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एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में रिसर्च मेथडोलॉजी का वर्कशॉप, देश भर से जुटे पीएचडी स्कॉलर - AN Sinha Institute

Research Methodology Course रिसर्च के दौरान किस मेथड का इस्तेमाल करना चाहिए और कैसे डाटा इकट्ठा करना चाहिए, इसको लेकर स्टूडेंट अक्सर कंफ्यूज रहते हैं. कभी उनकी फाइंडिंग, उनके लिटरेचर से मैच नहीं करते. पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज में रिसर्च मेथडोलॉजी कोर्स को लेकर वर्कशॉप आयोजित किया गया है, जहां इन विषयों की जानकारी दी जा रही है. पढ़ें, विस्तार से.

रिसर्च मेथडोलॉजी कोर्स को लेकर वर्कशॉप
रिसर्च मेथडोलॉजी कोर्स को लेकर वर्कशॉप

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 11, 2024, 5:12 PM IST

एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट में रिसर्च मेथडोलॉजी वर्कशॉप का आयोजन.

पटना:राजधानी पटना के एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज में इंडियन काउंसिल फॉर सोशल साइंस रिसर्च की ओर से 10 दिवसीय रिसर्च मेथडोलॉजी कोर्स को लेकर वर्कशॉप आयोजित किया गया है. सोमवार से शुरू हुए इस वर्कशॉप में देश भर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से 30 से अधिक पीएचडी स्टूडेंट शामिल हुए. सामाजिक मुद्दों पर रिसर्च के लिए किन बिंदुओं का ख्याल रखना बेहद जरूरी है और सैंपल साइज कितना होना चाहिए जैसे तमाम टॉपिक पर एक्सपर्ट, पीएचडी स्टूडेंट्स को जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं.

"इस वर्कशॉप में एमफिल और पीएचडी से जुड़े हुए रिसर्च स्कॉलर देश के विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आए हुए हैं. उम्मीद है कि यह वर्कशॉप सभी पीएचडी स्टूडेंट्स के रिसर्च प्रोजेक्ट में लाभदायक होगा. यहां स्टूडेंट्स को बताया जाएगा कि उनके रिसर्च टॉपिक में किन विषयों का होना जरूरी होता है."- वैद्यनाथ यादव, शिक्षा विभाग के सचिव

रिसर्च कैसे करेंः इंस्टीट्यूट ऑफ इकनोमिक ग्रोथ नई दिल्ली के प्रोफेसर और भारत सरकार के एमएसपी कमेटी के सदस्य प्रोफेसर सीएससी शेखर ने कहा कि अक्सर देखने को मिलता है कि रिसर्च के दौरान स्टूडेंट कंफ्यूज कर जाते हैं. उन्हें वर्कशॉप में बताया जा रहा है कि रिसर्च के दौरान किस मेथड का इस्तेमाल करना चाहिए और कैसे डाटा इकट्ठा करना चाहिए. कई बार जब स्टूडेंट के फाइंडिंग उनके लिटरेचर से मैच नहीं करते तो स्टूडेंट परेशान हो जाते हैं. ऐसे में कैसे अपने रिसर्च पेपर को बेहतर तरीके से पब्लिश किया जाता है इन विषयों की जानकारी दी जा रही है.

योजना के लिए रिसर्च जरूरीः प्रोफेसर सीएससी शेखर ने बताया कि समाज में सरकार की ओर से कोई भी योजनाएं लाई जाती हैं तो उसके पीछे रिसर्च वर्क बेहद जरूरी होता है. जितना बेहतर रिसर्च होगा योजनाएं उतने बेहतर चलेगी. बिना बेहतर रिसर्च की अच्छी योजनाएं भी दम तोड़ देती हैं. उन्होंने कहा कि किसानों के आमदनी बढ़ाने को लेकर रिसर्च करने की समाज में अभी काफी जरूरत है. आमदनी अचानक से दोगुनी तो नहीं हो सकती, लेकिन उनकी आय बढ़ सकती है. और इसके लिए विभिन्न भौगोलिक और सामाजिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए रिसर्च करनी चाहिए.

शिक्षा के गुणवत्ता में होगा सुधार: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के बिहार रीजनल ब्रांच के सेक्रेटरी प्रोफेसर आरके वर्मा ने कहा कि इस प्रकार का कार्यक्रम आयोजित होते रहना चाहिए. ऐसे कार्यक्रमों की संख्या और बढ़ानी चाहिए. इससे उच्च शिक्षा के गुणवत्ता में सुधार होता है. बिहार के उच्च शिक्षण संस्थान नैक ग्रेडिंग में पिछड़ रहे हैं. इसका मुख्य कारण यहां क्वालिटी रिसर्च की कमी है. 10 दिन के वर्कशॉप में रिसर्च मेथाडोलॉजी के विभिन्न आयामों पर चर्चा विस्तार से की जाएगी. पीएचडी स्टूडेंट्स को बताया जाएगा कि वह अपने रिसर्च की गुणवत्ता को और कैसे बढ़ा सकते हैं.

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