पर्यटन स्थलों की खान है अलवर जिला, हर साल यहां आते हैं लाखों पर्यटक, स्थानीय लोगों को भी मिलता है रोजगार - World Tourism Day 2024 - WORLD TOURISM DAY 2024
World Tourism Day 2024 अलवर को पर्यटन स्थलों की खान के रूप में जाना जाता है. अलवर में हर साल लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं और यहां मौजूद विभिन्न पर्यटन स्थलों का दीदार करते हैं.
अलवर : प्रदेश ही नहीं देशभर में अलवर को पर्यटन स्थलों की खान के रूप में जाना जाता है. यही कारण है कि जिले के पर्यटक स्थलों पर हर साल लाखों की संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक आते हैं. इनमें सरिस्का बाघ अभयारण्य, सिलीसेढ़ झील, भूतिया बंगला भानगढ़, नीलकंठ महादेव, ऐतिहासिक पांडुपोल एवं भर्तृहरिधाम, बाला किला सहित जिले के 52 किले, मूसी महारानी की छतरी, फतहजंग गुम्बद, संग्रहालय, भर्तृहरि पेनोरमा, हसनखां मेवाती पेनोरमा, शिमला, विवेकानंद स्मारक सहित अनेक पर्यटन स्थल प्रमुख हैं.
अलवर होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन खंडेलवाल ने बताया कि इन दिनों पर्यटकों का रुझान अलवर की ओर बढ़ रहा है. अलवर में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं. अलवर में बड़ी संख्या में पर्यटन स्थल हैं. यहां देशभर से ही नहीं बल्कि विदेशों के पर्यटक भी अपनी पहुंच बना रहे हैं, जिसके चलते स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है. बड़ी संख्या में यहां पर्यटकों का भार बढ़ने से अलवर की ख्याति भी बढ़ रही है.
पर्यटकों को लुभा रहे सरिस्का के बाघ :देश एवं विदेश के सैलानियों को सरिस्का टाइगर रिजर्व के बाघ खूब लुभा रहे हैं. अभी सरिस्का में बाघों की संख्या 43 है. इस कारण पर्यटकों को अब बाघों की साइटिंग भी खूब हो रही है. सरिस्का में हर साल 50 हजार से ज्यादा पर्यटक बाघों का दीदार करने आते हैं. दिल्ली एवं आसपास के प्रदेशों में सरिस्का की ख्याति बढ़ने का बड़ा कारण यह है कि पूरे एनसीआर में सरिस्का इकलौता टाइगर रिजर्व है.
एनसीआर में बोटिंग की एकमात्र झील है सिलीसेढ़ :अलवर की शान कही जाने वाली सिलीसेढ़ झील पूरे एनसीआर में एक मात्र झील है, जहां पर्यटक बोटिंग का आनंद उठा सकते हैं. यही कारण है कि साल भर सिलीसेढ़ झील पर घूमने एवं बोटिंग के लिए एक लाख से ज्यादा पर्यटक पहुंचते हैं.
धार्मिक पर्यटन स्थल भी आकर्षण के केंद्र :अलवर जिले में ऐतिहासिक धार्मिक पर्यटन स्थल भी खूब हैं. इनमें महाभारत कालीन पांडुपोल हनुमान मंदिर, भर्तृहरिधाम, नीलकंठ महादेव मंदिर आदि शामिल हैं. इन धार्मिक स्थलों पर हर साल लाखों श्रद्धालु अपनी कामना लेकर पहुंचते हैं. पांडुपोल एवं भर्तृहरिधाम में हर साल लगने वाले तीन दिवसीय लक्खी मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. इनमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, एमपी सहित अन्य प्रदेशों के श्रदालुओं की संख्या बहुतायत में रहती है.
अलवर में प्रदेश का दूसरा बड़ा संग्रहालय है :अलवर के संग्रहालय की गिनती प्रदेश के प्रमुख संग्रहालयों में होती है. अलवर का संग्रहालय प्रदेश में जयपुर के बाद सबसे बड़ा है, जहां पूर्व राजा-महाराजाओं के हथियार, परिधान, वाद्य यंत्र, शिकार किए गए पक्षी एवं वन्यजीव, धार्मिक ग्रंथ, अकबरनाम, हुमायूनामा, बाबरनामा, एक म्यान में दो तलवार एवं अलवर महाराजा का सोने का सिंहासन सहित अनेक दुलर्भ वस्तुएं मौजूद हैं.