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15 करोड़ साल पुराना डायनासोर का फुटप्रिंट हुआ चोरी, 8 साल पहले 20 साइंटिस्टों ने की थी खोज - Jaisalmer latest news

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer, जैसलमेर में आज से करीब 15 करोड़ साल पहले डायनासोर पाए जाते थे. 2014 में जैसलमेर आए भू वैज्ञानिकों के एक दल ने जिले के थइयात गांव के पास खोज करते हुए डायनासोर के दुर्लभ फुटप्रिंट यानी पैरों के निशान की खोज की थी, लेकिन अब भू वैज्ञानिकों ने दोनों फुटप्रिंट के चोरी होने का अंदेशा जताया है. साथ ही इसकी सूचना जिला प्रशासन को भी दी.

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 7, 2024, 6:37 PM IST

अध्ययनकर्ता प्रोफेसर डीके पांडे

जैसलमेर. भारत-पाक सीमा से लगे सरहदी जिले जैसलमेर में आज से करीब 15 करोड़ साल पहले डायनासोर पाए जाते थे. साल 2014 में जैसलमेर आए भू वैज्ञानिकों के एक दल ने जिले के थइयात गांव के पास खोज करते हुए डायनासोर के दुर्लभ फुटप्रिंट यानी पैरों के निशान की खोज की थी, लेकिन जब भू वैज्ञानिकों का दल दूसरी बार यहां आया तो मौके से एक फुटप्रिंट गायब था. इसके बाद भू वैज्ञानिकों ने चोरी का अंदेशा जताते हुए इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं, हाल ही में तीसरी बार थइयात गांव पहुंचे भू वैज्ञानिकों के दल ने डायनासोर के दूसरे फुटप्रिंट के भी चोरी होने की बात कही. हैरानी की बात यह है कि दोनों फुटप्रिंट चोरी होने की सूचना के बाद भी अधिकारियों ने भला क्यों कार्रवाई नहीं की?

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
15 करोड़ साल पुराना डायनासोर का फुटप्रिंट हुआ चोरी

सर्वे में शामिल प्रोफेसर ने कही ये बात : सर्वे में जैसलमेर आए प्रोफेसर डीके पांडे ने बताया कि 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी की ओर से नौवीं इंटरनेशनल कांग्रेस ऑन जुरासिक सिस्टम का आयोजन किया गया था. इसमें इस बात की संभावना जताई गई थी कि राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले के इलाके में डायनासोर के वजूद से संबंधित सबूत मिल सकते हैं. इसके बाद करीब 4 या 5 साल पहले इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ साइंस्टि के करीब 20 वैज्ञानिकों ने जैसलमेर के थइयात गांव के आसपास की पहाड़ियों में डायनासोर की खोज शुरू की थी. इस खोज के दौरान वैज्ञानिकों को जैसलमेर के थइयात गांव के पास डायनासोर के दो फुटप्रिंट मिले थे, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इस फुटप्रिंट को मार्किंग कर सुरक्षित रखने का प्रयास किया था. हालांकि, जब वैज्ञानिकों का दल दोबारा जैसलमेर निरीक्षण के लिए आया तो उन्हें एक फुटप्रिंट मौके पर नहीं मिला. इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम ने फुटप्रिंट चोरी होने की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

इसे भी पढ़ें - जैसलमेर में भू वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता, करीब 16 करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवाश्म खोजे

प्रोफेसर डीके पांडे ने बताया कि प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं देने का नतीजा यह रहा कि हाल ही में जब उन्होंने जैसलमेर आकर मौके का निरीक्षण किया तो प्रशासन की उदासीनता के चलते जिले के थइयात गांव के पास मार्किंग किया गया डायनासोर का दूसरा फुटप्रिंट भी गायब था. उन्होंने बताया कि उस समय डायनासोर के फुटप्रिंट अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण डिस्कवरी था. इस महत्वपूर्ण चीज को प्रशासन समेत सभी को संरक्षित रखना चाहिए था. उन्होंने बताया कि आज के समय में जियो हेरिटेज की बात चल रही है. फॉसिल्स को कैसे कंजर्व किया जाए इस पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही हमारे अन्य धरोहरों को भी बचाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इस बीच इस मामले ने प्रशासन की उदासीन रवैए को सामने लाया है.

