रायपुर:सनातन संस्कृति के अनुसार मोक्ष प्राप्ति के लिए संतान का होना अत्यंत आवश्यक है. उसमें भी पुत्र संतान का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि पुत्र ही मोक्ष का कारक माना जाता है. पुत्र ही चिता को अग्नि देता है. पुत्र ही श्राद्ध कर्म करता है. पुत्र ही पितरों को तृप्त करता है. प्रेत योनि से मुक्ति प्रदान करता है. ऐसे में संतान का योग होना कुंडली में अत्यंत आवश्यक है. ऐसे में ज्योतिष के माध्यम से संतान की प्राप्ति कैसे हो सकती है? किस तरह के उपाय किए जाएं, जिससे संतान की प्राप्ति जातक को होगी, ये जानना बेहद जरूरी है.
आइये जानते हैं ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर से कि अगर कुंडली में संतान योग न हो तो जातक को क्या करना चाहिए?
राजा दशरथ ने भी किया था पुत्र अंत्येष्टि यज्ञ:ज्योतिष महेंद्र कुमार ठाकुर ने ईटीवी भारत को बताया, "व्यक्ति जीवन में अनेक पाप करता है. कभी भ्रूण हत्या भी कर देता है. कभी किसी को मार डालता है और इसका फल उसको अगले किसी जन्म में मिलता है. अगर आपने किसी की हत्या की है. किसी मां को, किसी पिता को उसके पुत्र को वंचित किया है. ऐसी स्थिति में आपके जीवन में भी संतानहीनता की स्थिति बन सकती है. कुंडली में संतान प्रतिरोध योग बन जाते हैं. व्यक्ति बिना संतान के एक पुत्र की आस्था में छटपटाते रहता है. आपने सुना होगा कि महाराजा दशरथ को भी पुत्र अंत्येष्टि यज्ञ करना पड़ा था, जिससे राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का जन्म हुआ था. उन्होंने पिछले जन्म में श्रवण कुमार का वध कर दिया था. अनजाने में ही सही और उनके माता-पिता को पुत्र सुख से वंचित किया था. श्रवण कुमार के माता-पिता ने महाराजा दशरथ को श्राप दिया था, जिस प्रकार से मैं पुत्र वियोग में अपने प्राण त्याग रहा हूं, वैसे ही तुम भी पुत्र के विलाप में पीड़ा में अपने प्राण त्याग दोगे. यही कारण था राम को 14 वर्षों का वनवास मिला और दशरथ की मृत्यु पुत्र वियोग में हुई."