के जिला में बख्तियारपुर के जिस गांव का जिक्र है और बख्तियार खिलजी का नाम बार-बार लिखते हैं, बख्तियार खिलजी को अपने नाम पर कोई नामकरण करवाना था तो बिहार शरीफ, मनेर, मिर्जापुर, बनारस जैसे शहरों का नाम अपने नाम पर करवा लेते. नीरज कुमार ने कहा कि सच्चाई है कि बख्तियारपुर का नाम हिंदुस्तान के इतिहास में महान सूफी संत बख्तियार काकी के नाम पर हुआ है.

"बख्तियार काकी का 1173 में जन्म हुआ और 1235 में मृत्यु हुई. इसलिए हम यह अनुरोध करेंगे कि जो भी ऐसी सलाह देते हैं उनको हिंदू के द्वारा लिखी गई किताब पढ़नी चाहिए. राधा कृष्ण चौधरी द्वारा एक किताब लिखी हुई है. उस किताब को पढ़ना चाहिए. तबकात ए नासिरी बाय मिनहाज इन ट्रांसलेटेड बाय एक जी रावल टे पढ़ना चाहिए."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के सात आठ जगहों के स्टेशनों का नाम बदलने की रिकमेंडेशन रेलवे सरकार से उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है. उसका असर बिहार तक पहुंचा है. अभी इसी के चलते बिहार सरकार के पीएचईडी मंत्री ने मांग रखी कि बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदला जाए. सुनील पांडे का कहना है कि यह बात मनगढ़ंत है. एकेडमिक सपोर्ट इसका कुछ नहीं है कि बख्तियारपुर स्टेशन बख्तियार खिलजी के नाम पर है.

"बख्तियार खिलजी, बंगाल से होते हुए मिर्जापुर होते हुए मनेर आया है. मनेर से सीधे बिहारशरीफ जाने का प्रमाण मिलता है. कहीं भी 1901 के जनगणना से पहले बख्तियारपुर कोई ऐसा स्थल वहां नहीं था. यह जगह बख्तियार काकी की संतों का इलाका था. बगल में अमीर खुसरो के कारण खुसरूपुर है."- सुनील पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार

"जगह का नाम बदलने के लिए यह सबसे सही समय है. हम किसी जगह का नाम एक हत्यारे के नाम पर कैसे रख सकते हैं? हम शहरों के लिए ऐतिहासिक नाम प्रयोग करते हैं, आक्रमणकारियों और हत्यारों द्वारा दिए गए नाम नहीं रखते हैं."- सुरेश द्विवेदी, असिस्टेंट प्रोफेसर, नुनुवती जगदेव सिंह महाविद्यालय, बख्तियारपुर

'राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए उठती है ऐसी मांग': सुनील पांडेय ने आगे कहा कि यह प्रमाणित है कि बख्तियारपुर का नाम बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं बल्कि बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है. देश के किसी हिस्से में किसी आक्रांत के नाम पर शहर का नाम रखने का मामला सामने नहीं आया है. यह मांग कोई पहली बार नहीं उठी है. जब बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह थे तो उसके समय में भी बख्तियारपुर के नाम बदलने का प्रस्ताव रखा गया था. उसके बाद लगातार भाजपा के कई नेता इस तरह की मांग उठाते रहे हैं. इस तरीके की मांग सिर्फ राजनीति के तहत की जा रही है ताकि राजनीतिक ध्रुवीकरण हो सके.

CONTROVERSY OVER BAKHTIYARPUR NAME
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कब उठा यह मामला: RTI कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद द्वारा दायर आरटीआई से पता चला है कि लालू यादव ने 30 मार्च, 2006 को तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल को दो अनुरोध भेजे थे. एक बिहार के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह और दूसरा उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का .इसका उद्देश्य बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्र याजी के नाम पर रखना था. लालू के पत्र में कहा गया है, "चूंकि गृह मंत्रालय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए नोडल प्राधिकरण है, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया जल्द से जल्द मंजूरी प्रदान करें."

