लोकसभा चुनाव में महिला वोटर करेंगी हार और जीत का छत्तीसगढ़ में फैसला, जानिए कितनी बढ़ी वोटरों की संख्या
Lok Sabha elections आदिवासी बहुल छत्तीसगढ़ में हमेशा से महिला वोटर ही चुनाव में हार और जीत का फैसला करती हैं. महिला वोटर जिस पार्टी के साथ जाता है उसका परचम हर हाल में लहराता है. सालों से यहीं चुनावी ट्रेंड रहा है. सियासी पार्टियां भी महिला वोटरों को ध्यान में रखकर अपनी योजनाएं और घोषणाएं करती रही हैं.
रायपुर: सालों से छत्तीसगढ़ का चुनावी ट्रेंड रहा है कि महिला वोटर जिस पार्टी को बल्क में वोट देती हैं जीत उसी की होती है. चुनाव चाहे विधानसभा का हो या फिर लोकसभा का महिला वोटर ही ये फैसला करती हैं किसे जितना है और किसे हराना है. महिला वोटरों की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, प्रदेश में जितनी भी योजनाएं वर्तमान में चल रही हैं उसके केंद्र में महिलाएं ही हैं. महतारी वंदन योजना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.
हार और जीत तय करेंगी महिला वोटर:विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी की महत्वाकांक्षी योजना महतारी वंदन योजना बीजेपी को जीत दिला गई. खुद कांग्रेस को भी अपने हारने का अंदाज नहीं था. महतारी वंदन योजना महिलाओं को इतनी भाई की एक मुश्त वोट महिला वोटरों ने बीजेपी को दिए. नतीजा ये रहा कि बीजेपी ने एकतरफा मुकाबले में कांग्रेस को मात दी. महिला वोटरों की ताकत का अंदाजा बीजेपी को भी है. लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने महतारी वंदन योजना की पहली रिश्त जारी कर दी. पार्टी किसी भी हालत में ये नहीं चाहती है कि महिला वोटर नाराज हों.
महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा: महिला वोटरों पर कब्जा करने के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनोें ने महिलाओं को टिकट दिया है. बीजेपी ने लोकसभा 11 सीटों में तीन सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे हैं. कोरबा सीट से सरोज पांडेय को उम्मीदवार बनाया है तो कमलेश जांगड़े को जांजगीर चांपा से मैदान में उतारा है. महासमुंद से रुपकुमारी चौथरी को टिकट दिया है. महिला वोटरों के बीच पार्टी ये भरोसा भी दिलाना चाहती है कि वो महिलाओं को प्रतिनिधित्व देने में पीछे नहीं है. आधी आबादी को उनका हक देना चाहती है. कांग्रेस ने भी कोरबा से ज्योत्सना महंत को फिर से मैदान में उतारकर इसी सियासी गणित को साधने की कोशिश की है.
विधानसभा चुनाव 2023 में महिला वोटरों का आंकड़ा: विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य चुनाव आयोग ने जो आंकड़े जारी किए उसके मुताबिक कुल वोटरों की संख्या 2 करोड़ तीन लाख 60 हजार से ज्यादा थी. महिला वोटरों की संख्या 1 करोड़ 39 लाख 400 के करीब थी. इतनी बड़ी संख्या में महिला वोटरों का होना और उनका वोट करने के प्रति जागरुक होना ये बताता है कि हार और जीत इनके ही वोटों से छत्तीसगढ़ में होता है.
ट्रायबल बेल्ट में महिलाएं वोट के प्रति होती हैं जागरुक:ट्रायबल बेल्ट होने के चलते छत्तीसगढ़ की महिलाएं अपने हक और हुकूक के लिए हमेशा से लड़ती रही हैं. बस्तर जैसे नक्सली इलाकों में भी महिलाएं घर से निकलकर वोट करने आती हैं. महिला वोटरों का दम कुछ ऐसा है कि नक्सलियों की चेतावनी और धमकी भी इनके हौसले को नहीं तोड़ पाती.