रायपुर:छत्तीसगढ़ में चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान की रणनीति और नक्सलियों के खात्मे को लिए गए फैसलों को भुनाने में बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ा. बात छत्तीसगढ़ की हो या फिर दूसरे राज्यों की. बीजेपी ने अपनी रैलियों में हर जगह छत्तीसगढ़ की ही तरह नक्सलियों के खिलाफ लिए गए एक्शन की बात कही. चाहे झारखंड हो, उड़ीसा हो ,या फिर आंध्र प्रदेश या तेलंगाना.बीजेपी के नेता कहीं भी इस मुद्दे से अपने विकास वाली नीति को अलग नहीं रख पाए. उत्तर प्रदेश के चुनाव प्रचार के दरमियान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलियों के सफाई वाले बयान को बार-बार जोर देते रहे. उनका यही कहना था कि 2 साल के भीतर हम नक्सलियों का सफाया करेंगे और इसके लिए हमारी रणनीति भी बहुत पुख्ता है.
दो इंजन की सरकार, दो प्लान, नक्सली खत्म :बीजेपी चुनावी अभियान और सरकार चलाने के दावे में छत्तीसगढ़ में दो इंजन की सरकार चला रही है. दो इंजन की सरकार है तो विकास की रफ्तार भी तेज होगी.इसका सबसे बड़ा उदाहरण नक्सलियों के सफाई पर चलाए जा रहे अभियान का भी है. क्योंकि देश में दो चरणों के चुनाव बचे हुए हैं. ऐसे में बीजेपी नक्सल अभियान को ज्यादा बड़ा बताकर उन राज्यों में वोट समीकरण को साधना चाह रही है, जहां पर नक्सलियों की समस्या है. छत्तीसगढ़ में डबल इंजन की सरकार चल रही है. ऐसे में नक्सलियों की सफाई के लिए दो प्लान पर काम किया जा रहा है.
डबल इंजन की सरकार का डबल प्लान : केंद्र सरकार सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से एनकाउंटर आत्मसमर्पण या फिर गिरफ्तारी वाली बात को अपनी राजनीति का हिस्सा बने हुए हैं, जो पूरे देश में मॉडल के तौर पर रखा जा रहा है. वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने एक दूसरा मॉडल जनता के बीच रख दिया है.बीजेपी के डबल इंजन की सरकार वाले मॉडल में पहला इंजन का मॉडल सुरक्षा एजेंसियों ने संभाल रखा है, जबकि दूसरे इंजन के मॉडल में यह प्रस्ताव नक्सलियों को दिया गया है कि अगर वो सरेंडर करते हैं तो उन्हें किस तरह की सुविधा चाहिए.सरेंडर पॉलिसी में कैसा बदलाव चाहिए. इसका सुझाव वो खुद दें .दोनों तरीके से नक्सलियों के सफाई की तैयारी जोरों से चल रही है.