दंतेवाड़ा:जिले के प्रसिद्ध फाल्गुन मेले का बुधवार को समापन हो गया. मेले के आखिरी दिन मां दंतेश्वरी की पालकी में बस्तर के महाराजा के पुत्र कमलचंद भंजदेव शामिल हुए. यहां उन्होंने सबसे पहले मां दंतेश्वरी का दर्शन कर पूजा-अर्चना की. फिर बस्तर की सुख, शांति और समृद्धि के लिए मां दंतेश्वरी से प्रार्थना की. इसके बाद मां दंतेश्वरी की डोली नगर भ्रमण के लिए निकाली गई. ये परम्परा सालों से यहां चली आ रही है. मां दंतेश्वरी की डोली के सम्मान के लिए जगह-जगह पुलिस जवानों ने 'गार्ड ऑफ ऑनर' दिया गया.
दंतेवाड़ा में विश्व प्रसिद्ध फाल्गुन मेले का समापन, बस्तर के महाराजा भी हुए शामिल - Phalgun fair End in Dantewada - PHALGUN FAIR END IN DANTEWADA
दंतेवाड़ा में आयोजित विश्व प्रसिद्ध फाल्गुन मेले का आज समापन हो गया. सालों से ये मेला लगता आ रहा है. इस मेले में स्थानीय लोगों के साथ ही दूसरे राज्यों के लोग भी पहुंचते हैं.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Mar 27, 2024, 11:26 PM IST
1000 से अधिक देवी-देवता हुए शामिल:इस मेले के बारे में ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव ने कहा कि, विश्व प्रसिद्ध फाल्गुन मेले की शुरुआत कलश स्थापना के साथ की जाती है. बस्तर की सांस्कृतिक परंपराओं और विभिन्न नियमों के साथ हर दिन मां दंतेश्वरी मंदिर में हर रस्म निभाई जाती है. बस्तर की संस्कृति और परंपरा बनी रहे, इसको बढ़ावा देने के लिए हम हर संभव प्रयास कर रहे हैं. बस्तर की हर परंपरा को संजोए रखने के लिए जितने भी पर्यटक स्थल हैं, उसका दोबारा निर्माण किया जा रहा है. फाल्गुन मेले में बस्तर के हर क्षेत्र से देवी-देवता मां दंतेश्वरी मंदिर में आते हैं. हर साल इसकी संख्या बढ़ती जा रही है. इस साल 1000 से ज्यादा देवी-देवता फाल्गुन मेले में सम्मिलित हुए थे. इनकी कल सम्मान के साथ विदाई दी जाएगी."
बता दें कि फाल्गुन मेले में मां दंतेश्वरी की डोली को पूरे नगर में भ्रमण कराने के बाद वापस मंदिर लाया जाता है. यहां मां की डोली की मंदिर के चारों ओर तीन बार परिक्रमा कराई जाती है. इसके बाद मां दंतेश्वरी की डोली को मंदिर में वापस लाया जाता है. आज फाल्गुन मेला संपन्न हुआ है. कल गुरुवार को मेले में शामिल हुए देवी-देवताओं को विदा किया जाएगा. इस प्रसिद्ध मेले में अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचते हैं.