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DSP को डिमोट कर इंस्पेक्टर बनाने का आदेश निरस्त, हाईकोर्ट ने दिया प्रमोट करने का आदेश - DSP LAXMI SINGH CHAUHAN

हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर रिवर्ट करने का सरकार का आदेश निरस्त कर दिया.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश (Photo Credit- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 5:53 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर रिवर्ट करने का सरकार का आदेश निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने लक्ष्मी सिंह चौहान को डिप्टी एसपी के पद पर बहाल कर करते हुए लोक सेवा आयोग द्वारा उसे डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाने की संस्तुति भी निरस्त कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

याची लक्ष्मी सिंह चौहान जनपद गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर वर्ष 2019 में कार्यरत थी. उस दौरान याची व छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 25 सितंबर 2019 को तत्कालीन डिप्टी एसपी साहिबाबाद ने आईपीसी की धारा 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में थाना लिंक रोड में एफआईआर दर्ज कराई. याची व अन्य पुलिसकर्मियों के पर आरोप था कि अभियुक्त राजीव सचान निवासी गौतमबुद्धनगर को 31 लाख रुपये के साथ एवं अभियुक्त आमिर को 14 लाख 81 हजार पांच सौ रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में अभियुक्त राजीव कुमार ने अपने पास लगभग 55 लाख रुपये एवं अभियुक्त आमिर ने अपने पास से लगभग 60-70 लाख रुपये बरामद होना बताया. बरामद धनराशि एवं अभियुक्तों द्वारा पूछताछ में बताई गई धनराशि में लगभग 70-80 लाख रुपये का अंतर बताया गया. उक्त क्रिमिनल केस में याची सहित सभी छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध पुलिस ने आईपीसी की धारा 409/411 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 7/13 में आरोप पत्र दाखिल किया.

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट को बताया कि विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के यहां चार्जशीट दाखिल होने के बाद डिस्चार्ज अर्जी दी गई, जिस पर स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने याची व छह अन्य पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 से डिस्चार्ज कर दिया.

श्री गौतम ने कहा कि उसके बाद सरकार ने उक्त डिस्चार्ज आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया, जिसमें हाईकोर्ट ने याची को नोटिस जारी किया और विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के आदेश को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति दी गई एवं याची को क्रिमिनल केस विचाराधीन होने के कारण डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई.

याची से जूनियर निरीक्षकों को भी डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नत कर दिया गया. हाईकोर्ट ने याचिका में शासनादेश के अनुसार पदोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश दिया उसके बाद 29 अगस्त 2023 को याची को उप्र शासन ने डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी. पदोन्नति आदेश के तहत याची ने 30 अगस्त 2023 को पुलिस उपाधीक्षक के पद पर आगरा में चार्ज ग्रहण कर लिया. नौ महीने डिप्टी एसपी के पद पर कार्य करने के बाद याची को 11 जून 2024 को विशेष सचिव गृह के आदेश से डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति के आदेश को निरस्त कर उसे इंस्पेक्टर बना दिया गया.

यह आदेश उप्र लोक सेवा आयोग की संस्तुति के आधार पर किया गया. याची ने गृह विभाग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन व पुलिस के आलाधिकारियों को निर्देश दिया कि याची की तदर्थ आधार पर डिप्टी एसपी पद पर पदोन्नति रहेगी और यह पदोन्नति पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही के निर्णय पर निर्भर रहेगी.

ये भी पढ़ें- CM योगी बोले- जाति के नाम पर हमें तोड़ने वाले विपक्ष को कुंदरकी में लगा उल्टा तीर, दो मंत्रियों की ली चुटकी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर रिवर्ट करने का सरकार का आदेश निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने लक्ष्मी सिंह चौहान को डिप्टी एसपी के पद पर बहाल कर करते हुए लोक सेवा आयोग द्वारा उसे डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाने की संस्तुति भी निरस्त कर दी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और सरकारी वकील को सुनकर दिया है.

याची लक्ष्मी सिंह चौहान जनपद गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर वर्ष 2019 में कार्यरत थी. उस दौरान याची व छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध 25 सितंबर 2019 को तत्कालीन डिप्टी एसपी साहिबाबाद ने आईपीसी की धारा 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 में थाना लिंक रोड में एफआईआर दर्ज कराई. याची व अन्य पुलिसकर्मियों के पर आरोप था कि अभियुक्त राजीव सचान निवासी गौतमबुद्धनगर को 31 लाख रुपये के साथ एवं अभियुक्त आमिर को 14 लाख 81 हजार पांच सौ रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया.

पूछताछ में अभियुक्त राजीव कुमार ने अपने पास लगभग 55 लाख रुपये एवं अभियुक्त आमिर ने अपने पास से लगभग 60-70 लाख रुपये बरामद होना बताया. बरामद धनराशि एवं अभियुक्तों द्वारा पूछताछ में बताई गई धनराशि में लगभग 70-80 लाख रुपये का अंतर बताया गया. उक्त क्रिमिनल केस में याची सहित सभी छह अन्य पुलिसकर्मियों के विरुद्ध पुलिस ने आईपीसी की धारा 409/411 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 7/13 में आरोप पत्र दाखिल किया.

याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम ने कोर्ट को बताया कि विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के यहां चार्जशीट दाखिल होने के बाद डिस्चार्ज अर्जी दी गई, जिस पर स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने याची व छह अन्य पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/13 से डिस्चार्ज कर दिया.

श्री गौतम ने कहा कि उसके बाद सरकार ने उक्त डिस्चार्ज आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया, जिसमें हाईकोर्ट ने याची को नोटिस जारी किया और विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के आदेश को अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया. वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति दी गई एवं याची को क्रिमिनल केस विचाराधीन होने के कारण डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई.

याची से जूनियर निरीक्षकों को भी डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नत कर दिया गया. हाईकोर्ट ने याचिका में शासनादेश के अनुसार पदोन्नति पर निर्णय लेने का निर्देश दिया उसके बाद 29 अगस्त 2023 को याची को उप्र शासन ने डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी. पदोन्नति आदेश के तहत याची ने 30 अगस्त 2023 को पुलिस उपाधीक्षक के पद पर आगरा में चार्ज ग्रहण कर लिया. नौ महीने डिप्टी एसपी के पद पर कार्य करने के बाद याची को 11 जून 2024 को विशेष सचिव गृह के आदेश से डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति के आदेश को निरस्त कर उसे इंस्पेक्टर बना दिया गया.

यह आदेश उप्र लोक सेवा आयोग की संस्तुति के आधार पर किया गया. याची ने गृह विभाग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने प्रदेश शासन व पुलिस के आलाधिकारियों को निर्देश दिया कि याची की तदर्थ आधार पर डिप्टी एसपी पद पर पदोन्नति रहेगी और यह पदोन्नति पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उसके खिलाफ चल रही आपराधिक कार्यवाही के निर्णय पर निर्भर रहेगी.

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