हैदराबाद: ये कड़वी सच्चाई है कि आज के समय में मोबाइल फोन हर हाथ में जरूरी है. कॉलिंग, एंटरटेनमेंट से लेकर छोटा और बड़ा हर काम मोबाइल से जुड़ा हुआ है. वहीं, आज बड़े तो बड़े, छोटे बच्चे भी फोन की लत में बुरी तरह से फंस चुके हैं. वह इस तरह से फोन चलाते हैं कि इसे नशा कहा जाए तो गलत नहीं होगा. आज विश्व स्वास्थ्य दिवस है और आपको अवेयर करने के लिए हम लेकर आए हैं आपके लिए बड़ी जानकारी. जी हां!स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना न केवल न्यूरोलॉजिकल डेवलपमेंट बल्कि सोशल लाइफ के लिए भी बेहद हानिकारक है. छोटे बच्चों के लिए तो ज्यादा मोबाइल चलाना खुद ही चश्मा लगवाने को निमंत्रण देने जैसा है. यहां समझिए आपके और आपके अपनों के लिए कितना खतरनाक है ज्यादा समय तक मोबाइल चलाना.
तो क्या कड़वा सच बन चुका है मोबाइल?
बता दें किआधुनिक परिवेश में सांस लेने के लिए टेक्नोलॉजी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना वक्त की मांग कह सकते हैं. लेकिन इस बीच समझना होगा कि बच्चों के ऑनलाइन पढ़ाई या अपनी कुछ जरुरतों के बाद मोबाइल में देर तक आंखें गड़ाए रखना वास्तव में कितना खतरनाक है. मोबाइल पर ज्यादा समय स्पेंड करने से तंत्रिका-संज्ञानात्मक सीखने के विकारों को जन्म देती है, जो कि बच्चों के लिए बेहद खतरनाक है. वहीं, बचपन और यंगस्टर्स में टीवी, वीडियो गेम, मोबाइल फोन और टैबलेट के सामने ज्यादा समय बिताने से जिंदगी गतिहीन बन जाती है. एक अध्ययन के अनुसार ऐसे में बच्चों में हार्ट फेल और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है.