लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 पूरा हो चुका है. नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री भी बन गए हैं. लेकिन, इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा का विषय रहा है वह है इस चुनाव में बनी सियासी जोड़ी, जो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की है.
इस जोड़ी ने उत्तर प्रदेश में भाजपा और उसके सहयोगी दलों को पटखनी देते हुए प्रदेश की 80 सीटों में से 43 पर कब्जा जमाया और भाजपा के 400 पार के सपने को चकनाचूर कर दिया. लेकिन, अब ये जोड़ी कितनी लंबी चलेगी इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.
हालांकि, अपने 54वें जन्मदिन पर राहुल गांधी ने अखिलेश यादव की बधाई पर जो बयान दिया है, उसको देखा जाए तो दोनों लड़के इस जोड़ी को बनाए रखना चाहते हैं. राहुल गांधी ने अखिलेश के बधाई वाले पोस्ट पर री-पोस्ट करके लिखा है-‘यूपी के दो लड़के’ हिंदुस्तान की राजनीति को मोहब्बत की दुकान ‘खटाखट खटाखट’ बनाएंगे.
लेकिन, जोड़ी सलामत रहेगी या नहीं इसका फैसला यूपी में होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में होने के आसार हैं. उससे पहले आईए जानते हैं उन सियासी जोड़ियों के बारे में जो बनी तो काफी तेजी से और बड़े-बड़े सपने लेकर लेकिन, ज्यादा दिन तक चल नहीं पाईं.
कांशीराम और मुलायम सिंह यादव के मिलन की फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive) 1- मुलायम-कांशीराम की जोड़ी: 1992 में अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद कल्याण सिंह की सरकार गिर गई थी. कल्याण सिंह ने खुद इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद होने वाले चुनाव में भाजपा को रोकने के लिए सपा संरक्षक और उस समय के अध्यक्ष मुलायस सिंह यादव ने बसपा प्रमुख कांशीराम से हाथ मिलाया था. इन दोनों के गठजोड़ में दो उद्योगपतियों की अहम भूमिका रही थी. लेकिन, ये गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चला और मुलायम सिंह की सरकार गिर गई थी.
कल्याण सिंह और मायावती के मिलन की फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive) 2- मायावती-कल्याण सिंह की जोड़ी: 1996 में हुए यूपी के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. इस पर भाजपा और बसपा में करार हुआ था. कल्याण सिंह और मायावती में सरकार चलाने का करार हुआ था. दोनों को छह-छह महीने मुख्यमंत्री बनना था. लेकिन, मुख्यमंत्री मायावती ने छह महीने के भीतर ही करार तोड़ दिया था और ये जोड़ी भी टूट गई थी.
अखिलेश यादव और मायावती के मिलन की फाइल फोटो. (फोटो क्रेडिट; Etv Bharat Archive) 3-अखिलेश यादव-मायावती की जोड़ी: 2017 के विधानसभा चुनाव के समय अखिलेश यादव और मायावती की जोड़ी बुआ-भतीजा की जोड़ी के नाम से चर्चा में आई थी. सपा और बसपा का ये गठबंधन विधानसभा चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाया और भाजपा ने यूपी में सरकार बनाई थी. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में भी दोनों साथ रहे. इसमें सपा को तो कुछ फायदा नहीं हुआ लेकिन, बसपा 10 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. बसपा शून्य से 10 पर आ गई थी. इसके बाद बुआ-भतीजे यह जोड़ी टूट गई.
राहुल अखिलेश की जोड़ी कितनी चलेगी: यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. चर्चा है कि अखिलेश यादव इन 10 में से एक सीट कांग्रेस को दे सकती है. अगर यही समीकरण रहा तो इस हिसाब से यूपी विधानसभा चुनाव 2027 में सपा कांग्रेस को 403 में से 40 से 45 सीट दे सकती है. जिसके लिए कांग्रेस कभी राजी नहीं होगी.
कांग्रेस विधानसभा चुनाव में कितनी मांग सकती है सीटें: कांग्रेस का जो गणित है वो लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के आधार पर सीटें लेने का रहेगा. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस ने यूपी 80 में से 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 6 सीटों पर कब्जा जमाया. इसके आधार पर कांग्रेस कम से कम 80 से 90 सीटें मांगेगी. क्योंकि, जहां वो हारी है वहां पर दूसरे नंबर पर रही है. इस हिसाब से कांग्रेस विधानसभा उपचुनाव में 3 से 4 सीटें मांग सकती है.
तो राहुल-अखिलेश की मुहब्बत की दुकान में पड़ जाएगी दरार: यहीं पर राहुल और अखिलेश की मुहब्बत की दुकान में दरार पड़ने के आसार हैं. दरअसल, सपा का यूपी में जनाधार है. जितनी सीट सपा कांग्रेस को देगी उसे उतना नुकसान होगा. जबकि, कांग्रेस को जितनी भी सीटें मिलें वह उसके लिए फायदे का ही सौदा रहेगा. क्योंकि, कांग्रेस यूपी में अपना जनाधार खो चुकी है. वर्तमान में यूपी विधानसभा में कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है.
अखिलेश और अजय राय में टशन: कांग्रेस का दिल्ली में आम आदमी पार्टी से गठबंधन लोकसभा चुनाव 2024 के बाद खत्म हो गया है. लेकिन, कांग्रेस के यूपी प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने ऐलान कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में सपा के साथ उनका गठबंधन विधानसभा चुनाव 2027 तक जारी रहेगा. उपचुनाव भी कांग्रेस साथ में लड़ेगी. लेकिन, यहां एक बात सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि अखिलेश यादव और अजय राय में आपसी टशल है.
अजय राय करते आए हैं अखिलेश पर अभद्र टिप्पणी: एमपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी थी. इसको लेकर अखिलेश यादव ने कड़ा विरोध जताया था. तब अजय राय ने अखिलेश यादव समेत सपा नेताओं को चिरकुट नेता की संज्ञा तक दे डाली थी. वहीं, सूत्र बताते हैं कि एमपी में सपा को एक भी सीट नहीं देने के पीछे भी अजय राय थे. ऐसे में भले ही अजय राय साथ रहने का ऐलान कर रहे हों लेकिन, हकीकत ये है कि उनकी अखिलेश से बनती नहीं है.
क्या बाबा और बहन जी आएंगे साथ-साथ: यूपी विधानसभा चुनाव 2027 की बात हो या हाल ही में होने वाले उपचुनाव की, दोनों में सपा-कांग्रेस का मेल तो दिख रहा है. बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले चुनाव लड़कर भी देख लिया है. हर बार वो शून्य पर रही हैं. ऐसे में इस बात की भी चर्चाएं तेज हो गई है कि बाबा (योगी आदित्यनाथ) और बहन जी (मायावती) की एक नई जोड़ी भी सामने आ सकती है. क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को बड़ा डेंट लगा है.
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