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महगामा विधानसभा सीट पर दीपिका पांडेय सिंह को बीजेपी से कौन देगा चुनौती! पुराने चेहरे या नए पर खेला जाएगा दाव

Mahagama vidhansabha.बीजेपी को महगामा सीट से मजबूत दावेदार की तलाश है. हालांकि तीन नामों की चर्चा काफी हो रही है.

Mahagama Assembly Seat
ग्राफिक्स इमेज (ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 9, 2024, 2:54 PM IST

गोड्डाः महगामा विधानसभा सीट से विधायक सह कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह इन दिनों राजनीतिक रूप से न केवल अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं, बल्कि मंईयां सम्मान यात्रा के तहत पूरे झारखंड का दौरा कर रही हैं.ऐसे में दीपिका पांडेय सिंह को महगामा विधानसभा सीट पर शिकस्त देने के लिए भाजपा अभी से रणनीति बनाने में जुट गई है.

बीजेपी के टिकट के लिए तीन नामों की चर्चा

इसके लिए भाजपा महगामा विधानसभा सीट पर दमदार प्रत्याशी की तलाश में जुट गई है. ऐसे तो भाजपा से महगामा विधानसभा सीट के लिए कई नामों की चर्चा है. लेकिन सबसे ऊपर महगामा के तीन बार के पूर्व विधायक अशोक भगत का नाम चल रहा है. अशोक भगत वर्तमान में भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी हैं. उनके अलावा निरंजन पोद्दार और निरंजन सिन्हा के नाम की भी काफी चर्चा है.

जानिए कौन हैं अशोक भगत

भाजपा नेता अशोक भगत की बात करें तो वो व्यवसायी वर्ग से हैं. ऐसे में भाजपा के लिए अपना वोट बैंक को समेटे रखने की चुनौती है. बीजेपी महगामा सीट को लेकर ऊहापोह वाली स्थिति में है. पार्टी को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कौन सा उम्मीदवार इस सीट पर बीजेपी का परचम लहराने में सफल होगा.

निरंजन पोद्दार दूसरे प्रमुख दावेदार

वहीं बीजेपी से दूसरे प्रमुख दावेदार माने जाने वाले निरंजन पोद्दार भी व्यवसायी वर्ग से ही हैं. निरंजन पोद्दार जिला परिषद सदस्य होने के साथ जिला परिषद अध्यक्ष भी रह चुके हैं. क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ भी है.साथ ही निरंजन पोद्दार का भागलपुर में सिल्क का कारोबार है. वहीं निरंजन का का देवघर में स्कूल और होटल भी चलता है. बताया जाता है कि निरंजन का कारोबार गुजरात में भी है.निरंजन पोद्दार आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं.

निरंजन सिन्हा के नाम की भी चर्चा

वहीं महगामा सीट के लिए बीजेपी से तीसरे दावेदार के रूप में निरंजन सिन्हा के नाम की चर्चा है. निरंजन सिन्हा कुर्मी जाति हैं और इनकी पत्नी अमौर पंचायत से मुखिया हैं. निरंजन सिन्हा की भी कुर्मी समाज में अच्छी पकड़ है. निरंजन सिन्हा भी आर्थिक रूप से काफी संपन्न हैं. वहीं चर्चा में राजेश उपाध्याय का भी नाम आ रहा है. राजेश सवर्ण जाति से आते हैं और संघ से ताल्लुक रखते हैं.

दीपका का अगड़ा और पिछड़ा दोनों वर्गों में पकड़

वहीं महगामा में जातीय समीकरण को देखें तो दीपिका पांडेय सिंह खुद ब्राह्मण जाति से आती हैं और उनका विवाह कुर्मी जाति में हुआ है. दीपिका पांडेय सिंह के ससुर अवध बिहारी सिंह खुद महगामा से चार बार के विधायक और संयुक्त बिहार में मंत्री रह चुके हैं. ऐसे में अगड़ा और पिछड़ा दोनों वर्ग को साधने में दीपिका सफल हो जाती हैं. जबकि ये दोनों वर्ग का मत लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में जाता रहा है. वहीं मुस्लिम मतदाता स्वाभाविक रूप से कांग्रेस के पक्ष में हैं.

महगामा में बीजेपी के लिए चुनौती

वहीं इस संबंध में राजनीति के जानकार देवन कुमार पिंटू बताते हैं कि भाजपा के लिए महगामा से एक दमदार उम्मीदवार देना एक चुनौती की तरह है. अब तक जिन नामों की चर्चा है वे सभी चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं. ऐसे में कई लोग ऐसे हैं कि अगर बीजेपी से टिकट मिल गया तो ठीक, नहीं तो वे अन्य दलों से या फिर निर्दलीय चुनाव लड़कर भाजपा को ही नुकसान पहुंचाएंगे. इतना ही नहीं कई अन्य लोग भी टिकट की दौड़ में हैं और पहले भी अन्य दलों से चुनाव लड़ चुके हैं. साथ ही कई लोगों ने टिकट की चाह में हाल में ही भाजपा में एंट्री ली है.

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