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
8 साल पहले 20 साइंटिस्टों ने की थी खोज

आगे न हो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति : आगे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वो ऐसे क्षेत्रों को संरक्षित करें, जिससे कि जैसलमेर के लोगो व प्रदेश को इसका फायदा मिल सके. यहां आने वाले सैलानी जब इस तरह के फॉसिल्स को देखेंगे और इसके बारे में जानेंगे तो इसका फायदा सीधे तौर पर जिले को होगा. साथ ही इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. वहीं, दोनों फुटप्रिंट के चोरी होने के बाद अब अंदेशा जताया जा रहा है कि इसे कोई स्टूडेंट या आसपास के लोग तो उठा कर नहीं ले गए हैं.

इसे भी पढ़ें - जैसलमेर में घूमते थे डायनासोर, लेकिन अब यह साबित करने वाला फुट प्रिंट ही गायब

8 देशों में मिले ऐसे निशान : वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसलमेर में मिले निशान की स्टडी में पता चला कि उस समय डायनासोर के पैर में तीन मोटी उंगलियां थी. इस तरह के डायनासोर एक से तीन मीटर ऊंचे और पांच से सात मीटर चौड़े होते थे. इस डायनासोर के जीवाश्म इससे पहले फ्रांस, पोलैंड, स्लोवाकिया, इटली, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में मिले हैं. पैरों के निशान की स्टडी से अंदाजा लगाया गया कि ये इयुब्रोनेट्स ग्लेनेरोंसेंसिस थेरेपॉड डायनासोर का पंजा था, जो कि 30 सेंटीमीटर लंबा था. भारत में डायनासोर के जीवाश्म कच्छ बेसिन और जैसलमेर बेसिन में मिलने की संभावनाएं जताई जाती रही है. साथ ही अब ये भी तय हो गया है कि राजस्थान में खोजने पर चट्टानों से डायनासोर के जीवाश्म मिल सकते हैं.

अध्ययनकर्ता प्रोफेसर डीके पांडे

जैसलमेर. भारत-पाक सीमा से लगे सरहदी जिले जैसलमेर में आज से करीब 15 करोड़ साल पहले डायनासोर पाए जाते थे. साल 2014 में जैसलमेर आए भू वैज्ञानिकों के एक दल ने जिले के थइयात गांव के पास खोज करते हुए डायनासोर के दुर्लभ फुटप्रिंट यानी पैरों के निशान की खोज की थी, लेकिन जब भू वैज्ञानिकों का दल दूसरी बार यहां आया तो मौके से एक फुटप्रिंट गायब था. इसके बाद भू वैज्ञानिकों ने चोरी का अंदेशा जताते हुए इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. वहीं, हाल ही में तीसरी बार थइयात गांव पहुंचे भू वैज्ञानिकों के दल ने डायनासोर के दूसरे फुटप्रिंट के भी चोरी होने की बात कही. हैरानी की बात यह है कि दोनों फुटप्रिंट चोरी होने की सूचना के बाद भी अधिकारियों ने भला क्यों कार्रवाई नहीं की?

