बेतिया : बिहार का एक ऐसा गांव जहां के लोगों का न तो बैंक अकाउंट खुल रहा है, न उन्हें कोई नौकरी पर रख रहा है. यह गांव साइबर ठगी के लिए कुख्यात हो चुका है. अब तक देश में साइबर ठगी का मुख्य ठिकाना जामताड़ा को समझा जाता रहा है लेकिन बिहार के एक छोटे से गांव ने सुरक्षा विभाग को भी हिला कर रख दिया है. यहां के युवाओं का संपर्क पाकिस्तान, दुबई और अन्य देशों के साइबर ठगों से है.
गलत तरीके से खटाखट मालामाल : ऐसा कोई दिन नहीं जब इस गांव में किसी न किसी राज्य की पुलिस न आती हो. इन सब कार्रवाइयों से यहां के गांव वाले परेशान हैं. सामाजिक दिक्कतें भी इन गांव वालों की बढ़ती जा रही है. ये और बात है कि इस गांव के युवाओं के पास महंगे फोन, बड़े घर और खटाखट रुपयों की बरसात हो रही है, बावजूद इसके इन युवाओं के घर रिश्ता लेकर कोई आ-जा नहीं रहा है.
जोकटिया में जड़ जमाता साइबर क्राइम : वजह ये है कि 13000 की आबादी वाले इस गांव में 300 लोग साइबर क्राइम में संलिप्त पाए गए हैं. इनकी पुलिस जांच कर रही है. इसमें से कई गिरफ्तार हो चुके हैं, कितने सजा पूरी करके साइबर ठगी के पैसे से ही दूसरे बिजनस में शिफ्ट हो चुके हैं. 8 साल पहले इसी गांव के एक युवा ने लगभग पूरे गांव को इस दलदल में झोंक दिया.
गांव वालों के 117 अकाउंट फ्रीज : मझौलिया के जोकटिया से जुड़े भारतीय स्टेट बैंक के मझौलिया शाखा में करीब 117 खातों से संदिग्ध ट्रांजेक्शन पाए जाने पर अकाउंट फ्रीज कर दिया गया है. इसके साथ ही इस गांव के अन्य अकाउंट पर भी निगरानी चल रही है. गांव के लोगों का बैंक अकाउंट भी नहीं खुल रहा है. बैंक भी इस गांव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहता है.
साइबर ठगी का पाकिस्तान कनेक्शन : जोकटिया को लेकर पुलिस फिर एक्टिव हो गई है. हाल ही में कटिहार साइबर पुलिस ने नेस्ताक आलम (24 वर्ष) को गिरफ्तार किया. जब उसकी साइबर कुंडली खंगाली गई तो उसके तार पाकिस्तान से जुड़ते दिखाई दिए. पुलिस की टीम ने जोकटिया के नेस्ताक आलम से जुड़े जो खुलासे किए उसे लेकर सुरक्षा एजेंसियों के भी होश उड़ गए. खुद नेस्ताक ने भी कबूल किया कि वह रुपयों को पाकिस्तान भेजा करता था.
अकाउंट खरीदकर करते थे ठगी : जोकटिया गांव में साइबर ठगी से जुड़े लोग 10 से 20 फीसदी में अकाउंट खरीदते थे. इसके एवज में ये खाताधारक को हर ट्रांजेक्शन के बदले कमीशन देते थे. इनके झांसे में भोले-भाले ग्रामीण फंस जाते थे. जब तक पुलिस उनतक पहुंचती ये लड़के रकम लेकर फरार हो जाते. शेष रकम ये हवाला या कैश के जरिए पाकिस्तान तक पहुंचाने का काम करते थे.
''इनका काम पाकिस्तानियों को अकाउंट प्रोवाइड कराते थे. उस अकाउंट में जो भी रकम आती थी उसमें 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था. शेष पैसा ये लोग हवाला या कैश वो पाकिस्तान में बैठे लोगों तक पहुंचाते थे. इन अभियुक्तों की जब मोबाइल की जांच की गई तो उसमें करोड़ों रुपए के ट्रांजेक्शन मिले हैं. साथ ही जितने भी पाकिस्तानी संपर्क हैं सबके संपर्क पाए गए हैं.''- सद्दाम हुसैन, डीएसपी, कटिहार
हवाला के जरिए भेजी जाती थी रकम : डीएसपी ने बताया कि साइबर क्राइम के जरिए की गई ठगी की रकम अकाउंट में आते ही ये लड़के उन्हें एटीएम या किसी और माध्यम से निकाल लेते थे और फिर उन्हें पाकिस्तान या दूसरे देशों में हवाला के जरिए भेजा जाता था. अब तक पकड़े गए लोगों के मोबाइल के आधार पर करोड़ों के ट्रांजेक्शन का मामला सामने आ चुका है. इस मामले में अब भी जांच की जा रही है.
साइबर ठगी से कैसे बचें? : बेतिया सदर डीएसपी विवेक दीप से बात की गई तो उन्होंने बताया कि साइबर ठगी की घटनाएं तब तक नहीं रुक सकतीं जब तक कि लोग जागरुक नहीं होते. साइबर अपराध के कई तरीके हैं. मोबाइल के माध्यम से साइबर अपराधी ओटीपी मांगते हैं. किसी लिंक के माध्यम से पैसे का भुगतान कराते हैं.
''साइबर ठगी से बचने का तरीका ये है कि किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें. किसी से भी ओटीपी शेयर न करें. ना ही किसी अनजान लिंक के माध्यम से भुगतान करें.''- विवेक दीप, डीएसपी, सदर