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आंध्र प्रदेश: CM चंद्रबाबू ने विजयवाड़ा से श्रीशैलम के बीच सीप्लेन में भरी उड़ान

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने विजयवाड़ा से श्रीशैलम तक सीप्लेन सेवा को लेकर उड़ान भरी.

cm Chandrababu Seaplane trial run
आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा से श्रीशैलम के बीच सी प्लेन सेवा (ETV Bharat Andhra Pradesh Desk)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 9, 2024, 1:32 PM IST

विजयवाड़ा: देश में पहली बार पर्यटन के तौर पर 'सी प्लेन' का इस्तेमाल शुरू हुआ है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू और केंद्र व राज्य सरकार के कई अधिकारियों ने विजयवाड़ा के पुन्नमघाट से श्रीशैलम तक 'सी प्लेन' में यात्रा की. इसमें 14 लोग यात्रा कर सकते हैं.

इसका आयोजन नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MOCA) और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. सरकार राज्य के विमानन क्षेत्र को और विकसित करने के लिए सी-प्लेन शुरू करने की मंशा रखती है. हर किसी की दिलचस्पी इस बात में है कि 'सी-प्लेन' का सफर कैसा होगा.

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ड्रोन सम्मेलन से राज्य ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था. सरकार एक बार फिर सी-प्लेन यात्रा उपलब्ध कराकर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. सी-प्लेन यात्रा कैसी होती है?

1,500 फीट की ऊंचाई पर यात्रा

विजयवाड़ा से श्रीशैलम तक सी प्लेन से करीब 150 किलोमीटर की दूरी है. ये हवाई यात्रा होगी. सीप्लेन धरती की सतह से 1,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. हवाई जहाज आमतौर पर जमीन से 15-20 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं. अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद पर्यटकों को प्रकृति की खूबसूरती दिखाने का अनुभव प्रदान करना है. भले ही सी प्लेन भी उसी ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हों. अधिकारियों ने इस यात्रा के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से जरूरी अनुमति ले ली है.

यात्रा में लगते हैं केवल 30 मिनट

इस यात्रा के दौरान 10 मिनट टेक-ऑफ और लैंडिंग में साथ ही 20 मिनट आसमान में उड़ान भरेंगे. फिलहाल अधिकारियों ने पुन्नामीघाट से सीधे श्रीशैलम तक का रास्ता चुना है. इसकी खासियत यह है कि टेक-ऑफ और लैंडिंग दोनों ही पानी में होते हैं. इसे आम हवाई जहाजों की तरह रनवे की जरूरत नहीं होती. इसके लिए पानी में फ्लोटिंग पुल (jetty) लगाई जाएंगी. अधिकारियों ने विजयवाड़ा के पुन्नामी घाट पर एक खास जेटी बनाई है. श्रीशैलम में मौजूदा जेटी का इस्तेमाल अस्थायी तौर पर किया जाएगा. जेटी से रैंप के जरिए सी-प्लेन में चढ़ने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है.

केंद्र सरकार क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत जल हवाई अड्डे विकसित करने की योजना तैयार कर रही है. इसके अनुसार सी प्लेन सेवाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्र ने कहा कि उड़ान योजना में दी जाने वाली सुविधाएं सी प्लेन सेक्टर पर भी लागू हैं.

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने देश में जल परियोजनाएं वाले क्षेत्रों में सी प्लेन सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत प्रकाशम बैराज को पहले प्रक्षेपण केंद्र के रूप में चुना गया है. राज्य में तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा सरकार लोगों को अनूठा यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए सात और क्षेत्रों पर विचार कर रही है. वे हैं- अराकू, लांबासिंघी, रुशिकोंडा, काकीनाडा, कोनसीमा, तिरुपति और श्रीशैलम.

ये भी पढ़ें- विजयवाड़ा-श्रीशैलम 'सी प्लेन' का ट्रायल रन सफलतापूर्वक हुआ सम्पन्न

विजयवाड़ा: देश में पहली बार पर्यटन के तौर पर 'सी प्लेन' का इस्तेमाल शुरू हुआ है. मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू और केंद्र व राज्य सरकार के कई अधिकारियों ने विजयवाड़ा के पुन्नमघाट से श्रीशैलम तक 'सी प्लेन' में यात्रा की. इसमें 14 लोग यात्रा कर सकते हैं.

इसका आयोजन नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MOCA) और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा. सरकार राज्य के विमानन क्षेत्र को और विकसित करने के लिए सी-प्लेन शुरू करने की मंशा रखती है. हर किसी की दिलचस्पी इस बात में है कि 'सी-प्लेन' का सफर कैसा होगा.

हाल ही में अंतरराष्ट्रीय ड्रोन सम्मेलन से राज्य ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था. सरकार एक बार फिर सी-प्लेन यात्रा उपलब्ध कराकर दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है. सी-प्लेन यात्रा कैसी होती है?

1,500 फीट की ऊंचाई पर यात्रा

विजयवाड़ा से श्रीशैलम तक सी प्लेन से करीब 150 किलोमीटर की दूरी है. ये हवाई यात्रा होगी. सीप्लेन धरती की सतह से 1,500 फीट की ऊंचाई पर उड़ता है. हवाई जहाज आमतौर पर जमीन से 15-20 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं. अधिकारियों का कहना है कि इसका मकसद पर्यटकों को प्रकृति की खूबसूरती दिखाने का अनुभव प्रदान करना है. भले ही सी प्लेन भी उसी ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम हों. अधिकारियों ने इस यात्रा के लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से जरूरी अनुमति ले ली है.

यात्रा में लगते हैं केवल 30 मिनट

इस यात्रा के दौरान 10 मिनट टेक-ऑफ और लैंडिंग में साथ ही 20 मिनट आसमान में उड़ान भरेंगे. फिलहाल अधिकारियों ने पुन्नामीघाट से सीधे श्रीशैलम तक का रास्ता चुना है. इसकी खासियत यह है कि टेक-ऑफ और लैंडिंग दोनों ही पानी में होते हैं. इसे आम हवाई जहाजों की तरह रनवे की जरूरत नहीं होती. इसके लिए पानी में फ्लोटिंग पुल (jetty) लगाई जाएंगी. अधिकारियों ने विजयवाड़ा के पुन्नामी घाट पर एक खास जेटी बनाई है. श्रीशैलम में मौजूदा जेटी का इस्तेमाल अस्थायी तौर पर किया जाएगा. जेटी से रैंप के जरिए सी-प्लेन में चढ़ने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की गई है.

केंद्र सरकार क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस) के तहत जल हवाई अड्डे विकसित करने की योजना तैयार कर रही है. इसके अनुसार सी प्लेन सेवाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है. केंद्र ने कहा कि उड़ान योजना में दी जाने वाली सुविधाएं सी प्लेन सेक्टर पर भी लागू हैं.

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने देश में जल परियोजनाएं वाले क्षेत्रों में सी प्लेन सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत प्रकाशम बैराज को पहले प्रक्षेपण केंद्र के रूप में चुना गया है. राज्य में तटीय पर्यटन को बढ़ावा देने के अलावा सरकार लोगों को अनूठा यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए सात और क्षेत्रों पर विचार कर रही है. वे हैं- अराकू, लांबासिंघी, रुशिकोंडा, काकीनाडा, कोनसीमा, तिरुपति और श्रीशैलम.

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