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दीपावली आते ही आफत में आ जाती है उल्लुओं की जान, अंधविश्वास के चश्मे ने खतरे में डाले रात्रिचर

अंधविश्वास के चलते दिवाली आते ही कॉर्बेट पार्क में उल्लुओं पर मंडराने लगा खतरा, तंत्र साधना में दी जाती है बलि, मुस्तैद हुए वनकर्मी

OWL HUNTING ON DIWALI
दीपावली पर उल्लू की बलि (फोटो- ETV Bharat GFX)

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 5 hours ago

Updated : 3 hours ago

रामनगर: अंधविश्वास के चलते दीपावली में उल्लू की डिमांड बढ़ जाती है. कहा जाता है कि दिवाली पर उल्लू की बलि दी जाती है. जिसके चलते उनका शिकार किया जाता है. जिसे देखते हुए कॉर्बेट पार्क प्रशासन अलर्ट मोड पर है. कॉर्बेट पार्क के वन कर्मियों की ओर से लगातार गश्त की जा रही है. ताकि, वनों समेत तमाम वन्यजीवों की सुरक्षा की जा सकती है.

1300 वर्ग किमी में फैला है कॉर्बेट पार्क:दीपावली के मौके पर कॉर्बेट पार्क प्रशासन ने एकाएक जंगलों में गश्त बढ़ा दी है. कॉर्बेट पार्क करीब 1300 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है. दीपावली आते ही कॉर्बेट पार्क के जंगलों में मौजूद उल्लुओं पर खतरा मंडराने लगता है. वैसे तो लोग दीपावली के शुभ मौके पर लक्ष्मी की पूजा करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अंधविश्वास के चलते मां लक्ष्मी का वाहन कहे जाने वाले उल्लू की जान के पीछे पड़ जाते हैं.

कॉर्बेट पार्क में उल्लू की हिफाजत को लेकर मुस्तैदी (वीडियो- ETV Bharat)

ऐसा माना जाता है कि तांत्रिक जादू-टोना, तंत्र-मंत्र या साधना विद्या में उल्लू का इस्तेमाल करते हैं. इस दौरान उल्लू की बलि भी जाती है. ऐसे में अंधविश्वास के चलते एक विलुप्त होती प्रजाति को खतरा बढ़ जाता है. यह खतरा तब और बढ़ जाता है, जब दीपावली का त्योहार आता है. लिहाजा, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने उल्लू की तस्करी करने वालों पर लगाम कसने के लिए जंगल में गश्त बढ़ा दी है.

उल्लू (फोटो- Wildlife Lover Sanjay Chhimwal)

उल्लुओं के मारे जाने से ईको सिस्टम पर पड़ता है असर: वहीं, जानकर और वन्यजीव प्रेमी कहते हैं कि उल्लुओं के मारे जाने से ईको सिस्टम पर भी इसका असर पड़ता है. शास्त्रों की नजर से देखें तो उल्लू को मां भगवती का वाहन कहा जाता है. उल्लू की आंख में मां भगवती की तीन शक्तियों का वास माना जाता है. उल्लू के मुख्य मंडल, उसके पंजे, पंख, मस्तिष्क, मांस उसकी हड्डियों का तंत्र विद्या में काफी महत्व माना जाता है, जिनका तांत्रिक दुरुपयोग करते हैं.

शास्त्रों के जानकारों के अनुसार, दीपावली पर मां लक्ष्मी को खुश करके अपने यहां बुलाने के लिए कुछ लोग उल्लू की बलि देते हैं. इस मौके पर लाखों रुपए खर्च करके उल्लू की व्यवस्था करके रखते हैं. जानकारों की मानें तो दीपावली के समय में उल्लू की मांग काफी बढ़ जाती है. जिसके चलते लोग उल्लुओं को पकड़ने के लिए जंगलों की ओर रुख करते हैं.

हरिद्वार वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व में अलर्ट (वीडियो- ETV Bharat)

अंधविश्वास के चलते दुर्लभ होती प्रजाति के साथ कर रहे अत्याचार: बताया जा रहा कि कई प्रदेशों में उल्लू की काफी मांग होती है. इस अंधविश्वास के चलते दुर्लभ होती प्रजाति पर लोग अत्याचार कर रहे हैं. जानकार ये भी बताते हैं कि दीपावली मैं आज से लेकर अमावस्या तक सभी दिन साधना के दिन कहे जाते हैं. लोग दिन और रात साधना करते हैं. कुछ लोग अपने कल्याण के लिए इन दोनों सिद्धियों को करवाते हैं. जबकि, कुछ लोग साधना का दुरुपयोग करते हैं.

जंगल में बैठा उल्लू (फोटो- Wildlife Lover Sanjay Chhimwal)

निर्बल प्राणी की बलि देना महापाप:प्रख्यात पंडित डीसी हरबोला कहते हैं कि तांत्रिक जादू टोना आदि तंत्र विद्या के लिए आरोह-अवरोह का पाठ करते उल्लू की बलि देते हैं. बावजूद इसके जानकारों का मानना है कि ये सब शास्त्रों में सम्मान नहीं है. अपनी वैदिक परंपरा का पालन करते हुए लोगों को अपना और अपने समाज का कल्याण करना चाहिए. इसके लिए एक निर्बल प्राणी उल्लू की बलि यानी उसकी जान लेना महापाप है. जो आवश्यक भी नहीं है.

हरिद्वार के ज्योतिषी मनोज त्रिपाठी का बयान (फोटो- ETV Bharat GFX)

अंधविश्वास का उतारना होगा चश्मा: आज के डिजिटल युग में उल्लू जैसे पक्षी की बलि देकर अपने कष्टों को दूर करने की सोच रखने वाले ये भूल जाते हैं कि जिसको वो खुश करने का प्रयास कर रहे हैं, असल में वो मां भगवती का वाहन है. मां लक्ष्मी कैसे उनसे प्रसन्न हो सकती है, लेकिन इंसान मोह माया उन्नति के चक्कर में पड़ कर सब भूल जाता है. पुण्य के चक्कर में पाप का भागीदार बन जाता है. यदि इंसान को उन्नति पाना है तो उसे अंधविश्वास का चढ़ा चश्मा उतारना होगा और अच्छे कर्म यानी काम करने होंगे.

शास्त्रों में उल्लू की बलि का कोई विधान नहीं है. उल्लू की हत्या करने से केवल दरिद्रता ही घर में आती है. लिहाजा, उल्लू की हत्या से नहीं, बल्कि उल्लू की पूजा से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. - मनोज त्रिपाठी, ज्योतिषाचार्य, हरिद्वार

हरिद्वार वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व में अलर्ट: वहीं, उत्तराखंड वन मुख्यालय से एडवाइजरी जारी होने के बाद हरिद्वार वन विभाग और राजाजी टाइगर रिजर्व भी अलर्ट पर है. दीपावली के मौके पर उल्लू समेत दूसरे वन्य जीवों के शिकार की घटनाएं बढ़ जाती है. जिसकी रोकथाम के लिए वन कर्मियों की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया है.

शिकार की तलाश में उल्लू (फोटो- Wildlife Lover Sanjay Chhimwal)

हरिद्वार के डीएफओ वैभव कुमार सिंह का कनहा है कि वन विभाग की एसओजी की टीमों को भी एक्टिव रहने के निर्देश दिए हैं. उल्लू वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित प्राणियों में आता है. अगर कोई भी वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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