शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बैक डेट से नियमित किए गए कर्मचारियों को बड़ी राहत प्रदान की है. अदालत ने कहा है कि लीव एनकैशमेंट का भुगतान करने में सरकार बैक डेट से नियमित किए गए कर्मियों से भेदभाव नहीं कर सकती है. हाईकोर्ट ने ये भी कहा है कि अर्जित अवकाश (अर्न्ड लीव) सेवा लाभ को वो हिस्सा है, जो कर्मचारी की नियुक्ति की तिथि से ही आरंभ हो जाता है. बैक डेट से नियमित किया जाना चाहे अदालत के आदेश के तहत हो या अन्य किसी कारण से, कर्मचारी को तय लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता.
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार कर्मचारी को समय पर नियुक्ति न देने की अपनी गलती के कारण तय लाभ देने से इनकार नहीं कर सकती. हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने बैक डेट से नियमित किए गए कर्मचारियों के हक में बड़ा फैसला देते हुए उन्हें काल्पनिक रूप से नियमित होते ही अर्जित अवकाश के लिए पात्र घोषित किया है. हाईकोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने इस संदर्भ में कमलेश कुमार परमार नामक कर्मचारी की याचिका को स्वीकार करते हुए उपरोक्त फैसला सुनाया.
हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी रिटायरमेंट की डेटपर अपने सेवा लाभों के प्रभाव के रूप में अर्जित अवकाश का हकदार था. इसलिए याचिकाकर्ता के स्वीकार्य अर्जित अवकाश की गणना उसकी बैक डेट से नियमितीकरण की तिथि से शुरू होगी, न कि उस तिथि से जब वह वास्तव में पद पर नियुक्त हुआ था. प्रार्थी को कोर्ट के आदेश के अनुसार बैक डेट से नियमित किया गया था. इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता पुरानी पेंशन योजना के दायरे में आ गया, इसलिए नए सिरे से दस्तावेजीकरण प्रक्रिया शुरू की गई.
इस प्रक्रिया में प्रतिवादियों ने 11 फरवरी 2021 को एक कार्यालय आदेश जारी किया, जिसमें उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ता 300 दिनों की लाभ राशि के स्थान पर 139 दिनों के अर्जित अवकाश के वित्तीय लाभ का हकदार है. अत: याचिकाकर्ता को अपने सेवानिवृत्ति बकाया के निपटान के लिए 161 दिनों के अर्जित अवकाश के लिए भुगतान की गई अतिरिक्त राशि लौटाने को कहा गया. वित्त विभाग ने ये आदेश 6 जुलाई 2020 के तहत जारी किया था. वित्त विभाग के इस ज्ञापन में स्पष्ट किया गया था कि अर्जित अवकाश का लाभ परिणामी लाभों का हिस्सा नहीं है और इस अवकाश को अलग नियमों यानी सीसीएस (लीव रूल्स) के तहत नियमित किया जाता है.
वित्त विभाग के अनुसार सीसीएस (अवकाश) नियम-1972 में बैक डेट से अर्जित अवकाश का लाभ देने का कोई प्रावधान नहीं है. ऐसे में इन मामलों में कर्मचारियों की सेवाएं बैक डेट से नियमित की जाती हैं, लेकिन उन्हें बैक डेट से अर्जित अवकाश के संचय का लाभ स्वीकार्य नहीं है. न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इस कार्यालय ज्ञापन को पहले ही हाईकोर्ट की खंडपीठ खारिज कर चुकी है. इसलिए याचिकाकर्ता उस समय के अवकाश के वित्तीय लाभ पाने का हक रखता है, जिसमें उसे बैक डेट से नियमित किया गया था.
ये भी पढ़ें: हिमाचल बिजली बोर्ड में युवाओं के लिए नौकरी का सुनहरा अवसर, भरे जाएंगे टी मेट के 1030 पद