रांचीः झारखंड में अक्तूबर महीने में विधानसभा चुनाव 2024 के होने की संभावना है, पर अब तक महागठबंधन में सीट शेयरिंग फार्मूला साफ नहीं हो पाया है. ऐसे में महागठबंधन में शामिल पार्टियां अलग-अलग सीटों पर दावेदारी पेश कर रही हैं. ऐसे में भविष्य में सीटों को लेकर तनातनी देखने के मिल सकती है.
बयान देते झारखंड राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव और झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय. (वीडियो-ईटीवी भारत) राजद प्रदेश अध्यक्ष के बयान से मची खलबली
इस बीच राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष और हुसैनाबाद के पूर्व विधायक संजय सिंह यादव ने एक बड़ा बयान देकर महागठबंधन में खलबली मचा दी है. ऐसा इसलिए क्योंकि राजद के प्रदेश अध्यक्ष न सिर्फ समय का इंतजार करने की बात कहते हैं, बल्कि इशारों-इशारों में यह भी कहते हैं कि ज्यादा लोभ पाप का कारण बनता है.
झामुमो और राजद में सीटों पर जिच
वहीं झामुमो पलामू प्रमंडल इकाई द्वारा राजद की परंपरागत सीट हुसैनाबाद, छतरपुर जैसी सीट पर दावेदारी और राजद द्वारा झामुमो की 2019 की विनिंग सीट गढ़वा पर उम्मीदवार उतारने की गढ़वा राजद की घोषणा के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या विधानसभा चुनाव से पहले राजद महागठबंधन से अलग हो जाएगा ?
स्थिति से राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत करा दिया है- संजय सिंह यादव
राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि राज्य में हम 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर रहे हैं. महागठबंधन या इंडिया ब्लॉक में पार्टी का स्टैंड क्या रहेगा,इसका अंतिम फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष को करना है. सारी परिस्थिति से राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत करा दिया गया है.
राजद की इन परंपरागत सीटों पर है झामुमो की नजर
झारखंड में 2019 में कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था. तब झामुमो को महागठबंधन में 43 सीट, कांग्रेस को 31 सीट और राष्ट्रीय जनता दल को 07 सीटें मिली थी. अब झारखंड मुक्ति मोर्चा की नजर 2019 में राष्ट्रीय जनता दल को मिली हुसैनाबाद, छतरपुर और बरकट्ठा सीट पर है.
विनिबिलिटी होगा सीटों के बंटवारे का आधारः मनोज पांडेय
इस संबंध में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि किस सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा, इसके लिए सबसे ज्यादा ध्यान विनिबिलिटी यानी जीत की संभावना पर होना चाहिए. मनोज पांडेय कहते हैं कि पिछले पांच वर्षों में झामुमो और उनके नेता हेमंत सोरेन की लोकप्रियता काफी बढ़ी है, यह एक सच्चाई है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता कहते हैं कि हमें जमीनी हकीकत पर जाना होगा. धरातल पर जो सच्चाई है वह यही है कि हम मजबूत हुए हैं.
कांग्रेस-झामुमो के बीच भी हो सकती है तकरार
कांग्रेस और झारखंड की राजनीति को बेहद करीब से जानने-समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह कहते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा की बढ़ती महत्वाकांक्षा की वजह से सीट शेयरिंग के समय कांग्रेस-झामुमो के बीच भी तनातनी हो सकती है.वरिष्ठ पत्रकार कहते हैं कि अब जब झामुमो की पलामू इकाई द्वारा डाल्टनगंज सीट और भवनाथपुर सीट की दावेदारी की जा रही है तो इसके बाद कांग्रेस का रुख क्या होगा इस पर नजर रखना होगा. ये दोनों सीटें 2019 में कांग्रेस की कोटे की सीट रही और अब झामुमो इस पर दावा जता रहा है.
सीपीआई -माले की इंट्री से झामुमो-कांग्रेस को छोड़नी होगी अपनी सीट
इस बार बात सिर्फ झामुमो,कांग्रेस और राजद के बीच का नहीं है. महागठबंधन में माले की इंट्री से बगोदर, धनवार, निरसा, सिंदरी जैसे विधानसभा सीट पर झामुमो और कांग्रेस दोनों को अपनी अपनी सीटें त्यागनी होगी. क्या कांग्रेस और झामुमो इसके लिए तैयार है,यह बड़ा सवाल बना हुआ है.
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