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विश्व पर्यावरण दिवस: खतरे में हिमाचल का हरा सोना, धूं-धूं कर जल रहे जंगल, पर्यावरण के लिए खतरा बनी वनों की आग - World Environment Day 2024

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 5, 2024, 9:25 AM IST

Updated : Jun 5, 2024, 10:34 AM IST

Environment Day 2024: दुनिया भर समेत हिमाचल प्रदेश में भी आज विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. इस बार पर्यावरण दिवस की थीम “भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता” है. वहीं, दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में इन दिनों जंगलों में लगातार आग लगने की घटनाएं सामने आ रही हैं. जिसमें करोड़ों रुपए की वन संपदा जलकर नष्ट हो गई है.

World Environment Day 2024
विश्व पर्यावरण दिवस 2024 (File Photo)

शिमला:आज 5 जून को दुनिया भर में “भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता” थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. इस उपलक्ष्य में हिमाचल प्रदेश में आज अधिक से अधिक लोगों को प्रकृति से जुड़ी समस्याओं और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए कई तरह के आयोजन रखे गए हैं. विश्व पर्यावरण दिवस को मनाने का फैसला साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्टॉकहोम सम्मेलन में किया गया था. इस सम्मेलन की थीम पर्यावरण संरक्षण थी.

धूं-धूं कर जल रहे हिमाचल के जंगल

इसके बाद से हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस सेलिब्रेट करने का फैसला लिया गया. इसके बाद से हर साल पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन चिंता ये भी है कि एक तरफ तो पर्यावरण को बचाने के लिए कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. वहीं, हिमाचल में इन दिनों धूं-धूं कर जल रहे जंगलों से वन संपदा सहित धरती पर पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी हजारों जीव जंतु और वन्य प्राणियों का अस्तित्व ही समाप्त हो रहा है.

हिमाचल में इस साल में वनों की आग की 1318 घटनाएं दर्ज (File Photo)

इस साल 1318 आग की घटनाएं दर्ज

पर्यावरण को बचाने के लिए वनों की सबसे अधिक भूमिका है, लेकिन मानवीय भूल की वजह से आज धरती पर वनों का अस्तित्व संकट में है. हिमाचल प्रदेश में इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के साथ जंगलों में आग लगने की इस साल 1318 घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं. आग लगने की इन घटनाओं से 2,789 हेक्टेयर हरित क्षेत्र सहित 12,718 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है. जिसमें अब तक 4.61 करोड़ रुपये का प्रारंभिक वित्तीय नुकसान आंका जा चुका है. पर्यावरण प्रेमियों के मुताबिक वनों को बचाने की दिशा में अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में पर्यावरण और अधिक खतरे में पड़ सकता है. सामूहिक प्रयासों से ही पर्यावरण को सुरक्षित किया जा सकता है. हिमाचल के जंगलों में लगी आग से न सिर्फ हजारों जानवर आग की भेंट चढ़े हैं, बल्कि करोड़ों रुपए की दुलर्भ वन संपदा और जड़ी-बूटियां भी जलकर राख हो गई हैं.

हिमाचल प्रदेश में 37 हजार किलोमीटर से ज्यादा वन क्षेत्र (File Photo)

37 हजार किलोमीटर से ज्यादा वन क्षेत्र

हिमाचल प्रदेश में वन राज्य के कुल राजस्व में 1/3 का योगदान देने के साथ एक बड़ी आबादी को रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं. वर्तमान में प्रदेश का हरित आवरण 27 फीसदी से अधिक है. वहीं, कुल वन क्षेत्र 66 फीसदी है. राज्य सरकार ने 2030 तक हरित आवरण 30 फीसदी तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. जिसे हासिल करने के लिए प्रदेश भर में 10 हजार से अधिक नए पौधे रोपे जाएंगे, ताकि इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके. हिमाचल में 31 फीसदी क्षेत्र ट्री लाइन से ऊपर है, जिसमें पेड़ नहीं उग सकते हैं. इसके अलावा प्रदेश में 37 हजार से अधिक किलोमीटर क्षेत्र वनों से लदा है. इसलिए इसे वनों का हरा सोना कहा जाता है.

हिमाचल में पाए जाते हैं विभिन्न प्रजातियों के जंगल (ETV Bharat)

हिमाचल में इन प्रजातियों के वन

हिमाचल प्रदेश में बान, देवदार, चीड़, राई, पाइन, खैर, सैंबल, ऑक, चिलगोजा आदि सहित पेड़ों की सैकड़ों प्रजातियां पाई जाती हैं. वन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है. वन न केवल पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी है, बल्कि जंगलों से ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी, जड़ी-बूटियां, घर निर्माण, बागवानी उत्पादों की पैकेजिंग और कृषि उपकरण जैसी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं. ऐसे में जंगलों के बिना मानव जीवन संभव नहीं है. यही कारण है कि प्रदेश के कई स्थानों में देवता का वास समझकर पेड़ों की पूजा की जाती है.

वन संरक्षण के लिए हिमाचल सरकार चला रही विभिन्न योजनाएं (ETV Bharat)

वनों के लिए हिमाचल सरकार की योजना

हिमाचल में धरती मां की गोद को हरा भरा रखने के लिए प्रदेश सरकार भी प्रयास कर रही है. प्रदेश में ग्रीन एरिया में निर्माण पर प्रतिबंध लगाए जाने के साथ वनों को बचाने के लिए कई योजनाएं शुरू की गई हैं. इसमें सामुदायिक वन संवर्धन योजना, जिसका उद्देश्य पौधरोपण के जरिए वनों के संरक्षण और विकास में स्थानीय समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना है. इसी तरह विद्यार्थी वन मित्र योजना चलाई गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को वनों के महत्व और पर्यावरण संरक्षण में उनकी भूमिका के बारे में छात्रों को संवेदनशील बनाना है.

एक अन्य योजना वन समृद्धि जन समृद्धि योजना हिमाचल सरकार की ओर से चलाई गई है. जिसका मकसद स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी के जरिए राज्य में उपलब्ध गैर काष्ठ वन उत्पाद संसाधनों को सुदृढ़ करना और अच्छी तकनीक अपनाकर अधिक आर्थिक लाभ प्राप्त करना है. वहीं, साल 2019 से एक नई योजना "एक बूटा बेटी के नाम" चलाई गई है. जिसके तहत राज्य में कहीं भी बालिका शिशु के जन्म पर वन विभाग की ओर से माता-पिता को चयनित वानिकी प्रजाति के पांच पौधे भेंट किए जाते हैं. ऐसे में लड़की के माता-पिता निजी भूमि या वन भूमि में मानसून और शीत ऋतु पौधे रोपकर बेटी पैदा होने की खुशी मनाते हैं, लेकिन सरकार की ये योजनाएं आम जनता के सहयोग के बिना सिरे नहीं चढ़ सकती है. ऐसे में सामूहिक प्रयासों से ही सही मायनों में पर्यावरण को बचाया जा सकता हैं, ताकि पर्यावरण दिवस केवल एक दिवस तक ही सीमित न रह जाए.

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Last Updated : Jun 5, 2024, 10:34 AM IST

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