कासरगोड: केरल के कासरगोड जिले में ओणम के दिन बंदरों के लिए खाने का इंतजाम किया गया. नवोदय रीडिंग रूम लाइब्रेरी के सदस्यों ने बंदरों के लिए यह आयोजन किया. यह बंदरों को बचाने के लिए एक पहल की तरह है. पिछले 17 सालों से बंदरों के लिए 'दावत' का आयोजन किया जा रहा है.
इस साल टीम ने दावत में 17 आइटम को शामिल किया, जिसमें- पपीता, खीरा, चीकू, अमरूद, पैशन फ्रूट, कटहल, आम, गाजर, तरबूज, चुकंदर, टमाटर, अनानास, कस्टर्ड एप्पल, केला, आंवला, अनार, चावल (बिना नमक के) शामिल था. केले के पत्तों पर इन्हें परोसा गया.
जब बंदरों ने दावत देखी तो वे तेजी से आए. यह बहुत अद्भुत नजारा था. मादा बंदर अपने स्तनों से चिपकाए छोटे बंदरों को लेकर आई थीं. इस नजारे को देखने के लिए आस-पास के गांवों से कई लोग आए. उत्सव के हिस्से के रूप में उन्हें फूलों से सजाया गया था.
यहां हर साल चालिल मणिक्कम्मा नाम की महिला बंदरों को दावत देती है. लेकिन इस बार ओणम में वह बीमार थी. इसलिए वह बंदरों को भोजन नहीं परोस सकी. हालांकि सदस्यों ने मणिक्कम्मा के घर पर खाना बनाया. मणिक्कम्मा ने खुद अपने घर से बिना नमक वाले चावल बंदरों को दिए.
बताया जाता है कि 90 के दशक में यहां बंदरों की संख्या में भारी गिरावट ने चिंता पैदा कर दी थी. कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले वेणुगोपालन ने कहा कि जिसको देखते हुए बंदरों के लिए दावत का विचार आया.
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