गृह मंत्रालय का जवाब: आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, "बिहार राज्य सरकार से रेल मंत्रालय के माध्यम से 30 मार्च, 2006 को उनके पत्र के माध्यम से बख्तियारपुर का नाम बदलकर शीलभद्र याजी नगर करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था. संबंधित राज्य सरकार से मांगी गई अतिरिक्त जानकारी प्राप्त न होने के कारण मामले पर आगे कार्रवाई नहीं की जा सकी."

2004 में भी उठी मांग: बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग 2004 में भी उठी थी. वर्ष 2004 में जब बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू था और बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह ने बख़्तियारपुर का नाम बदलने का सुझाव दिया था. वर्ष 2018 में मोदी सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह और कुछ दिन पहले भाजपा से राज्य सभा सांसद और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने इस सुझाव को दोहराया.

बख़्तियारपुर का क्या है ऐतिहासिक प्रमाण?: बख्तियारपुर के ऐतिहासिक प्रमाण की बात की जाए तो बख्तियारपुर का नाम बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था. बख्तियारपुर का नाम हिंदुस्तान के इतिहास में महान सूफी संत जहां हिंदू और मुसलमान दोनों पूजा करते थे, बख्तियार काकी के नाम पर हुआ है. 1881 में राधा कृष्ण चौधरी द्वारा लिखी हुई किताब तबेक़त ए नासिरी बाय मिनहाज इन ट्रांसलेटेड बाय एक जी रावल टे के पेज नंबर 548 पर स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि बख्तियार काकी जो महान सूफी संत थे उन्हीं के नाम पर बख्तियारपुर रखा गया.

बीजेपी के इन नेताओं ने पहले भी उठायी मांग: बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग पहले भी हो चुकी है. गिरिराज सिंह, हरिभूषण ठाकुर बचौल, गोपाल नारायण सिंह सहित कई नेताओं ने ये मांग उठायी है. एक बार फिर से शहर और रेलवे स्टेशन के नामों को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

क्या है नाम बदलने का प्रावधान?: किसी जिले या शहर का नाम बदलना आसान नहीं होता है. इसके लिए कैबिनेट तक प्रस्ताव जाता है. इसके बाद मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पास होने के बाद ही शहर या जिले का नाम बदलने का परमिशन प्राप्त होता है. जब प्रस्ताव पारित हो जाता है तो फिर नए शहर या जिले के नाम पर गजट पत्र तैयार होता है. जिसके बाद नाम को मंजूरी मिलती है.

सिमरी बख्तियारपुर को लेकर विवाद नहीं?: बिहार में एक बार फिर बख्तियारपुर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. लेकिन प्रदेश में ये एक ही बख्तियारपुर नहीं है. सहरसा में सिमरी बख्तियारपुर है, लेकिन इसको लेकर अबतक कोई मांग नहीं की गई है.ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसके नाम को लेकर आपत्ति क्यों दर्ज नहीं की गई है.

बता दें कि सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर को 24 फरवरी 1954 को प्रखंड का दर्जा मिला था. 22 सितंबर 1992 को सिमरी बख्तियारपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला. उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 112 वें अनुमंडल के रूप में इसका उद्घाटन किया था. सिमरी बख्तियारपुर के नाम को बदलने को लेकर अभी तक कोई मांग नहीं हुई है. मिथिलांचल के अंतर्गत आने वाले सिमरी बख्तियारपुर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हिंदू और मुस्लिम आपसी भाईचारा के साथ रहते हैं.

