मधुबनी: देश-विदेशों में बिहार की कला का डंका बजाने वाली मिथिला पेंटिंग अब विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रही है. मधुबनी जिले की स्थापना दिवस के मौके पर लोगों ने सबसे लंबी मिथिला पेंटिंग बनायी. 910 कलाकारों ने सामुहिक रूप से 182 विषयों पर कलाकृति बनायी. इसकी लंबाई 1900 फीट है. इतनी लंबी मिथिलि पेंटिंग कभी नहीं बनी थी. बिहार के लोगों ने पेंटिंग से विश्व रिकॉर्ड बनाया.
स्थापना दिवस के मौके पर बनी पेंटिंगः यह कार्यक्रम मिथिला चित्रकला संस्थान और कला एवं संस्कृति विभाग बिहार की से आयोजित किया गया. बिहार के कोने-कोने से कलाकार को चित्र बनाने के लिए आमंत्रित किया गया था. कार्यक्रम का शुभारंभ के बाद कलाकारों ने सामुहिक रूप से अपने कला का प्रदर्शन किया. सुबह से लेकर दोपहर तक कलाकार पेंटिंग बनाते रहे.
1972 में मधुबनी की स्थापनाः बता दें कि 1 दिसंबर 1972 को दरभंगा से अलग होकर मधुबनी जिले की स्थापना हुई. मधुबनी मिथिला क्षेत्र का केंद्र माना जाता है. दरभंगा, सीतामढ़ी और नेपाल के कुछ क्षेत्र को मिथिला के नाम से ही जाना जाता है. बात मिथिला पेंटिंग की करें तो यह कला मधुबनी की ही देन है. मिथिला पेंटिंग मधुबनी पेंटिंग भी कहा जाता है. यह कला बिहार को सभ्यता और संस्कृति से जोड़ कर रखता है.
यह उपलब्धि न केवल बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक पहचान दिलाएगी, बल्कि मिथिला कला के प्रति लोगों की जागरूकता और सम्मान को भी बढ़ावा देगी।#biharartcultureyouth#mithilapaintings pic.twitter.com/LwAnfzW2pK
— Department of Art, Culture & Youth, Gov. Of Bihar (@ArtCultureYouth) December 1, 2024
1960 में पेंटिंग की शुरुआतः बिहार के मिथिला क्षेत्र की यह प्रमुख कला है. खासकर यह महिलाओं के द्वारा बनाई जाने वाली कलाकृति के रूप में जानी जाती है. मधुबनी पेंटिंग या मिथिला पेंटिंग, इस कला की शुरुआत 1960 में हुई थी. माना जाता है कि साध्वी स्वर्गीय महासुंदरी देवी ने सबसे पहले इसका निर्माण किया था. इसके बाद ही मिथिलांचल की महिलाएं इसे अपनाने लगी. आज यह पूरी दुनियां में मशहूर है.
महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी अपनायाः बिहार के मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, पूर्णिया, सहरसा, खगड़िया, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, वैशाली और नेपाल के प्रमुख क्षेत्रों में मिथिला पेंटिंग की खास पहचान है. शुरुआत में महिलाएं इसे रंगोली के रूप में बनायी थी. घर दीवारों पर इसे उकेरी जाती थी. इसके बाद धीरे-धीरे, कपड़े और कागज पर बनायी जाने लगी. धीरे-धीरे महिलाओं के साथ पुरुष भी इसे बनाने लगे.
पौराणाकि मान्यताएंः इस पेंटिंग से संबंधित पौराणिक मान्यताएं भी है. जनकपुर के राजा दशहरथ ने राम-सीता के विवाह के दौरान कलाकारों द्वारा इसे बनवाया था. कहा जाता है कि उसी समय से यह कला मिथिला वासियों की पहचान बन गयी. इसे प्रकृति और धर्म से भी जोड़कर देखा जाता है. इस पेंटिंग में हिन्दू देवी-देवता, प्राकृतिक नजारे जैसे सूर्य-चंद्रमा, धार्मिक पेड़-पौधे जैसे-तुलसी और विवाह के दृश्य देखने को मिलेंगे.
