बगहा:दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला वाइपरिडे परिवार का एक अत्यंत विषैला सांप रसेल वाइपरवीटीआर वन क्षेत्र के रिहायशी इलाकों में खूब मिल रहे हैं. यह सांप ज़्यादातर सुखे स्थल पर रहना पसंद करता है और खुले, घास वाले या झाड़ियों समेत खेतों में पाया जाता है. इसकी अधिकतम लंबाई 166 सेमी होती है और इसके दांत काफी नुकीले होते हैं.
बगहा में वनकर्मी के घर से मिला रसेल वाइपर: वाल्मीकिनगर के चरघरिया गांव में एक वनकर्मी के घर में यह सांप शिकार की तलाश में भटक रहा था, जिसे देखकर परिवार के लोगों में हड़कंप मच गया. वनकर्मी बेचन राम ने तत्काल इसकी सूचना अपने विभाग को दी. जिसके बाद WII के फील्ड असिस्टेंट सुनील कुमार और मनोज कुमार मौके पर पहुंचे और सांप का रेस्क्यू कड़ी मशक्कत के बाद किया. इसके बाद इसे कोतराहा वन परिसर क्षेत्र में छोड़ दिया गया.
डसने के कुछ मिनटों में हो जाती है मौत: बता दें कि रसेल वाइपर सांप भारत में पाए जाने वाले चार अत्यंत जहरीले सांपों में से एक है. यह गहरा पीला या भूरा रंग का होता है. इसका सिर चपटा, त्रिकोणीय और गर्दन से अलग होता है, जबकि थूथन कुंद, गोल और उठा हुआ होता है. इसके नथुने बड़े होते हैं. साथ ही इसके दांत काफी नुकीले होते हैं.
"यह काफी जहरीला सांप होता है, जो सूखे स्थान पर रहना पसंद करता है. लिहाजा यह धान के खेत समेत झाड़ियों में अधिकांशतः पाए जाते हैं. इसके काटने की जगह पर छाले हो जाते हैं और इंसान के शरीर की नसें ब्लॉक होने लगती हैं. साथ ही साथ खून में थक्का बनने लगता है. जिससे हृदय गति कम हो जाती है और इंसान की मृत्यु हो जाती है."- सुनील कुमार, स्नेक कैचर एक्सपर्ट, WII
कब डसते हैं रसेल वाइपर?:रसेल वाइपर स्थलीय सरीसृप है जो मुख्यतः रात में भोजन की तलाश में सक्रिय रहता है. वहीं ठंड के मौसम में यह दिन के दौरान अधिक सक्रिय हो जाता है. ये सांप अमूमन धीमे और सुस्त होते हैं. नतीजतन आमतौर पर उकसाए जाने तक हमला नहीं करते हैं. यदि इन्हें गलती से कोई छेड़ दे तो ये बिजली की गति से हमला करते हैं और S-लूप की आकृति बनाकर छलांग लगाते हैं.