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इस कीड़े से फैलता है स्क्रब टाइफस रोग, उपचार में देरी जानलेवा बन सकती है, जानिए कारण, लक्षण और इलाज - scrub typhus - SCRUB TYPHUS

Health Tips स्क्रब टाइफस एक प्रकार का कीटाणु हैं, जो कोशिकाओं में पाया जाता है. यह चिगर (chiggar) नामक कीड़े के काटने से फैलता है. अगर समय पर इसकी इलाज नहीं किया जाए तो मरीज की मौत भी हो सकती है. एक्सपर्ट डॉक्टर से जानिए इस बीमारी के लक्षण और इलाज.

स्क्रब टाइफस कैसे होता है
स्क्रब टाइफस कैसे होता है (ETV Bharat GFX Team)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : May 5, 2024, 6:32 AM IST

जानिए इस बीमारी के लक्षण और इलाज (ETV Bharat Ajmer)

अजमेर. स्क्रब टाइफस एक प्रकार की संक्रमित बीमारी है. यह चिगर नामक कीड़े के काटने से होती है. इस कीड़े को आम बोलचाल की भाषा में पिसु भी कहते हैं. पिसु के काटने से 5 से 10 दिन में व्यक्ति में लक्षण प्रतीत होने लगते हैं, यदि स्क्रब टाइफस का इलाज समय पर नहीं लिया जाए, तो कोमा में जाने, ऑर्गन फेलियर होने से मृत्यु तक हो सकती है. अजमेर जेएलएन मेडिकल कॉलेज में आचार्य एवं मेडिसन विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ मनीराम कुम्हार से जानते हैं स्क्रब टाइफस रोग के कारण, लक्षण और उपचार से संबंधित हेल्थ टिप्स.

डॉ मनीराम कुम्हार बताते हैं कि स्क्रब टाइफस एक प्रकार का कीटाणु हैं, जो कोशिकाओं में पाया जाता है. यह चिगर (chiggar) नामक कीड़े के काटने से फैलता है. डॉ कुम्हार ने बताया कि चिगर को पिसु भी कहते हैं. अमूमन पिसु चूहों और छछूंदर को काटता है. जब कोई व्यक्ति लॉन, बगीचे, पार्क, झाड़ियों और नमी वाले क्षेत्र में जाता है, तब चिगर कीड़ा इंसान को काट लेता है. पिसु के किसी व्यक्ति को काटने पर उस स्थान पर एसकार (Eschar) बन जाता है. यह बिल्कुल ऐसा दिखता है, जैसे किसी ने जलती हुई सिगरेट उस स्थान पर लगा दी हो. पिसु के काटने से लार्वा के माध्यम से कीटाणु इंसान की कोशिकाओं तक पंहुच जाते हैं.

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इस समय होने की रहती है संभावना :डॉ कुम्हार ने बताया कि अप्रैल से नवंबर तक पिसु ज्यादा संख्या में होते हैं. इन दिनों ही वह अंडे भी देते हैं. यह कीटाणु पिसु से अंडे में आता है, यानी पिसु की अगली पीढ़ी तक पहुचता है. उन्होंने बताया कि यदि पिसु किसी चूहे को काटता है, तो चूहा संक्रमित हो जाता है और उस चूहे को कोई अन्य पिसु काटता है, तो वह कीटाणु पिसु में आ जाते हैं. यह सर्कल चलता रहता है.

स्क्रब टाइफस के लक्षण :जेएलएन मेडिकल कॉलेज में सहायक आचार्य डॉ मनीराम कुम्हार ने बताया कि पिसु के काटने पर 5 से 10 दिन में रोगी में लक्षण प्रतीत होने लगते हैं. मसलन तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी, दस्त, शरीर पर दाने आना, जहां पिसु ने काटा है, वहां एसकार (Escar) बनना. उन्होंने बताया कि एसकार से स्क्रब टाइफस रोग पकड़ में आ जाता है, लेकिन यह 50 फीसदी लोगों में ही नजर आता है. इस बीमारी का पता लगाने के लिए रोगियों का अलाईजा टेस्ट यानी खून की एक प्रकार की जांच की जाती है. इस जांच से स्क्रब टाइफस के होने अथवा नहीं होने की पुष्टि होती है. डॉ कुम्हार बताते हैं कि निमोनिया, मलेरिया, डेंगू, टाइफाइड के समान ही स्क्रब टायफस के लक्षण प्रतीत होते हैं.

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इलाज में लापरवाही हो सकती है जानलेवा :डॉ कुम्हार बताते हैं कि स्क्रब टाइफस का इलाज नहीं लेने पर डबल निमोनिया, एआरडीएस, दिमागी बुखार, किडनी, लीवर के फेल होने के चांस रहते हैं. स्क्रब टाइफस के बढ़ने से रोगी की मौत भी हो सकती है. उन्होंने बताया कि स्क्रब टाइफस बीमारी से घबराने की आवश्यकता नहीं है. इसका इलाज संभव है. चिकित्सक से परामर्श लेकर स्क्रब टाइफस का इलाज लें. उन्होंने बताया कि अजिथ्रोमाइसीन और डॉक्सीसाइक्लिन टैबलेट इसके लिए कारगर है, लेकिन डॉक्सीसाइक्लिन टैबलेट गर्भवती महिलाओं को नहीं लेनी चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि यह रोग हर आयु वर्ग में हो सकता है, लेकिन ज्यादातर एडल्ट्स में देखा जाता है.

जागरूकता होना जरूरी :डॉ कुम्हार ने बताया कि अजमेर जिले में स्क्रब टाइफस के चार रोगी अभी तक सामने आ चुके हैं. लोगों को स्क्रब टाइफस के बारे में पता नहीं है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्क्रब टाइफस के बारे कोई नहीं जानता. वहीं, कई चिकित्सक भी इस रोग को डायग्नोस नहीं कर पाते हैं. इसलिए आवश्यक है कि इस रोग के बारे में जागरूकता लोगों में होनी चाहिए, जिससे लक्षण प्रतीत होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श ले सकें.

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