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
15 करोड़ साल पुराना डायनासोर का फुटप्रिंट हुआ चोरी

सर्वे में शामिल प्रोफेसर ने कही ये बात : सर्वे में जैसलमेर आए प्रोफेसर डीके पांडे ने बताया कि 2014 में राजस्थान यूनिवर्सिटी की ओर से नौवीं इंटरनेशनल कांग्रेस ऑन जुरासिक सिस्टम का आयोजन किया गया था. इसमें इस बात की संभावना जताई गई थी कि राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर जिले के इलाके में डायनासोर के वजूद से संबंधित सबूत मिल सकते हैं. इसके बाद करीब 4 या 5 साल पहले इंटरनेशनल ग्रुप ऑफ साइंस्टि के करीब 20 वैज्ञानिकों ने जैसलमेर के थइयात गांव के आसपास की पहाड़ियों में डायनासोर की खोज शुरू की थी. इस खोज के दौरान वैज्ञानिकों को जैसलमेर के थइयात गांव के पास डायनासोर के दो फुटप्रिंट मिले थे, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने इस फुटप्रिंट को मार्किंग कर सुरक्षित रखने का प्रयास किया था. हालांकि, जब वैज्ञानिकों का दल दोबारा जैसलमेर निरीक्षण के लिए आया तो उन्हें एक फुटप्रिंट मौके पर नहीं मिला. इसके बाद वैज्ञानिकों की टीम ने फुटप्रिंट चोरी होने की सूचना स्थानीय प्रशासन को दी, लेकिन प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया.

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प्रोफेसर डीके पांडे ने बताया कि प्रशासन की ओर से ध्यान नहीं देने का नतीजा यह रहा कि हाल ही में जब उन्होंने जैसलमेर आकर मौके का निरीक्षण किया तो प्रशासन की उदासीनता के चलते जिले के थइयात गांव के पास मार्किंग किया गया डायनासोर का दूसरा फुटप्रिंट भी गायब था. उन्होंने बताया कि उस समय डायनासोर के फुटप्रिंट अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण डिस्कवरी था. इस महत्वपूर्ण चीज को प्रशासन समेत सभी को संरक्षित रखना चाहिए था. उन्होंने बताया कि आज के समय में जियो हेरिटेज की बात चल रही है. फॉसिल्स को कैसे कंजर्व किया जाए इस पर जोर दिया जा रहा है. साथ ही हमारे अन्य धरोहरों को भी बचाने की कोशिश हो रही है, लेकिन इस बीच इस मामले ने प्रशासन की उदासीन रवैए को सामने लाया है.

Dinosaur Footprint Stolen From Jaisalmer
8 साल पहले 20 साइंटिस्टों ने की थी खोज

आगे न हो ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति : आगे उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को चाहिए कि वो ऐसे क्षेत्रों को संरक्षित करें, जिससे कि जैसलमेर के लोगो व प्रदेश को इसका फायदा मिल सके. यहां आने वाले सैलानी जब इस तरह के फॉसिल्स को देखेंगे और इसके बारे में जानेंगे तो इसका फायदा सीधे तौर पर जिले को होगा. साथ ही इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. वहीं, दोनों फुटप्रिंट के चोरी होने के बाद अब अंदेशा जताया जा रहा है कि इसे कोई स्टूडेंट या आसपास के लोग तो उठा कर नहीं ले गए हैं.

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8 देशों में मिले ऐसे निशान : वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसलमेर में मिले निशान की स्टडी में पता चला कि उस समय डायनासोर के पैर में तीन मोटी उंगलियां थी. इस तरह के डायनासोर एक से तीन मीटर ऊंचे और पांच से सात मीटर चौड़े होते थे. इस डायनासोर के जीवाश्म इससे पहले फ्रांस, पोलैंड, स्लोवाकिया, इटली, स्पेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में मिले हैं. पैरों के निशान की स्टडी से अंदाजा लगाया गया कि ये इयुब्रोनेट्स ग्लेनेरोंसेंसिस थेरेपॉड डायनासोर का पंजा था, जो कि 30 सेंटीमीटर लंबा था. भारत में डायनासोर के जीवाश्म कच्छ बेसिन और जैसलमेर बेसिन में मिलने की संभावनाएं जताई जाती रही है. साथ ही अब ये भी तय हो गया है कि राजस्थान में खोजने पर चट्टानों से डायनासोर के जीवाश्म मिल सकते हैं.

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