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हम और आप भटका रहे मानसून का रास्ता; गुम होती हरियाली को बचाने के लिए करना होगा बड़ा काम - World Nature Conservation Day 2024

पर्यावरण में चल रही उथल-पुथल के कारण ही इन दिनों मानसून में परिवर्तन हो रहा है. अगर निचले स्तर से लेकर हर कोई पर्यावरण को बचाने की दिशा में काम करे तो एक अच्छा पर्यावरण आने वाली पीढ़ी के लिए रहेगा.

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गुम होती हरियाली को बचाने के लिए करना होगा बड़ा काम (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 27, 2024, 4:46 PM IST

लखनऊ: पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस हर साल 28 जुलाई को मनाया जाता है ताकि यह पहचाना जा सके कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज और भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक आधार है. पर्यावरणविदों के मुताबिक पर्यावरण में उपस्थित प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा, संरक्षण और स्थायी रूप से प्रबंधन करना चाहिए. इस बार की थीम “लोगों और पौधों को जोड़ना, वन्यजीव संरक्षण में डिजिटल नवाचार की खोज करना” रखा गया है.

लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव सेन सिंह से संवाददाता की खास बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)

लखनऊ विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने बताया कि प्रकृति में हो रहे प्रदूषणों के कारण जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन गया है. वर्तमान में कोई भी मानसून अपने निर्धारित महीने के हिसाब से नहीं आ रहा है. इसके अलावा बढ़ते प्लास्टिक के इस्तेमाल से प्रकृति को नुकसान पहुंच रहा है. भावी पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह की रक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस बनाया गया है.

आजीविका के लिए वन है जरूरी:विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाने का उद्देश्य इतना है कि हम अपनी प्रकृति को संरक्षित रख सकें. उन्होंने बताया कि प्रकृति है तो हम हैं. प्रकृति से ही हमें भोजन-पानी और हम जीवन है. प्रकृति से हमें जीने के सारे संसाधन प्राप्त हो रहे हैं और अगर प्रकृति जीवित नहीं रहेगी तो हम सभी का जीवन तहस-नहस हो जाएगा. वर्तमान में स्थिति बहुत खराब होती जा रही है.

प्रकृति से हमें जीने की सारी चीज मिल रही है. अगर वह संरक्षित नहीं रहेगा तो जीवन कैसे चलेगा. आज हमारे सामने प्रकृति संरक्षण के संबंध में बहुत से चुनौतियां सामने आ रही हैं. जंगल काटते जा रहे हैं. नदियां सूखती जा रही हैं. वायुमंडल और जल प्रदूषण होता जा रहा है यानी कि जीवन के जितने साधन है, वह या तो समाप्त हो रहे हैं या प्रदूषित हो रहे हैं या फिर उनकी गुणवत्ता खराब हो रही है. प्रकृति को बचाने के लिए हमें इसकी रक्षा करनी होगी.

पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए यह कदम

  • पेड़ पौधों को काटने की वजह अधिक संख्या में पेड़ पौधों का रोपण करें.
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें. और दूसरों को भी मना करें.
  • बेवजह जल का दोहन न करें. जल को बचाकर रखें.
  • गाड़ी चलाते समय ध्यान दें कि सिग्नल पर गाड़ी बंद कर दें. ताकि, भावी पीढ़ी के लिए स्वच्छ हवा व तेल बच सकें.
  • घर के बाहर निकलते समय घरों की बिजली व फैन बंद करें. ताकि, भविष्य के लिए बिजली बचीं रहें.

भूमंडल, जलमंडल व वायुमंडल के बिना जीवन संभव नहीं: उन्होंने कहा कि हम सभी को मालूम है कि प्रकृति के तीन अवयव होते हैं. जिसे घटक के नाम से जाना जाता है. जिसमें भूमंडल, जल मंडल और वायुमंडल शामिल हैं. इन तीनों को बचाने का दायित्व हम सभी का है. भूमंडल से हमें भोजन मिलता है. जलमंडल से हमें पानी मिलता है और वायुमंडल से हमें शुद्ध हवा मिलती है. इन्हीं तीनों घाटक से हमारा जीवन चलता है. इन तीनों चीजों को हमें संजो के चलना है और तीनों की रक्षा करनी है.

प्रकृति की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती:उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रकृति की सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती हो गई है. यदि यह तीनों इसी तरह दिन-ब-दिन प्रदूषित होते रहे तो मानव जीवन की कल्पना करना संभव नहीं होगा. सोचने वाली बात है कि किस तरह से प्रकृति को संरक्षित किया जा सकता है. हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पर जीवन संभव है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पर पानी है और वायु है.

इसके अलावा अन्य किसी ग्रह या उपग्रह पर अभी तक यह खोज में नहीं पता चला है कि वहां वायु और पानी दोनों की उपस्थिति हो. उन्होंने कहा कि हम ऐसे उपग्रह पर हैं जहां पर हमें यह दोनों ही चीज उपलब्ध हैं. अगर इन दोनों ही चीजों की रक्षा हम नहीं करेंगे तो जीवन सफल नहीं होगा. इसलिए हमें मिलकर के प्रकृति को बचाना है. इसी का संदेश देने के लिए विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है.

वन है तो पानी है, वन है तो शुद्ध हवा है:उन्होंने बताया कि अगर पृथ्वी पर रह रहे लोगों को एक क्षण भी हवा न मिल सके या फिर ऐसी हवा प्राप्त हो जो बुरी तरह से प्रदूषित हो तो आप कितने समय तक जीवित रह सकेंगे. इसके अलावा भूगर्भ का दोहन लगातार हो रहा है. ऐसे में भूगर्भ से पानी समाप्त होने के कगार पर है. नदियां सूखती जा रही है. इनको अगर हम संजोकर नहीं रखेंगे तो हमारा जीवन कैसे संभव होगा.

उन्होंने बताया कि इस बार विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस की जो थीम रखी गई है वह वन और आजीविका है. वन और आजीविका में कितना गहरा संबंध है. यह हम सभी को भली भांति मालूम है. लाखों करोड़ों लोगों की आजीविका सीधे वन पर आधारित है. वे वन से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लकड़ियां, फल, फूल इत्यादि ले रहे हैं. जिससे उनका जीवन चलता है.

वहीं अगर अप्रत्यक्ष तौर पर देखा जाए तो किसी को कुछ पूछने की आवश्यकता ही नहीं है. क्योंकि अगर वन है तो हमारा जीवन है. हमें खाने के लिए अन्य प्राप्त हो रहा है. वन है तो पानी है. वन है तो शुद्ध हवा है. इसलिए जरूरी है कि प्रकृति को बचाएं.

होती है कैंसर जैसी बीमारियां:प्रो. ध्रुव सेन सिंह ने बताया कि सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके शरीर के अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होंगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है.

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