ये भी पढ़ें- Bakhtiyarpur controversy: 'गुलामी की सारी निशानियों को बिहार से हटा दूंगा', बोले गिरिराज सिंह- '.. तो बदलेगा बख्तियारपुर का नाम'

बख्तियारपुर नाम पर बीजेपी-जेडीयू में ठनी (ETV Bharat)

पटना: बिहार में शहर के नाम बदलने की मांग एक बार फिर से उठने लगी है. बिहार में बख्तियारपुर के नाम बदलने की मांग को लेकर विवाद शुरू हो गया है. नाम बदलने को लेकर BJP- JDU आमने-सामने आ गई है. दोनों एक दूसरे को इतिहास को समझने की नसीहत देने लगे हैं

क्या कहना है बीजेपी का?: बीजेपी लगातार मुगलों के नाम पर बसे शहरों के नाम बदलने की मांग करती रही है.एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के तर्ज पर बिहार में भी मुगलों के नाम पर रखे गए जगहों के नाम बदलने की मांग उठने लगी है. बीजेपी नेताओं ने एक बार फिर से बख्तियारपुर का नाम को बदलने की मांग शुरू कर दी है. जबकि JDU ने कहा कि उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है. एक बार फिर से शहर एवं रेलवे स्टेशन के नाम बदलने को लेकर विवाद शुरू हो गया है. फर्क इतना है कि सत्तारूढ़ दल के नेता ही आपस में उलझ रहे हैं.

CONTROVERSY OVER BAKHTIYARPUR NAME
ईटीवी भारत GFX (Etv Bharat)

बीजेपी की दो टूक गलती सुधारेंगे: बीजेपी बिहार में बख्तियारपुर नाम बदलने को लेकर कई बार सरकार से मांग कर चुकी है. एक बार फिर से मुगलों के नाम पर रखे हुए शहरों और रेलवे स्टेशन के नाम बदलने की मांग हो रही है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता कुंतल कृष्ण का कहना है कि जिन लोगों ने बिहार को लूटा जिन लोगों ने यहां के इतिहास को जला दिया, जिन्होंने देश को चारागाह बना दिया, उन लोगों के नाम पर शहरों और जगह का नाम रखकर हम अपने आप को गौरवान्वित कैसे महसूस कर सकते हैं?

"कांग्रेस और राजद के तुष्टिकरण का यह नतीजा है. चाहे वह बख्तियार खिलजी हो या कोई और आपका भारत के इतिहास में लुटेरे के रूप में नाम दर्ज है, आप लुटेरे ही रहेंगे. उनके नाम पर कोई जगह का नाम हो, इससे दुखद कुछ हो नहीं सकता है. हम अपनी गलती को सुधरेंगे और हम गलती सुधारने में विश्वास रखते हैं."- कुंतल कृष्ण, प्रदेश प्रवक्ता, बीजेपी

'इतिहास का ज्ञान नहीं'-JDU: वहीं जदयू के नेताओं का बीजेपी पर हमला जारी है और उन्हें इतिहास पढ़ने की नसीहत दे रहे हैं. जदयू के विधान पार्षद और मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नाम बदलने से अगर लोगों की जीवन दशा बदल जाए, गरीबी दूर हो जाए, अशिक्षा दूर हो जाए, उसके जीवन की चुनौतियां दूर हो जाए, अपराध शून्य हो जाए, तब हम तैयार हम हैं. लेकिन हम यह समझना चाहते हैं कि इतिहास के पन्नों में कहां पढ़ा कि किताब में पढ़ा है.उन्हें इतिहास का ज्ञान नहीं है.

'1901 में बख्तियारपुर का गजेटियर प्रकाशित': नीरज कुमार ने कहा कि 1901 में बख्तियारपुर का गजेटियर प्रकाशित हुआ और 1901 की जनगणना में उसकी जनसंख्या मात्र 234 थी. 1907 के पटना के जिला में बख्तियारपुर के जिस गांव का जिक्र है और बख्तियार खिलजी का नाम बार-बार लिखते हैं, बख्तियार खिलजी को अपने नाम पर कोई नामकरण करवाना था तो बिहार शरीफ, मनेर, मिर्जापुर, बनारस जैसे शहरों का नाम अपने नाम पर करवा लेते. नीरज कुमार ने कहा कि सच्चाई है कि बख्तियारपुर का नाम हिंदुस्तान के इतिहास में महान सूफी संत बख्तियार काकी के नाम पर हुआ है.

