चमोली: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में उगने वाला वृक्ष भोजपत्र लोगों की आजीविका के लिए वरदान साबित हो रहा है. इस भोजपत्र से चमोली में तमाम प्रकार से उत्पाद बनाए जा रहे हैं. नीति माणा की महिलाओं की ओर से शुरू की गई यह पहल अब विस्तार ले रहा है. वैदिक काल से लेखन कार्य, पूजा पाठ समेत तमाम कार्यों में इस्तेमाल होने वाला भोजपत्र की अब बाजार में मांग बढ़ने लगी है. जिसका सीधा लाभ महिलाओं को मिल रहा है.
जोशीमठ में तैयार की जा रही भोजपत्र की 3 नर्सरी: भोजपत्र से कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं. जिसके तहत महिलाएं समूहों से जुड़कर स्टिंग आर्ट तैयार कर रही हैं. जिसे वो बाजार में 1000 से 2000 रुपए में बेचकर मुनाफा कमा रही हैं. सोविनियर की बढ़ती मांग को देखते हुए जिला प्रशासन ने महिलाओं को ट्रेनिंग दी थी, जिसमें महिलाओं ने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 8 दिवसीय कैलीग्राफी और स्ट्रिंग आर्ट का एडवांस प्रशिक्षण लिया था.
वहीं, महिलाएं प्रशिक्षण लेने के बाद सोविनियर तैयार कर बेच रही हैं. खासकर नीति माणा की महिलाएं भोजपत्र से कई प्रकार के कलाकृति बना रहे हैं. भोजपत्र से मालाएं भी बनाई जा रही है. जिसकी बाजार में डिमांड बढ़ने लगी है, जिससे महिलाओं की आर्थिकी भी मजबूत हो रही है. वहीं, जोशीमठ में अब भोजपत्र की 3 नर्सरियां तैयार की जा रही है.
चारधाम मार्ग पर भी होगी भोजपत्र बिक्री: बीडीओ मोहन प्रसाद जोशी ने बताया कि भोजपत्र पर लिखित सोविनियर की डिमांड को देखते हुए आने वाले समय में इसे यात्रा सीजन में चारधाम मार्ग पर लगा दिया जाएगा. इससे महिलाओं की आजीविका और आर्थिकी बढ़ेगी. वहीं, उत्तराखंड आने वाले यात्री भी देवभूमि की दुर्लभ सौगात को अपने साथ ले जा सकेंगे.