विश्व की सबसे लंबी मिथिला पेंटिंग का कीर्तिमान!
— Samrat Choudhary (@samrat4bjp) December 2, 2024
बिहार की एनडीए सरकार के संयुक्त तत्वावधान में मधुबनी के मिथिला चित्रकला संस्थान ने एक ही दिन में विश्व की सबसे लंबी मिथिला पेंटिंग बनाकर नया कीर्तिमान रचा है। 910 कलाकारों ने 1900 फीट लंबी इस पेटिंग को तैयार करके मिथिला चित्रकला का… pic.twitter.com/gaBVL1Oxdy
बड़ी उपलब्धि हासिलः मिथिला पेंटिंग ने कई बड़ी उपलब्धि हासिल की है. 27 सितंबर 2019 में मधुबनी रेलवे स्टेशनों की दीवारों पर 10 हजार वर्ग फीट में पेंटिंग बनाकर कलाकारों ने विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया. बिहार के कलाकारों ने श्रमदान से इसे बनाया था. यह पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद बना हुआ है. देश-विदेश के पर्यटक इस पेंटिंग की सराहना करते हैं.
जापान में संग्रहालयः मिथिला पेंटिंग की विदेशों तक धूम है. जापान में इसके इतिहास से जुड़ी एक संग्रहालय भी है. 2018-2019 में भारतीय रेल के द्वारा समस्तीपुर मंडल में एक ट्रेन पर मधुबनी पेंटिंग बनवायी गयी. इसे विश्व में प्रसंसा मिली. इसके बाद इस पेंटिंग को कपड़ा, फोटो फ्रेम, घर के साज-सज्जा सामानों में बनाए जाने लगा.
मधुबनी जिला स्थापना दिवस के अवसर पर 989 कलाकारों द्वारा किया गया सामूहिक मिथिला पेंटिंग निर्माण, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का होगा प्रयास
— Nitish Mishra (@mishranitish) December 1, 2024
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मधुबनी जिला के स्थापना दिवस के गौरवशाली 52 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर सांस्कृतिक… pic.twitter.com/0cURWpz4ip
तीन महिला को पद्मश्री सम्मान: मधुबनी जिले के रांटी के रहने वाली दुलारी देवी को इस कला के लिए पद्मश्री अवार्ड भी मिल चुका है. साल 2021 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दुलादी देवी को सम्मानित किया था. इसके अलावे गोदावरी देवी को भी इस क्षेत्र में पद्मश्री मिल चुका है. साल 2024 में इनका निधन हो गया. मधुबनी जिले के जितवारपुर के 82 वर्षीय बौआ देवी को भी पद्मश्री सम्मानित किया गया. 2019 में इन्हें सम्मानित किया गया था. अब एकबार फिर मिथिला पेंटिंग विश्व रिकॉर्ड बनाने जा रही है.
विश्व की सबसे लंबी पेंटिंगः बिहार के लोगों ने विश्व की सबसे लंबी 'मिथिला पेंटिंग' का रिकॉर्ड बनाया, लेकिन सबसे लंबी पेंटिंग की बात करें तो भारत के ही कलाकार गुरमेज सिंह ने इस उपलब्धि को हासिल की है. यूनिक वर्ल्ड रिकॉर्ड लिमिटेड के अनुसार गुरमेज सिंह उर्फ आर्टिस्ट सिंह ने 3,444.91 मीटर यानि 11,302 फीट 2.11 इंच लंबी पेंटिंग बनायी थी.
38 दिन में बनी थी पेंटिंगः इस पेंटिंग को बनाने में 38 दिन लगे थे. 14 सितंबर 2013 को ग्रैंड रैपिड्स, मिशिगन, यूएसए के शहर के 2.2 मील के 6वें स्ट्रीट पार्क रिवरबैंक के किनारे सर्पिन शैली में इसे प्रदर्शित किया गया था. इस पेंटिंग में जीवन के विभिन्न स्थिर चित्र को दिखाया गया है, जिसका नाम 'द ट्रांसेंडेंटल' है. समाज में महिलाओं की भूमिका के बारे में बताया गया है.
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