"बख्तियार काकी का 1173 में जन्म हुआ और 1235 में मृत्यु हुई. इसलिए हम यह अनुरोध करेंगे कि जो भी ऐसी सलाह देते हैं उनको हिंदू के द्वारा लिखी गई किताब पढ़नी चाहिए. राधा कृष्ण चौधरी द्वारा एक किताब लिखी हुई है. उस किताब को पढ़ना चाहिए. तबकात ए नासिरी बाय मिनहाज इन ट्रांसलेटेड बाय एक जी रावल टे पढ़ना चाहिए."- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू

एक्सपर्ट की राय: वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय का कहना है कि पिछले हफ्ते उत्तर प्रदेश के सात आठ जगहों के स्टेशनों का नाम बदलने की रिकमेंडेशन रेलवे सरकार से उत्तर प्रदेश सरकार ने किया है. उसका असर बिहार तक पहुंचा है. अभी इसी के चलते बिहार सरकार के पीएचईडी मंत्री ने मांग रखी कि बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदला जाए. सुनील पांडे का कहना है कि यह बात मनगढ़ंत है. एकेडमिक सपोर्ट इसका कुछ नहीं है कि बख्तियारपुर स्टेशन बख्तियार खिलजी के नाम पर है.

"बख्तियार खिलजी, बंगाल से होते हुए मिर्जापुर होते हुए मनेर आया है. मनेर से सीधे बिहारशरीफ जाने का प्रमाण मिलता है. कहीं भी 1901 के जनगणना से पहले बख्तियारपुर कोई ऐसा स्थल वहां नहीं था. यह जगह बख्तियार काकी की संतों का इलाका था. बगल में अमीर खुसरो के कारण खुसरूपुर है."- सुनील पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार

"जगह का नाम बदलने के लिए यह सबसे सही समय है. हम किसी जगह का नाम एक हत्यारे के नाम पर कैसे रख सकते हैं? हम शहरों के लिए ऐतिहासिक नाम प्रयोग करते हैं, आक्रमणकारियों और हत्यारों द्वारा दिए गए नाम नहीं रखते हैं."- सुरेश द्विवेदी, असिस्टेंट प्रोफेसर, नुनुवती जगदेव सिंह महाविद्यालय, बख्तियारपुर

'राजनीतिक ध्रुवीकरण के लिए उठती है ऐसी मांग': सुनील पांडेय ने आगे कहा कि यह प्रमाणित है कि बख्तियारपुर का नाम बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं बल्कि बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया है. देश के किसी हिस्से में किसी आक्रांत के नाम पर शहर का नाम रखने का मामला सामने नहीं आया है. यह मांग कोई पहली बार नहीं उठी है. जब बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह थे तो उसके समय में भी बख्तियारपुर के नाम बदलने का प्रस्ताव रखा गया था. उसके बाद लगातार भाजपा के कई नेता इस तरह की मांग उठाते रहे हैं. इस तरीके की मांग सिर्फ राजनीति के तहत की जा रही है ताकि राजनीतिक ध्रुवीकरण हो सके.

CONTROVERSY OVER BAKHTIYARPUR NAME
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

कब उठा यह मामला: RTI कार्यकर्ता गोपाल प्रसाद द्वारा दायर आरटीआई से पता चला है कि लालू यादव ने 30 मार्च, 2006 को तत्कालीन गृह मंत्री शिवराज पाटिल को दो अनुरोध भेजे थे. एक बिहार के पूर्व राज्यपाल बूटा सिंह और दूसरा उस समय हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का .इसका उद्देश्य बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर स्वतंत्रता सेनानी शीलभद्र याजी के नाम पर रखना था. लालू के पत्र में कहा गया है, "चूंकि गृह मंत्रालय रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए नोडल प्राधिकरण है, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया जल्द से जल्द मंजूरी प्रदान करें."

