हजारीबाग: स्टार्टअप के के जरिए कई लोगों ने अपना करियर बनाया है. हजारीबाग के सदर प्रखंड के सरौनी गांव की महिलाओं ने भी एकजुट होकर व्यवसाय करने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. कहा जाए तो यह महिलाओं का ऐसा समूह है जो स्टार्टअप के जरिए अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हैं.
मीना, कंचन, मनीषा, खुशबू, बबीता, गुड़िया, रिंकू कुछ ऐसे नाम हैं जो महिलाओं को जागरूक करने का काम कर रही हैं. आलम यह है कि गांव की महिलाएं इनसे संपर्क स्थापित कर रही हैं. कैसे अपने पैरों पर खड़े हों इसे लेकर चर्चा भी कर रही हैं. कहा जाए तो ये महिलाएं गांव के लिए प्रेरणा स्रोत बन गई हैं. हजारीबाग के सदर प्रखंड के सरौनी गांव की महिलाएं अब आत्मनिर्भर होने के लिए कोशिश कर रही है.
गांव की महिलाओं से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता (Etv Bharat) 40 महिलाओं के समूह ने मशरूम की खेती करने का प्रशिक्षण 'पैन इंडिया'कार्यक्रम के तहत लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद कुछ महिलाओं ने खुद से अकेले अपने घर में मशरूम की खेती शुरू की. वहीं कुछ महिलाएं समूह बनाकर मशरूम की खेती कर रही हैं.
महिलाएं कहती हैं कि मशरूम की खेती करने के बाद जो पैसा आएगा उससे दूसरा व्यवसाय भी शुरू करने का मन बना लिया है. कुछ महिलाओं का कहना है कि छोटे पैमाने पर मशरूम की खेती शुरू की गई है इसे अब बड़े पैमाने पर करने की तैयारी चल रही है. घर का काम निपटाकर ये महिलाएं अपना काम करती हैं. इनको ही देख कर गांव की लगभग 70 से 80 महिलाएं उनके संपर्क में हैं. वो भी चाहती हैं कि अपने लिए और अपने परिवार के लिए कुछ करें.
मीना देवी भी कहती है कि यह एक छोटा सा स्टार्टअप है. आने वाले दिनों में इस स्टार्टअप से पैसा कमा कर दूसरा व्यवसाय करने की चाहत है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा आत्मनिर्भर होने की बात करते हैं. उनसे ही प्रेरित होकर काम करना शुरू किया है. उनका यह भी कहना है कि गांव के लोगों का भी सपोर्ट मिल रहा है. पति के काम करने जाने के बाद अपने व्यवसाय की तैयारी चलती है. घर और बाहर दोनों में सामंजस्य स्थापित कर काम किया जा रहा है.
कंचन कुमारी कहती है कि उनका प्लांट छोटा है. लेकिन सोच काफी बड़ी है. पिछले दिनों मशरूम बेचा गया. कमाया हुए पैसे जमा किया जा रहा है. धीरे-धीरे पैसा जमा करके मशरूम का बड़ा प्लांट खोलने का इरादा है. कुल 14 महिलाओं का एक समूह है. कंचन कुमारी ने बताया कि मशरूम की खेती के लिए पहले प्रशिक्षण दिया गया.
मशरूम की खेती ऐसी तकनीक से की जाती है जिसमें समय कम लगता है और मेहनत भी कम होती है. इस कारण ही यह व्यवसाय शुरू किया गया. घर की जिम्मेदारी भी होती है. जिम्मेदारी को देखते हुए ऐसा व्यवसाय चुना गया जहां समय कम लगे और मुनाफा अधिक हो.
मनीषा कुमारी भी इसी गांव की बहू हैं. उनका कहना है कि शादी होने के बाद घर में ही पूरा समय गुजरता था. घर का काम निपटा कर भी घर में ही रहना पड़ता था. जैसे ही पता चला कि चुटियारो गांव में मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जा रही है तो प्रशिक्षण पाने की इच्छा हुई. धीरे-धीरे गांव की महिलाएं भी एकजुट हुईं. सभी ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है. जो महिला प्रशिक्षण प्राप्त नहीं कर पाई हैं वे भी समूह से जुड़कर काम करना चाहती हैं. उनका कहना है आने वाले दिनों में सबसे अधिक रोजगार पाने वाली महिलाओं का गांव सरौनी बनेगा.
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