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पाइन और गाय के गोबर से बनीं हैं ये राखियां, खराब होने के बाद इनसे उगेंगे पौधे - raksha bandhan 2024 - RAKSHA BANDHAN 2024

स्वयं सहायता समूहों के साथ महिलाओं को जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने के लिए सरकार समय समय पर प्रयास करती है और इसके लिए स्वयं सहायता समूहों को अवसर भी उपलब्ध करवाए जाते हैं. रक्षा बंधन के मौके पर जिला प्रशासन शिमला की ओर से स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार की गई राखियों के लिए स्टॉल उपलब्ध करवाए गए हैं.

राखियों का स्टॉल
राखियों का स्टॉल (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 17, 2024, 5:21 PM IST

Updated : Aug 17, 2024, 5:26 PM IST

स्वयं सहायता समूहों ने लगाए राखी के स्टॉल (ETV BHARAT)

शिमला:रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना गया है. रक्षाबंधन के त्योहार के लिए बाजार तरह तरह की राखियों से सजे रहते हैं. इस समय बाजार में हर कीमत की राखियां उपलब्ध हैं. बाजार में स्वयं सहायता समूहों की ओर से बनाई गई राखियां लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं.

भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देने वाला रक्षाबंधन का त्योहार इस साल 19 अगस्त सोमवार को मनाया जाएगा. इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं और भाई अपनी बहनों की रक्षा का प्रण लेते हैं. रक्षाबंधन के त्योहार को भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है.

इस रक्षाबंधन पर लोगों की कलाई पर महिला स्वयं सहायता समूहों की ओर से बनाई गई हैंडमेड राखियां सजेंगी. शिमला स्थित पुराना बस स्टैंड के नजदीक पंचायत भवन में स्टॉल लगाकर इनकी बिक्री की जा रही है. इन स्टॉल का शुभारंभ एडीसी शिमला अभिषेक वर्मा ने किया था. इस तरह के आयोजनों से सरकार स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है.

स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने इन राखियों को हाथ से तैयार किया है. इन राखियों को बनाने के लिए पाइन और गोबर का इस्तेमाल किया गया है. हर बार रक्षाबंधन के बाद राखियां टूटने पर उसे वेस्ट समझकर फेंक दिया जाता है, लेकिन ईको फ्रेंडली ये राखियां अब वेस्ट नहीं होंगी, क्योंकि इन राखियों में तुलसी, सूरजमुखी सहित अन्य फूलों के बीज हैं, जिससे रक्षाबंधन के बाद आप इन राखियों को गमले या मिट्टी में डालेंगे तो उसमें से एक पौधा निकल कर आएगा, जो भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भी होगा और पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. वहीं, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि हमने गोबर, पाइन सहित प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर ये राखियां बनाई हैं. इसकी कीमत 20 रुपए से लेकर 70 रुपए रखी गई है. ये राखियां बाजार में मौजूद अन्य राखियों से न केवल सस्ती हैं, बल्कि अलग-अलग रंगों और डिजाइन में उपलब्ध हैं.

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Last Updated : Aug 17, 2024, 5:26 PM IST

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