गृह मंत्रालय का जवाब: आरटीआई के जवाब में गृह मंत्रालय ने कहा, "बिहार राज्य सरकार से रेल मंत्रालय के माध्यम से 30 मार्च, 2006 को उनके पत्र के माध्यम से बख्तियारपुर का नाम बदलकर शीलभद्र याजी नगर करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ था. संबंधित राज्य सरकार से मांगी गई अतिरिक्त जानकारी प्राप्त न होने के कारण मामले पर आगे कार्रवाई नहीं की जा सकी."

2004 में भी उठी मांग: बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग 2004 में भी उठी थी. वर्ष 2004 में जब बिहार में राष्ट्रपति शासन लागू था और बिहार के राज्यपाल बूटा सिंह ने बख़्तियारपुर का नाम बदलने का सुझाव दिया था. वर्ष 2018 में मोदी सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह और कुछ दिन पहले भाजपा से राज्य सभा सांसद और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश सिन्हा ने इस सुझाव को दोहराया.

बख़्तियारपुर का क्या है ऐतिहासिक प्रमाण?: बख्तियारपुर के ऐतिहासिक प्रमाण की बात की जाए तो बख्तियारपुर का नाम बख्तियार खिलजी के नाम पर नहीं बख्तियार काकी के नाम पर रखा गया था. बख्तियारपुर का नाम हिंदुस्तान के इतिहास में महान सूफी संत जहां हिंदू और मुसलमान दोनों पूजा करते थे, बख्तियार काकी के नाम पर हुआ है. 1881 में राधा कृष्ण चौधरी द्वारा लिखी हुई किताब तबेक़त ए नासिरी बाय मिनहाज इन ट्रांसलेटेड बाय एक जी रावल टे के पेज नंबर 548 पर स्पष्ट रूप से यह लिखा गया है कि बख्तियार काकी जो महान सूफी संत थे उन्हीं के नाम पर बख्तियारपुर रखा गया.

बीजेपी के इन नेताओं ने पहले भी उठायी मांग: बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग पहले भी हो चुकी है. गिरिराज सिंह, हरिभूषण ठाकुर बचौल, गोपाल नारायण सिंह सहित कई नेताओं ने ये मांग उठायी है. एक बार फिर से शहर और रेलवे स्टेशन के नामों को लेकर विवाद शुरू हो गया है.

क्या है नाम बदलने का प्रावधान?: किसी जिले या शहर का नाम बदलना आसान नहीं होता है. इसके लिए कैबिनेट तक प्रस्ताव जाता है. इसके बाद मंत्रिमंडल में प्रस्ताव पास होने के बाद ही शहर या जिले का नाम बदलने का परमिशन प्राप्त होता है. जब प्रस्ताव पारित हो जाता है तो फिर नए शहर या जिले के नाम पर गजट पत्र तैयार होता है. जिसके बाद नाम को मंजूरी मिलती है.

सिमरी बख्तियारपुर को लेकर विवाद नहीं?: बिहार में एक बार फिर बख्तियारपुर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. लेकिन प्रदेश में ये एक ही बख्तियारपुर नहीं है. सहरसा में सिमरी बख्तियारपुर है, लेकिन इसको लेकर अबतक कोई मांग नहीं की गई है.ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इसके नाम को लेकर आपत्ति क्यों दर्ज नहीं की गई है.

बता दें कि सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर को 24 फरवरी 1954 को प्रखंड का दर्जा मिला था. 22 सितंबर 1992 को सिमरी बख्तियारपुर को अनुमंडल का दर्जा मिला. उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 112 वें अनुमंडल के रूप में इसका उद्घाटन किया था. सिमरी बख्तियारपुर के नाम को बदलने को लेकर अभी तक कोई मांग नहीं हुई है. मिथिलांचल के अंतर्गत आने वाले सिमरी बख्तियारपुर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर हिंदू और मुस्लिम आपसी भाईचारा के साथ रहते हैं.

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