बागेश्वर: जिले के चैगांवछीना के ग्रामीणों के सहयोग से देवलधार एकता सांस्कृतिक मंच अपने क्षेत्र में पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनूठी पहल कर रहा है. बीते कई वर्षों से मंच के सदस्य गांव के धारों और नौलों की पूजा कर इन पारंपरिक स्रोतों को बचाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहे हैं. जिससे अब लोग जलस्रोतों के आसपास नियमित सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं और अब धारों से पहले की अपेक्षा अधिक मात्रा में पानी प्राप्त होने लगा है. इन जल स्रोतों से पानी अविरल बहते रहने की कामना की गई है.
धारों और नौलों की गई पूजा:उत्तराखंड में धारों और नौलों की पूजा सदियों से होती चली आ रही है. बीते कुछ वर्षों से देवलधार गांव में देवलधार एकता सांस्कृतिक मंच की पहल पर गांव के युवा समेत बुजुर्ग भी अब इन नौले-धारों का महत्व समझने लगे हैं. चौगांव छीना, गैर सकीडा, खर्क टम्टा और गौला गांवों को मिलाकर देवालधार एकता सांस्कृतिक कला मंच का गठन कर पानी को बचाने की मुहिम छेड़ दी गई है. जिससे सरकार की मदद से कुछ धारों का भी जीर्णोद्वार किया गया है.