संसद में छत्तीसगढ़ की तीन महिलाएं, दिग्गजों को हराकर चुनावी नैय्या लगाई है पार - Lok sabha election Result - LOK SABHA ELECTION RESULT
Women candidates won Lok sabha छत्तीसगढ़ से तीन महिलाएं दिल्ली दरबार में अपना काबिलियत साबित करेंगी.छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव में से 11 में से 3 महिलाएं चुनाव जीतकर संसद पहुंची है.जिनमें से दो बीजेपी और एक महिला कांग्रेस से है.Chhattisgarh Women reached Parliament
संसद में छत्तीसगढ़ की तीन महिलाएं (ETV Bharat Chhattisgarh)
रायपुर : छत्तीसगढ़ लोकसभा चुनाव के नतीजों ने एक बार फिर कांग्रेस खेमे को निराशा दी है.प्रदेश में एक बार फिर मोदी की गारंटी विरोधियों के भरोसे पर भारी पड़ गई. छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों की यदि बात करें तो यहां से 10 सीटों में दो बीजेपी और एक सीट पर कांग्रेस महिला उम्मीदवार ने चुनाव जीता है.
कांग्रेस के लिए ज्योत्सना ने बचाई लाज : प्रदेश में जब टिकट की घोषणा हुई थी तो कांग्रेस ने जातिगत समीकरण के आधार पर अपने कैंडिडेट उतारे थे.विरोध के बाद ज्योत्सना महंत को चरणदास महंत टिकट दिलाने में सफल हुए. ज्योत्सना महंत के मुकाबले बीजेपी ने सरोज पाण्डेय को मैदान में उतारा.लेकिन सरोज पाण्डेय को स्थानीय नेताओं का विरोध सहना पड़ा.विरोधी जनता को समझाने में कामयाब रहे कि भाभी के मुकाबले यदि दीदी को चुना तो जीतने के बाद कब दिल्ली फुर्र हो जाएं कुछ कहा नहीं जा सकता.फिर भी सरोज पाण्डेय और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने ज्योत्सना महंत को हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया.आखिरकार महंत ने बाजी मार ली. ज्योत्सना महंत ने बीजेपी की तेज तर्रार नेता सरोज पांडेय को 43 हजार 2 सौ 83वोटों से हराया.
कौन हैं ज्योत्सना महंत:ज्योत्सना महंत 2019 में पहली बार कोरबा लोकसभा सीट से सांसद चुनी गई हैं. मोदी लहर में भी वो कोरबा सीट से जीत दर्ज करने में सफल रहीं. ज्योत्सना महंत के पति चरणदास महंत इससे पहले इस सीट से सांसद रह चुके हैं. कोरबा लोकसभा सीट पर कांग्रेस का शुरु से दबदबा रहा है.
ताम्रध्वज का ध्वज रुपकुमारी के आगे झुका :महासमुंद लोकसभा क्षेत्र में साहू वोटर्स की अधिकता को देखते हुए कांग्रेस ने अपने सबसे बड़े लीडर ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा. लेकिन चुनावी नतीजों ने ये साफ किया कि महासमुंद का रण सिर्फ किसी समाज को साधकर नहीं जीता जा सकता.कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली ये सीट अब बीजेपी के पाले में हैं.वो भी तब जब विधानसभा चुनाव में महासमुंद बेल्ट से कांग्रेस को काफी ज्यादा वोट मिले थे.लेकिन लोकसभा चुनाव आते-आते महासमुंद की जनता का भरोसा कांग्रेस के नेताओं से उठ गया.यही वजह रही कि मोदी के गारंटी के मुकाबले ताम्रध्वज साहू को जनता ने हाथों हाथ नहीं लिया. बीजेपी की युवा लीडर रूपकुमारी चौधरी के आगे ताम्रध्वज साहू के झंडे ठंडे हो गए. महासमुंद लोकसभा सीट से बीजेपी की रूप कुमारी चौधरी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता ताम्रध्वज साहू को 1 लाख 45 हजार 456 से हराया.
कौन हैं रुपकुमारी चौधरी:रुप कुमारी चौधरी भारतीय जनता पार्टी में कई पदों पर काम कर चुकी हैं. चौधरी साल 2015 से लेकर 2018 तक संसदीय सचिव रहीं. विधायक बनने से पहले वो जिला पंचायत की सदस्य रहीं. भारतीय जनता पार्टी में उनकी पकड़ लगातार मजबूत होती रही. संघ की नजरों में भी उनकी छवि बेहतर मानी जाती रही है. पार्टी के लिए उनका समर्पण और उनकी मेहनत को देखते हुए ही उनको सांसद का टिकट बीजेपी आलाकमान ने दिया. रुप कुमारी चौधरी बसना विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुकी हैं.
कमलेश ने शिव डहरिया की मुश्किल की डगर :कांग्रेस के लिए मुश्किल सिर्फ महासमुंद में ही खत्म नहीं हुई. बल्कि जांजगीर चांपा जैसी सेफ सीट पर भी कांग्रेस के सूरमा ढेर हो गए.जांजगीर चांपा में कांग्रेस ने शिव डहरिया को मैदान में उतारा था. जांजगीर चांपा में भी जातिगत समीकरण को साधने की कोशिश की गई. जांजगीर चांपा सीट कांग्रेस के लिए इसलिए भी आसान थी क्योंकि विधानसभा की एक भी सीट इस क्षेत्र में बीजेपी के पाले में नहीं गई थी.कांग्रेस ये मानकर चल रही थी.कि विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जनता ने भरोसा जताया था,वो लोकसभा में भी काम आएगा.लेकिन ऐसा हो ना सका.जांजगीर की जनता ने बाहरी प्रत्याशी का टैग लेकर आए शिव डहरिया की डगर मुश्किल कर दी.कमलेश जांगड़े ने जांजगीर चांपा में शिव डहरिया को60 हजार वोटों से हरा दिया.
कौन हैं कमलेश जांगड़े: कमलेश जांगड़े भारतीय जनता पार्टी में लंबे वक्त से कई पदों पर काम कर चुकी हैं. जांगड़े जांजगीर चांपा जिले की जिला उपाध्यक्ष भी रह चुकी हैं. जांगड़े के परिवार लंबे वक्त से संघ की पृष्ठभूमि से जुड़ा रहा है. कमलेश जांगड़े की गिनती बीजेपी के तेज तर्रार महिला नेताओं में की जाती है.